OMG! ये शख्स एक माह में 25 दिनों तक सोता है, जागने के लिये परिजनों को आ जाता है पसीना ​​​​​​​

स्थानीय मीडिया के मुताबिक, कुछ घंटों की कोशिश के बाद शख्स मुश्किल से दो मिनट के लिए उठा और फिर इंटरव्यू के बाद सीधे सो गया.
 
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Rjasthan news: एक मामला हैरान  कर देने वाला सामने आया है. एक शख्स माह के 30 दिनों में करीब 25 दिनों तक लगातार सोता है. जिसे जगाने में परिजनों को पसीना आ जाता है पर वे नहीं जागता है.
मामला राजस्थान के नागौर जिले का है. जानकारी के अनुसार पुरखाराम (42) एक्सिस हाइपरसोमनिया नामक बीमारी के चलते साल में 300 दिन सोते हैं.

स्थानीय मीडिया के मुताबिक, कुछ घंटों की कोशिश के बाद शख्स मुश्किल से दो मिनट के लिए उठा और फिर इंटरव्यू के बाद सीधे सो गया.परिजनों के मुताबिक एक बार सोने के बाद 25 दिन तक नहीं उठते। दरअसल, इसकी शुरुआत करीब 23 साल पहले हुई थी, जब पुरखाराम पांच-सात दिन सोता था, लेकिन घरवालों को उसे जगाने में पसीना आ जाता था.परेशान परिजनों ने इलाज भी कराया लेकिन बीमारी का पता नहीं चल सका। इसके बाद धीरे-धीरे पुरखाराम के सोने का समय बढ़ता गया और अब वह महीने में 25 दिन सोते हैं।

पुरखाराम ने संवाददाताओं से कहा कि वह जागना चाहते हैं लेकिन उनका शरीर साथ नहीं देता। उन्होंने कहा कि वह इलाज करवा-करवा कर थक चुके हैं। अब सब कुछ भगवान के भरोसे है। इसके बाद वह बैठे-बैठे ही सो गया।उनकी पत्नी लिछमी देवी ने कहा कि उनकी गांव में पहले एक दुकान थी जो अब बंद हो गई है। जबकि खेती पर परिवार का गुजारा चल रहा है। एक बार पुरखाराम के सो जाने के बाद उसे जगाना लगभग असंभव हो जाता है।

जब वह सो रहा होता है तो उसके रिश्तेदार उसे खाना खिलाते हैं। जब उसे बाथरूम जाना होता है तो वह नींद में बेचौन हो जाता है। फिर परिजन उन्हें बाथरूम में ले जाते हैं और उन्हें पकड़कर टॉयलेट सीट पर बिठा दिया जाता है.अभी तक पुरखाराम की नींद का कोई इलाज नहीं खोजा जा सका है, लेकिन पुरखाराम की मां कंवरी देवी और पत्नी लिछमी देवी को उम्मीद है कि वह जल्द ही ठीक हो जाएगा और पहले की तरह अपना जीवन व्यतीत करेगा.

विशेषज्ञों के अनुसार हाइपरसोमनिया दो तरह का होता है। इस मामले में सामने आया है कि पुरखाराम लगातार हाइपरसोमनिया से पीड़ित होने के बाद अब सेकेंडरी हाइपरसोमनिया यानी एक्सिस हाइपरसोमनिया का शिकार हो गया है. इससे उन्हें कई दिनों से लगातार नींद आ रही है। जानकारों का भी कहना है कि वह अब कभी ठीक नहीं होंगे, ठीक हो सकते हैं। चिकित्सा विज्ञान में पूर्ण निदान के बाद नियमित और उचित इलाज से इसका इलाज संभव है।

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