UP में बीजेपी की ये हैं हार के प्रमुख कारण

BJP, which claimed to win 80 seats in UP, was reduced to less than half the seats. While the election results have exposed the internal dissatisfaction among BJP workers, it has also exposed the shortcomings of the organization.

 

लखनऊ । यूपी में 80 सीटें जीतने का दावा करने वाली भाजपा आधे से भी कम सीटों पर सिमट गई। चुनाव परिणाम ने जहां भाजपा कार्यकर्ताओं में अंदर ही अंदर उपजे असंतोष को उजागर किया है, वहीं संगठन की कमियों का भी पर्दाफाश हुआ है। इस बार न तो भाजपा संगठन की तैयारी कारगर रही और न ही मतदाताओं पर सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का ही असर हुआ। 

26 मौजूदा सांसदों की हार


भाजपा के लिए 26 मौजूदा सांसदों की हार को भी भाजपा के लिए बड़ा संदेश माना जा रहा है। मनमाने ढंग से टिकट बंटवारे का भाजपा को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। टिकट बांटने के जिम्मेदारों ने अधिकांश सांसदों के खिलाफ स्थानीय स्तर पर जनता के बीच उभरे असंतोष को समझे बैगर मैदान में उतरने की वजह से सात केंद्रीय मंत्रियों समेत कुल 26 मौजूदा सांसदों को सीट गंवानी पड़ी है।


बड़े नेताओं के घरों में भी भाजपा पश्त


चुनाव परिणाम के मुताबिक पार्टी के बड़े नेताओं के घरों में भी भाजपा पस्त हुई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जैसे बड़े नेताओं के जीत की मार्जिन में भारी कमी आई है। वहीं, चुनाव लड़ने वाले सात केंद्रीय मंत्री और प्रदेश सरकार के चार में से दो मंत्री भी चुनाव हार गए। कई सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों को कड़ा संघर्ष का भी सामना पड़ा है।


कई प्रयोग भी फेल हुए


प्रदेश की 80 सीटों को जीतने के लिए भाजपा ने कई नए प्रयोग किए थे, लेकिन चुनाव परिणाम बता रहे हैं कि उनके सभी प्रयोग फेल साबित हुए हैं। सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों से संपर्क अभियान भी बेअसर रहा। टिफिन बैठक, विकसित भारत संकल्प यात्रा, मोदी का पत्र वितरण जैसे कई प्रमुख अभियान और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों को साधने की कोशिश भी नाकाम साबित हुई है।


वोट प्रतिशत में नौ फीसदी की कमी


पिछले चुनाव की तुलना में इस बार भाजपा की सीटें ही कम नहीं हुई हैं, बल्कि वोट प्रतिशत में भारी कमी आई है। 2019 के चुनाव में 62 सीटें जीतने वाली भाजपा को 49.97ः वोट मिले थे, लेकिन इस बार यह आंकड़ा 41.37 के करीब पहुंच गया है। हालांकि चुनाव परिणाम की अंतिम गणना होने के बाद इस आंकड़े में अंतर आ सकता है।