Jagruk Youth News: “baba-shivanand”वाराणसी के कबीर नगर में रहने वाले पद्मश्री बाबा शिवानंद महाराज ने 128 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। 3 मई 2025 को सर सुंदर लाल अस्पताल, बीएचयू, वाराणसी में उनका निधन हुआ। सांस लेने में तकलीफ के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाबा शिवानंद योग साधना, सादगी और अनुशासित जीवनशैली के प्रतीक थे। आज के दौर में, जब लोग कम उम्र में ही गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाते हैं, बाबा शिवानंद का जीवन हर किसी के लिए प्रेरणा है। इस लेख में हम उनके जीवन, योग साधना, दैनिक दिनचर्या और लंबी उम्र के रहस्यों को विस्तार से जानेंगे।
baba-shivanand : बाबा शिवानंद का प्रारंभिक जीवन
बाबा शिवानंद का जन्म 8 अगस्त 1896 को बंगाल के सिलहट्टी जिले में हुआ था। उनके जीवन की शुरुआत बेहद कठिन थी। छह साल की उम्र में उन्होंने अपने माता-पिता और बहन को भूख के कारण खो दिया। इस दुखद घटना ने उनके जीवन को गहरे रूप से प्रभावित किया। उन्होंने कम उम्र में ही संयम और सादगी का जीवन अपनाने का संकल्प लिया। बाबा ने बताया था कि बचपन में कई बार उन्हें भूखे पेट सोना पड़ा, जिसके कारण उन्होंने आधा पेट भोजन करने की आदत डाल ली।
जन्म: 8 अगस्त 1896, सिलहट्टी, बंगाल
प्रारंभिक कठिनाइयाँ: माता-पिता और बहन की भूख से मृत्यु
संकल्प: सादगी और संयम का जीवन
baba-shivanand : योग और साधना की शुरुआत
बाबा शिवानंद ने छह साल की उम्र से ही योग शुरू कर दिया था। बंगाल से काशी आने के बाद वे गुरु ओमकारानंद के शिष्य बने। 1925 में अपने गुरु के आदेश पर उन्होंने विश्व भ्रमण किया और 34 वर्षों तक विभिन्न देशों में योग का प्रचार किया। उनकी योग साधना में कठिन आसन, ध्यान और प्राणायाम शामिल थे। बाबा का मानना था कि योग न केवल शरीर को स्वस्थ रखता है, बल्कि मन और आत्मा को भी शुद्ध करता है।
“योग वह मार्ग है जो आपको अपने भीतर की शांति से जोड़ता है।” – बाबा शिवानंद
baba-shivanand : पद्मश्री सम्मान और मान्यता
21 मार्च 2022 को बाबा शिवानंद को भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान से नवाजा। 126 साल की उम्र में यह सम्मान पाने वाले वे सबसे उम्रदराज व्यक्ति थे। समारोह में उनकी चुस्ती-फुर्ती ने सभी को हैरान कर दिया। उन्होंने नंदी मुद्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को प्रणाम किया। पीएम मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में उनकी फिटनेस और योग के प्रति समर्पण की तारीफ की।
पद्मश्री: 21 मार्च 2022
विशेषता: सबसे उम्रदराज प्राप्तकर्ता
पीएम मोदी की प्रशंसा: मन की बात में उल्लेख
baba-shivanand : लंबी उम्र का रहस्य
128 साल की उम्र तक स्वस्थ रहना कोई साधारण बात नहीं है। बाबा शिवानंद की लंबी उम्र के पीछे उनकी अनुशासित जीवनशैली, योग और सादगी थी। आइए, उनके रहस्यों को विस्तार से जानते हैं:
baba-shivanand : योग और ध्यान
बाबा शिवानंद रोज सुबह 3 बजे उठकर एक घंटे तक योग और ध्यान करते थे। उनकी साधना में प्राणायाम, सूर्य नमस्कार और कठिन योगासन शामिल थे। वे मानते थे कि योग शरीर में ऊर्जा का संचार करता है और रोगों से बचाता है।
baba-shivanand : सादा आहार
बाबा का आहार बेहद सादा था। वे तेल, नमक और चीनी से मुक्त उबला हुआ भोजन खाते थे। दूध और फल जैसे “फैंसी” खाद्य पदार्थों से वे परहेज करते थे। उनका मानना था कि सादा भोजन पाचन को बेहतर रखता है और शरीर को हल्का बनाता है।
आहार: उबला भोजन (बिना तेल, नमक, चीनी)
परहेज: दूध, फल, तैलीय भोजन
baba-shivanand : अनुशासित दिनचर्या
बाबा की दिनचर्या पूरी तरह अनुशासित थी। वे सुबह 3 बजे उठते, योग करते, भगवद् गीता और देवी चंडी के श्लोकों का पाठ करते, और रात को जल्दी सो जाते। वे जमीन पर चटाई बिछाकर और लकड़ी के तख्ते को तकिया बनाकर सोते थे।
baba-shivanand : निस्वार्थ सेवा
बाबा शिवानंद ने अपना जीवन दूसरों की सेवा में समर्पित कर दिया। वे किसी से दान नहीं लेते थे और 1977 तक उन्होंने पैसे को हाथ भी नहीं लगाया। उनकी निस्वार्थ सेवा और इच्छाओं से मुक्त जीवन उनकी लंबी उम्र का एक बड़ा कारण था।
“इच्छाओं से मुक्त जीवन ही लंबी उम्र का रहस्य है।” – बाबा शिवानंद
baba-shivanand :बाबा शिवानंद की प्रेरणादायक शिक्षाएं
बाबा शिवानंद की शिक्षाएं आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं। उनकी कुछ प्रमुख शिक्षाएं:
योग अपनाएं: रोजाना योग करने से शरीर और मन स्वस्थ रहता है।
सादगी से जिएं: सादा भोजन और सादा जीवन बीमारियों से बचाता है।
सेवा करें: दूसरों की मदद करने से आत्मा को शांति मिलती है।
अनुशासन बनाए रखें: नियमित दिनचर्या लंबी उम्र की कुंजी है।
इच्छाओं पर नियंत्रण: इच्छाओं को कम करने से मानसिक शांति मिलती है।
baba-shivanand : महाकुंभ में उनकी उपस्थिति
बाबा शिवानंद पिछले 100 वर्षों से कुंभ मेले में शामिल होते रहे। 2025 के महाकुंभ में भी 128 साल की उम्र में वे शामिल हुए और अपनी उपस्थिति से लाखों लोगों को प्रेरित किया। उन्होंने गंगा-यमुना के संगम में स्नान किया और नई पीढ़ी को आशीर्वाद दिया। उनकी सादगी और समर्पण ने कुंभ मेले में आए लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
baba-shivanand : निधन और अंतिम यात्रा
3 मई 2025 को सांस लेने में तकलीफ के कारण बाबा शिवानंद को बीएचयू के सर सुंदर लाल अस्पताल में भर्ती किया गया। शनिवार रात को उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर ने वाराणसी सहित पूरे देश को शोक में डुबो दिया। 4 मई को हरिश्चंद्र घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके शिष्य और अनुयायी उनकी याद में श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित कर रहे हैं।
पद्मश्री बाबा शिवानंद महाराज का जीवन योग, सादगी और सेवा का एक जीवंत उदाहरण है। 128 साल की उम्र तक स्वस्थ और सक्रिय रहकर उन्होंने दुनिया को दिखाया कि अनुशासित जीवनशैली और सकारात्मक सोच के साथ लंबा और स्वस्थ जीवन संभव है। उनकी शिक्षाएं और जीवनशैली आज भी हमें प्रेरित करती हैं। आइए, हम उनके दिखाए मार्ग पर चलें और अपने जीवन में योग, सादगी और सेवा को अपनाएं।
ॐ शांति!