साईं बाबा की कृपा से  नीम के पेड़ की कड़वी पत्तियां भी हो गई थीं मीठी , दर्शन करने से  होती है मनोकामना पूरी

साईं बाबा के मंदिर में होता है चमत्कार
 

डेस्क। शिरडी का सांई मंदिर, जहां पर प्रतिदिन हजारों हजार श्रद्धालु साईं बाबा की डेहरी पर माथा टेकने के लिए जाते हैं. साईं बाबा का यह मंदिर न सिर्फ अपने चमत्कारों के लिए बल्कि चढ़वों के जरिए इकट्ठी होने वाली अकूत संपत्ति के लिए भी जाना जाता है. आइए शिरडी के इस पावन धाम के बारे में विस्तार से जानते हैं.


शिरडी में सबसे पहले बात करते हैं साई बाबा के समाधि मंदिर के बारे में, जहां पर बाबा के महासमाधि में जाने के बाद उनका नश्वर शरीर इसी स्थान पर दफनाया गया. इसी समाधि स्थल के सामने बड़े हाल में साईं बाबा की संगमरमर की अद्भुत मूर्ति है. जहां पर  हर साल लाखों-करोड़ों भक्त दर्शन के लिए आते हैं. इस मंदिर में बाबा के द्वारा पहने जाने वाले कपड़े और अन्य सामान भी रखे हुए हैं. 


शिरडी में सबसे पहले बात करते हैं साई बाबा के समाधि मंदिर के बारे में, जहां पर बाबा के महासमाधि में जाने के बाद उनका नश्वर शरीर इसी स्थान पर दफनाया गया. इसी समाधि स्थल के सामने बड़े हाल में साईं बाबा की संगमरमर की अद्भुत मूर्ति है. जहां पर हर साल लाखों-करोड़ों भक्त दर्शन के लिए आते हैं. इस मंदिर में बाबा के द्वारा पहने जाने वाले कपड़े और अन्य सामान भी रखे हुए हैं.

मान्यता है कि साईं बाबा जब 1858 में शिरडी में स्थाई रूप से रहने के लिए आए तो उन्होंने यहां पर खंडहरनुमा एक उपेक्षित मस्जिद को 'द्वारकामाई' नाम दिया. बाबा अपना पूरा समय इसी स्थान पर बिताया करते थे. इसी स्थान पर साईं बाबा के चित्र के सामने बाबा की धूनी है, जो लगातार जलती रहती है. बाबा की इस धूनी की विभूति यानि भस्म को ऊदी कहा जाता है. यहीं पर वह पत्थर की चक्की भी है, जिससे बाबा भक्तों अथवा गांव के लोगों की बीमारी को दूर करने के लिए गेहूं पीसा करते थे. 


मान्यता है कि साईं बाबा जब 1858 में शिरडी में स्थाई रूप से रहने के लिए आए तो उन्होंने यहां पर खंडहरनुमा एक उपेक्षित मस्जिद को 'द्वारकामाई' नाम दिया. बाबा अपना पूरा समय इसी स्थान पर बिताया करते थे. इसी स्थान पर साईं बाबा के चित्र के सामने बाबा की धूनी है, जो लगातार जलती रहती है. बाबा की इस धूनी की विभूति यानि भस्म को ऊदी कहा जाता है. यहीं पर वह पत्थर की चक्की भी है, जिससे बाबा भक्तों अथवा गांव के लोगों की बीमारी को दूर करने के लिए गेहूं पीसा करते थे.

शिरडी के साईंधाम में गुरुस्थान वही स्थान है, जहां कभी शिरडी बाबा के पूर्व जन्म के गुरु निवास किया करते थे. मान्यता है कि साईं बाबा इसी स्थान पर नीम के पेड़ के नीचे बैठा करते थे और उनके प्रभाव से नीम की कड़वी पत्तियां भी मीठी हो गईं. 


शिरडी के साईंधाम में गुरुस्थान वही स्थान है, जहां कभी शिरडी बाबा के पूर्व जन्म के गुरु निवास किया करते थे. 

बाबा के समाधि मंदिर के पास ही एक पेड़ के नीचे श्री हनुमान जी का मंदिर है, जिसमें बजरंगबली की दो प्रतिमाएं स्थापित है. मान्यता है कि कभी इस मंदिर का जीणोद्धार श्री साई बाबा ने ही कराया था. 

शिरडी में साईं बाबा के दर्शन के लिए जाने वाले भक्तों के रहने के लिए यहां पर शांति निवास और भक्त निवास नामक दो विशाल भवन है. जिसमें साईं भक्तों को रहने के लिए बहुत ही कम कीमत पर रहने की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है.
शिरडी में साईं बाबा के दर्शन के लिए जाने वाले भक्तों के रहने के लिए यहां पर शांति निवास और भक्त निवास नामक दो विशाल भवन है. जिसमें साईं भक्तों को रहने के लिए बहुत ही कम कीमत पर रहने की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है.