पराली नहीं जलाने वाले किसानों को सरकार देगी आर्थिक सहायता ​​​​​​​

राणा ने कहा कि फसल अवशेष को खेत में मिलाने से मृदा में कार्बन और अन्य पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे अगली फसलों की पैदावार में भी वृद्धि होती है। उन्होंने बताया कि कई प्रगतिशील किसान अब फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर उर्वरक के रूप में उपयोग कर रहे हैं।
 
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Photo Credit: hryana

Jagruk Youth News Desk, Chandigarh, Nov 05 , 2024, Written By: Bhoodev Bhagalia,  चंडीगढ़। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा किसानों को पराली को खेत में मिलाकर खाद के रूप में उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जिससे न केवल भूमि की उर्वरता में वृद्धि हो रही है बल्कि किसानों के लिए आर्थिक लाभ भी सुनिश्चित हो रहे हैं।

राणा ने कहा कि फसल अवशेष को खेत में मिलाने से मृदा में कार्बन और अन्य पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे अगली फसलों की पैदावार में भी वृद्धि होती है। उन्होंने बताया कि कई प्रगतिशील किसान अब फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर उर्वरक के रूप में उपयोग कर रहे हैं।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने बताया कि हरियाणा में लगभग 28 लाख एकड़ भूमि पर धान की खेती होती है। इस साल राज्य सरकार द्वारा किसानों में जागरूकता के लिए चलाई गई मुहिम का नतीजा है कि पराली जलाने की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है।

राज्य सरकार ने इन-सीटू और एक्स-सीटू प्रबंधन के लिए किसानों को सब्सिडी पर मशीनें उपलब्ध कराई हैं और जो किसान पराली नहीं जलाते हैं, उन्हें सरकार की ओर से प्रति एकड़ 1,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है।
  श्याम सिंह राणा ने यह भी कहा कि हरियाणा सरकार के इन प्रयासों की सराहना सुप्रीम कोर्ट ने भी की है और यह हरियाणा ही है जो किसानों को इस तरह की सहूलियतें प्रदान कर रहा है। साथ ही, उन्होंने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के लिए पराली जलाने को एकमात्र कारण मानने को गलत बताया।  

Published By: Bhoodev Bhagalia

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