CAA क्या है और आपकी नागरिकता पर इसका क्या पड़ेगा असर !

 नागरिकता संशोधन अधिनियम  को आसान भाषा में समझे तो इस कानून के तहत भारत के तीन मुस्लिम पड़ोसी देश- पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर मुस्लिम प्रवासी, इनमें भी 6 समुदाय (हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी) को भारत की नागरिकता देने के नियम को आसान बनाया गया है. 

 
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नई दिल्ली। गृह मंत्री शाह ने ऐलान कर दिया है कि लोकसभा चुनाव से पहले नागरिकता संशोधन अधिनियम का नोटिफिकेशन जारी कर दिया जायेगा। सबसे पहले जानते है कि  क्या है नागरिकता कानून अधिनियम 2019

 नागरिकता संशोधन अधिनियम  को आसान भाषा में समझे तो इस कानून के तहत भारत के तीन मुस्लिम पड़ोसी देश- पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर मुस्लिम प्रवासी, इनमें भी 6 समुदाय (हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी) को भारत की नागरिकता देने के नियम को आसान बनाया गया है. 

नागरिकता संशोधन अधिनियम से पहले किसी भी व्यक्ति को भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम 11 साल तक इस देश में रहना जरूरी था. हालांकि नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के तहत इस 11 साल के नियम को आसान बनाया गया है और भारत की नागरिकता हासिल करने की अवधि को 1 से 6 साल कर दिया गया. यानी भारत के इन तीनों पड़ोसी देशों के 6 धर्मों के लोग पिछले एक से छह सालों में भारत आकर बसे हैं तो उन्हें भी भारत की  नागरिकता मिल सकेगी.

आपके मन में एक सावल उठेगा कि ये अवैध प्रवासी है कौन है आसन भाषा में आप समझ सकते है कि  नागरिकता कानून, 1955 के तहत अवैध प्रवासियों को भारत की नागरिकता नहीं मिल सकती है. इस कानून के तहत वो लोग अवैध प्रवासी हैं जो इस देश में बिना किसी पासपोर्ट या वीजा के घुस आए है या फिर पासपोर्ट, वीजा या वैध दस्तावेज तो लेकर आए हैं लेकिन वह तय किए गए समये से ज्यादा दिनों तक यहां रुक गए हों.

19 जुलाई, 2016 को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 पेश किया गया था और एक महीने बाद यानी 12 अगस्त, 2016 को इस विधेयक को संयुक्त संसदीय कमेटी के पास भेजा दिया गया था. जिसकी रिपोर्ट 7 जनवरी, 2019 को सौंपी गई. कमेटी के रिपोर्ट सौंपने के एक दिन बाद यानी 8 जनवरी, 2019 को इस विधेयक को लोकसभा में पास कर दिया गया. हालांकि उस वक्त यह विधेयक राज्यसभा में पेश नहीं हो पाया था. इसके बाद शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार की फिर से नए सिरे से इस विधेयक को पेश करने की तैयारी है. 

नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को  9 दिसंबर 2019 को लोकसभा में पेश किया गया. यहां से पास होने के बाद 11 दिसंबर 2019 को राज्यसभा में पेश किया गया जिसमें 125 वोट विधेयक के पक्ष में पड़े थे और 99 वोट इसके खिलाफ में पड़े थे. इसके बाद 12 दिसंबर 2019 को राष्ट्रपति द्वारा इसे मंजूरी दे दी गई और भारी विरोध के बीच यह बिल दोनों सदनों से पास होने के बाद कानून की शक्ल ले चुका था.  हालांकि, कानून अभी लागू होना बाकी है क्योंकि सीएए के तहत नियम बनाए जाने अभी बाकी हैं


नागरिकता संशोधन विधेयक उन्हें अपने आप नागरिकता नहीं देता है बल्कि अवैध प्रवासियों को आवेदन करने के लिए योग्य बनाता है. ये कानून उन लोगों पर लागू होगा जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए थे. इस कानून के तहत इन प्रवासियों को भारत की नागरिकता पाने के लिए आवेदन करना होगा. इस कानून में कुछ अहम बातों की पुष्टि करनी जरूरी होगा जैसे-  

आवेदन करने वाले अवैध प्रवासियों को दिखाना होगा कि वो भारत में कम से कम पांच साल तक रह चुके हैं.
प्रवासियों को साबित करना होगा कि वे अपने देश से धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आए हैं.
इसके साथ ही वो प्रवासी नागरिकता कानून 1955 की तीसरी सूची की अनिवार्यताओं को पूरा करते हों.
इस अहम बातों की पुष्टि करने के बाद ही भारत सरकार किसी भी प्रवासी को लेकर निर्णय करेगी कि वो उन्हें इस देश की नागरिकता देंगे या नहीं.

वहीं नागरिकता संशोधन कानून का विपक्ष  सबसे ज्यादा विरोध करते आए हैं. विपक्षी अनुसार इस पूरे कानून के तहत मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया गया है. विपक्षी पार्टियों का कहना है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है जो समानता के अधिकार की बात करता है. 

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