अयोध्या में एक और सियासी मुकाबले के लिये बिछ रही है बिसात ​​​​​​​

BJP, which faced defeat at the hands of Samajwadi Party from Prabhu Shri Ram's city and Ayodhya Lok Sabha constituency, is planning to avenge its shameful defeat by once again defeating Samajwadi Party in the by-election of Milkipur Legislative Assembly under Ayodhya. She is making.

 
Ayodhya

  संजय सक्सेना, लखनऊ 

संजय सक्सेना, लखनऊ

   लखनऊ। प्रभु श्री राम की नगरी और अयोध्या लोकसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के हाथों हार का सामना करने वाली भाजपा अपनी शर्मनाक हार का बदला लेने के लिए एक बार फिर समाजवादी पार्टी को  अयोध्या अंतर्गत आने वाली मिल्कीपुर विधान सभा के उप चुनाव में पटकनी देने के लिये रणनीति बना रही है। ताकि आम चुनाव में मिली हार के दर्द को कुछ कम किया जा सके। इसके लिये बीजेपी काफी सोच विचार के बाद यहां प्रत्याशी तय करने में लगी है । बता दें मिल्कीपुर विधान सभा क्षेत्र के विधायक अवधेश प्रसाद के सांसद चुने जाने के बाद उनकी यह सीट रिक्त हो गई है,जहां जल्द ही उप-चुनाव होने हैं। वैसे तो चुनाव लड़ने के लिए भाजपा के कई दावेदार सामने आ गए हैं,लेकिन अभी तक किसी का नाम फायनल नहीं हो पाया है।दावेदारों में पूर्व विधायक से लेकर जिला पंचायत सदस्य और प्रधान तक शामिल हैं। पासी समाज से सबसे ज्यादा नाम सामने आए हैं। यदि सपा ने भी अपनी इस सीट को दोबारा हासिल करने के लिए पासी समाज से उम्मीदवार उतारा तो बीजेपी किसी अन्य जाति के प्रत्याशी पर विचार कर सकती है।


    बता दें उत्तर प्रदेश में अगले कुछ महीनों में विधान सभा के लिये उप चुनाव होने वाले हैं।यह वह सीटें हैं जहां के विधायक सांसद बन चुके हैं। ऐसी 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए हलचल अभी से शुरु हो गई है. वहीं सूबे के जिन 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उसमें फैजाबाद (अयोध्या) लोकसभा की मिल्कीपुर विधानसभा भी शामिल है।फैजाबाद से लोकसभा चुनाव हारने के बाद यह सीट भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। जानकारी के मुताबिक अयोध्या की हार से उबरने के लिए बीजेपी मिल्कीपुर की सीट के लिए अपना ट्रंपकार्ड खेलेगी। यहां से भाजपा प्रत्याशी का नाम चौंकाने वाला हो सकात है। बीजेपी यह सीट किसी भी कीमत पर जीतना चाहेगी है जिससे फैजाबाद में मिली हार को बैंलेस किया जा सक।


 गौरतलब हो, अवधेश प्रसाद के फैजाबाद लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित होने के बाद यहां अब उप चुनाव होना तय है। अब निर्वाचन आयोग को उप चुनाव की घोषणा करनी है। इसी के साथ लोकसभा चुनाव में हार का सामना करने वाली भाजपा में इस सीट पर एक बार कब्जा जमाने के मकसद से हलचल शुरू हो गई है। पूर्व विधायक रहे बाबा गोरखनाथ अपनी उम्मीदवारी तय मानकर चल रहे हैं। यह अलग बात है कि पार्टी ने अभी कुछ फाइनल नहीं किया है। वैसे भी गोरखनाथ को वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के अवधेश प्रसाद ने 12,923 वोटों से पराजित किया था। इस लोकसभा चुनाव में गोरखनाथ लल्लू सिंह को इस सीट पर नहीं जिता सके। भाजपा को यहां पर 7,733 मतों से हार का सामना करना पड़ा था।

गोरखनाथ वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में 28,076 वोटों से जीतकर पहली बार विधायक चुने गए थे। इस बीच गोरखनाथ के अलावा टिकट के दावेदारों के रूप में जो नाम सामने आए हैं, उनमें पूर्व विधायक रामू प्रियदर्शी, नीरज कनौजिया, आरएसएस की पृष्ठभूमि से जुड़े रहे जिला महामंत्री कांशीराम रावत, राधेश्याम त्यागी, चंद्रभानु पासवान, लक्ष्मी रावत और जिला पंचायत सदस्य बबलू पासी प्रमुख हैं। इसमें से कई पासी समाज से आते हैं। इस समाज से कई दावेदारों के चलते पार्टी के लिए एक नाम का चयन करना थोड़ा मुश्किल होगा। ऐसे में किसी अन्य बिरादरी से जुड़े चेहरे को भी आजमाया जा सकता है। फिलहाल संगठन ने सभी नामों पर विचार करते हुए दावेदारों की जीत और हार की संभावनाओं को खंगालना शुरू कर दिया है। प्रत्याशी के बारे में अंतिम फैसला स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लेगें।


   बता दें 2022 के विधानसभा चुनाव में फैजाबाद लोकसभा सीट के अंतर्गत  आने वाली पांच में से चार विधानसभा सीटों दरियाबाद, रूदौली,अयोध्या और बीकापुर में भाजपा को जीत मिली थी। वहीं मिल्कीपुर सुरक्षित सीट से सपा के अवधेश प्रसाद जीते थे।  यहां तीसरी बार उपचुनाव होगा। 1998 में यहां से सपा के मित्रसेन यादव विधायक थे, जो चुनाव जीतकर सांसद बने थे,  2004 में सपा विधायक आनंदसेन ने विधायकी से इस्तीफा देकर बसपा का दामन थाम लिया था. उपचुनाव में सपा के रामचंद्र यादव विधायक बने. यहां से अवधेश प्रसाद दूसरे ऐसे नेता होंगे जो मिल्कीपुर से लोकसभा जाएंगे।  जातीय आकड़ां की बात करें तो यहां कुल वोटर करीब 3 लाख 40 हजार हैं. जिसमें 18 लाख 24 हजार पुरुष जबकि 15 लाख 83 हजार महिला मतदाता हैं. अनुमानित आंकड़े देखें तो यहां 55 हजार पासी, 60 हजार ब्राह्मण, 55 हजार यादव, 30 हजार मुस्लिम, 25 हजार दलित, 25 हजार ठाकुर, कोरी 20 हजार, चौरसिया 18 हजार, वैश्य 12 हजार, पाल सात हजार, मौर्य पांच हजार, अन्य 28 हजार हैं।


   फैजाबाद लोकसभा सीट पर भाजपा की हार से पूरे देश में तमाम सवाल उठ रहे हैं। राम मंदिर बनने के बाद यहां पहला लोकसभा चुनाव हुआ और उसमें भाजपा को असफलता मिली। अब मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र की चर्चा है,जहां चुनाव प्रस्तावित हैं।वैसे मिल्कीपुर के बारे में कहा जाता है कि वह अपने अलग अंदाज के लिये जाना जाता है। यहां सामंतशाही, हिंसा और गरीबी का राज है। वक्त के साथ कुछ कम तो हुआ है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी जड़ें अभी भी मजबूत हैं। कभी इन्हीं जड़ों को हिलाने की कोशिश करने वाले मित्रसेन यादव को दलित-पिछड़े वर्ग के लोगों का साथ मिला था। उन्हें विधायक और सांसद भी बनाया लेकिन 2015 में उनकी मृत्यु के बाद इस वोट बैंक को बचाने और पीड़ितों को अपनी आवाज उठाने वाले की दरकार है। फैजाबाद जिला(अब अयोध्या) की राजनीति में जाति, हिंसा और सामंतशाही हमेशा प्रभावी रही है।

मिल्कीपुर विधानसभा भी अछूती नहीं रही। चुनावी रंजिश में कई लोगों की जान जा चुकी है। प्रत्याशियों पर भी जानलेवा हमले हुए हैं। मिल्कीपुर में जाति, राजनीति और प्रशासन का समन्वय विषय पर पीएचडी करने वाले लखनऊ यूनिवर्सिटी के समाज शास्त्र विभाग के प्रोफेसर राम गणेश का कहना है कि मिल्कीपुर में एससी-एसटी व ओबीसी की आबादी अधिक है, लेकिन हिंसा और सामंतशाही के कारण राजनीति व समाज में उनका कोई स्थान नहीं था। आपातकाल के समय मित्रसेन यादव, शीतला सिंह, विंध्याचल सिंह और राजबली ने कम्युनिस्ट पार्टी के सहारे काम शुरु किया। प्रोफेसर रामगणेश का कहना है कि मित्रसेन और उनके साथी दबे-कुचले लोगों में राजनीतिक चेतना पैदा करने के लिए गांवों ड्रामा किया करते थे।


  मित्रसेन यादव पहली बार 1977 में यहां से विधान सभा चुनाव जीते। इसके बाद 1980, 1985, 1993, 1996 में विधायक बने। हंसिया-बाली छोड़कर मित्रसेन मुलायम सिंह यादव के साथ हो गए। मित्रसेन वर्ष 1989, 1998 व 2004 में सांसद भी रहे। इनके बेटे आनंद सेन भी सपा से 2002 में, बसपा से 2007 में चुनाव जीते। वर्ष 2012 में मिल्कीपुर सीट सुरक्षित हो गई और सपा के अवधेश प्रसाद जीते। वैसे यहां से वर्ष 1989 में ब्रजभूषण मणि त्रिपाठी कांग्रेस से और 1991 में भाजपा से मथुरा प्रसाद तिवारी विधायक बने।


  तमाम दावों-प्रतिदावों के बीच मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में कई समस्याएं भी हैं। किसानों की पीड़ा है कि छुट्टा जानवर पूरी फसल तबाह कर रहे हैं लेकिन मुआवजे जैसी कोई बात नहीं हैं। गांवों की सड़कें जर्जर हैं और रोजगार के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। बच्चों की अच्छी पढ़ाई की व्यवस्था भी नहीं हो पा रही है।  क्षेत्र के एक निजी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ.वेद प्रकाश यादव कहते हैं कि ये समस्याएं कभी मुद्दा नहीं बनती हैं। इसकी वजह लोग मुद्दों पर नहीं बल्कि जाति के नाम पर वोट करते हैं। इनका कहना है कि जब तक लोग जागरूक नहीं होंगे, तब तक समस्याएं बनी रहेंगी।

ये लेखक के अपने विचार है। 

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