सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क की अपने सियासी तेवरों के कारण उनकी राजनीति में अलग रही है पहचान

शफीकुर्रहमान बर्क़ मुसलमानों के हितों को लेकर हमेशा मुखर रहे. शफीकुर्रहमान के बेटे भी समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक हैं. वह बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक रह चुके थे। मुस्लिमों के मुद्दों को उठाने और वंदेमातरम पर अपने बयानों को लेकर सियासत में चर्चित रहे डा. शफीकुर्रहमान बर्क एक बार फिर सपा की सियासत में बड़ा चेहरा बनकर उभरे। उनका सियासी सफर 60 वर्ष से ज्यादा का था। 
 
dr. shafiqur rahman burke

संभल। मुबारक हुसैन 


समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और संभल से सांसद शफीकुर्रहमान बर्क का मंगलवार को निधन हो गया. वे 94 साल के थे. शफीकुर्रहमान बर्क काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। आगामी लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने उन्हें संभल से प्रत्याशी बनाया था.

शफीकुर्रहमान लोकसभा में सबसे बुजुर्ग सांसद थे. शफीकुर्रहमान बर्क चार बार विधायक और पांच बार सांसद रहे हैं. उन्होंने पहली बार समाजवादी पार्टी की टिकट पर 1996 में लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. वहीं, वह 2014 के मोदी लहर में भी बर्क बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़े थे और जीत हासिल की थी.


शफीकुर्रहमान बर्क़ मुसलमानों के हितों को लेकर हमेशा मुखर रहे. शफीकुर्रहमान के बेटे भी समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक हैं. वह बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक रह चुके थे। मुस्लिमों के मुद्दों को उठाने और वंदेमातरम पर अपने बयानों को लेकर सियासत में चर्चित रहे डा. शफीकुर्रहमान बर्क एक बार फिर सपा की सियासत में बड़ा चेहरा बनकर उभरे। उनका सियासी सफर 60 वर्ष से ज्यादा का था। 


वह 1967 में संभल विधानसभा क्षेत्र से पहला विधानसभा चुनाव लड़े थे पर कामयाब नहीं हो सके थे। उन्हें राज्य विधानसभा के चुनाव में पहली कामयाबी 1974 में मिली थी। बीकेडी से विधायक चुने गए। इसके बाद 1977 में जनता पार्टी और 1985 में लोकदल, 1989 में जनता दल से विधायक बने।

एक बार मुलायम सिंह यादव की सरकार में होमगार्ड विभाग के मंत्री भी रहे। संसद में उन्होंने 1996 में कदम रखा। जनता दल के टिकट पर वर्ष 1996 के चुनाव में मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए। इसके बाद वर्ष 1998 और 2004 में मुरादाबाद संसदीय सीट से सपा के सांसद चुने गए।

जबकि 2009 में संभल लोकसभा क्षेत्र से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े और चौथी बार सांसद चुने गए। वर्ष 2014 का लोकसभा चुनाव उन्होंने सपा से लड़ा था पर मामूली अंतर से हार गए थे। वर्ष 2019 में सपा-बसपा-रालोद के गठबंधन से चुनाव जीते और पांचवीं बार सांसद चुने गए। 

डॉ शफीकुर्रहमान बर्क यूपी की संभल लोकसभा सीट से सांसद थे। 94 साल सांसद हमेशा खुलकर तमाम मुद्दों पर अपनी बात भी रखते थे। कई बार उनके बयानों काफी सुर्खियां बटोरी भी, लेकिन हर मुद्दे पर उनकी अलग राय होती थी, जिसे वो कहने में कभी गुरेज नहीं करते थे फिर चाहे वो देश से जुड़े मुद्दे हों या फिर उनकी अपनी पार्टी सपा से जुड़े विषय हों। यही वजह है विपक्षी पार्टी से सांसद होने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें लेकर तारीफें की थी। जानकारों की मानें तो अगले लोकसभा चुनाव में इनके न रहने से समाजवादी पार्टी पर असर पड़ सकता है लेकिन व समय बतायेंगा आगे क्या होगा।

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