Video : आशुतोषाम्वरी को समाधि में जानें के बाद भी आज शिष्यों को विश्वास है की वे जिन्दा है जानिए पूरी क्या है सच्चाई !
आश्रम के प्रवक्ता बाबा महादेव ने बताया कि सरकारी डॉक्टरों की सलाह पर 8 फरवरी को निजी डॉक्टरों की टीम से उनके कपाल की जांच कराई गई जिसको ईईजी टेस्ट कहते हैं. इस टेस्ट में 28 पन्नों की रिपोर्ट है और यही कहा गया है कि उनके कपाल के अंदर अभी भी कोई ना कोई हलचल हो रही है, जबकि अब 13 दिन बीत चुके हैं.
नई दिल्ली। साध्वी गुरु मां आशुतोषाम्वरी ने 28 जनवरी 2024 को अपने गुरु ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक आशुतोष महाराज को उनके शरीर में वापस लाने के लिए समाधि लेने की बात कहकर समाधि ले ली थी. मां आशुतोषाम्वरी ने जाते वक्त अपने शिष्यों से उनके शरीर को संरक्षित करने को कहा था क्योंकि वह अपने गुरु आशुतोष महाराज को जगा कर वह अपने शरीर में वापस आएंगी.
यही वजह है कि तब से लेकर अब तक साध्वी गुरु मां आशुतोषाम्वरी के शरीर पर केमिकल लगाकर शरीर को कमरे में ही रखा गया है. उनके शरीर में कोई हलचल नहीं हो रही है. आश्रम के शिष्य मान रहे हैं कि मां के प्राण कपाल में चले गए हैं, क्योंकि उन्होंने समाधि ली है और समाधि में ऐसा ही होता है. साध्वी अशुतोषाम्वरी ने समाधि में जाने से पहले अपने भक्तों के लिए एक वीडियो जारी किया था. इस वीडियो में उन्होंने कहा था कि वह अपने गुरु आशुतोष महाराज को उठाने में सक्षम नहीं है इसलिए वह समाधि ले रही हैं. बता दें कि 10 साल पहले समाधि ले चुके आशुतोष महाराज के शरीर को उनके शिष्यों ने सुरक्षित रखा हुआ है और उनकी आस्था है कि वह एक दिन समाधि से उठेंगे.
आश्रम के प्रवक्ता बाबा महादेव ने बताया कि सरकारी डॉक्टरों की सलाह पर 8 फरवरी को निजी डॉक्टरों की टीम से उनके कपाल की जांच कराई गई जिसको ईईजी टेस्ट कहते हैं. इस टेस्ट में 28 पन्नों की रिपोर्ट है और यही कहा गया है कि उनके कपाल के अंदर अभी भी कोई ना कोई हलचल हो रही है, जबकि अब 13 दिन बीत चुके हैं.
इस पूरे मामले पर सरकारी अस्पताल लोक बंधु चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया कि जब भी कोई डॉक्टर किसी को मृत घोषित करता है तो उसकी सांस, दिल और पल्स की जांच की जाती है. अगर तीनों काम नहीं कर रहे हैं आधे घंटे तक तो उसे हम मृत्यु घोषित कर देते हैं. विज्ञान कभी यह नहीं कहता कि जिसकी यह तीनों ना चल रही हो वह जिंदा हो सकता है.उन्होंने बताया कि हां अगर किसी मरे हुए व्यक्ति के शरीर पर केमिकल लगा दिया जाए या उसके शरीर को डीप फ्रीजर में रख दिया जाए तो उसके शरीर को सालों साल तक संरक्षित किया जा सकता है लेकिन विज्ञान और आस्था दोनों अलग है. जिनकी आस्था का यह मामला है उस पर कोई भी टिप्पणी नहीं की जा सकती.डॉक्टर अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया कि इस तरह की कंडीशन को डीप कोमा कंडीशन भी कह सकते हैं.
आश्रम की संस्थापिका के समाधि लेने की बात जैसे ही देशभर में फैली, तो लोगों ने इसे पाखंड और अंधविश्वास का नाम दे दिया. यही नहीं, बड़े-बड़े वैज्ञानिक मेडिकल टीम को भेजकर जांच कराने की मांग कर रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि यहां पर गुरु मां के दर्शन के लिए भीड़ लगने लगी है. उनको शरीर में वापस लाने के लिए पूरे आश्रम में यज्ञ और हवन हो रहे हैं.
आप को बताते आशुतोषाम्वरी कौन है मीडिया को आनंद आश्रम के प्रवक्ता बाबा महादेव ने बताया कि आशुतोषाम्वरी का जन्म बिहार में हुआ था. दिल्ली में दक्षिणा हासिल की और दिल्ली में ही लंबे वक्त तक रहने के बाद आनंद आश्रम आ गईं. इसके बाद लखनऊ आकर प्रवचन देना शुरू कर दिया और लोगों को अध्यात्म से जोड़ा.
अगर इनके गुरू की बात करें तो आशुतोष महाराज ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक है जिन्होंने 28 जनवरी 2014 को समाधि ली थी. समाधि लेने से पहले उन्होंने अपने भक्तों से कहा था कि वह अपने शरीर में फिर से लौटकर आएंगे. उनकी इस बात पर विश्वास करके उनके भक्तों ने अभी तक उनका शरीर सुरक्षित रखा है. आशुतोष महाराज के शरीर को पंजाब के जालंधर के नूर महल में सुरक्षित रखा गया है. शव को डीप फ्रीजर में रखा गया है.