Haryana News : हरियाणा में डेरे जगमालवाली की परंपरा के अनुसार महात्मा बीरेंदर को सौंपी गद्दी
Haryana News : डेरा जगमालवाली के संत वकील साहब के चोला छोड़ने के बाद उनकी गद्दी को लेकर उपजा विवाद शुक्रवार को लगभग समाप्त हो गया है। डेरा में उपजे विवाद को लेकर एक दिन के लिए नेटबंद कर दिया गया था।हरियाणा में SIRSA जिले के मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम जगमालवाली में डेरा प्रबंधक कमेटी कमेटी व ग्रिविएंस कमेटी की बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में पूजनीय महाराज बहादुर चंद वकील साहब के निधन के बाद डेरे की गद्दी सौंपने की परम्परा का पालन करने पर विचार मंथन किया गया। इस पधादिकारियों व् ट्रस्टियों ने फैसला लिया कि पूज्य महाराज के हुक्म की पालना के लिए महाराज जी द्वारा की गयी वसीयत मुताबिक महात्मा बीरेंदर को गद्दी सौंपी जाए। डेरा की परम्परा के अनुसार महात्मा बीरेंद्र को गद्दी सौंप दी गयी।
इस दौरान पूजनीय महाराज वकील साहब का परिवार भावुक हो गया। महाराज जी की बहन ने महात्मा बीरेंदर के सिर पर हाथ रखते हुए कहा कि डेरे को अब आप संभाल लो। डेरा मैनेजमेंट व् दूसरी कमेटियों के महत्वपूर्ण बैठक पूजनीय महाराज वकील साहिब के भाई शंकर लाल, बहन लक्सवरी देवी, भांजा संजय, भतीजा विष्णु, डेरा ग्रिविएंस कमेटी के सदस्य अनिल बेगावाली, डेरे के महात्मा सूरज, राज भिंडर जगमालवाली, महात्मा नाहर सिंह, जगमालवाली गाँव के सरपंच प्रतिनिधि सत्तू, मंदर नंबरदार, गुरदास जगमालवाली, कुलदीप प्रधान, प्रवीण पीपली व कमेटी के अन्य सदस्य उपस्थित रहे।
इस बैठक में महाराज के भाई शंकर लाल जी ने कहा कि डेरे की परम्परा में गद्दी को खाली नहीं छोड़ा जा सकता और महाराज जी के हुक्मानुसार डेरे की गद्दी सौपने के कार्य की पालना की गई है, भतीजे विष्णु ने कहा कि हर डेरे की अपनी परम्पराएं होती है। हमारी भी अपनी परम्पराए है और उन्ही परम्पराओं का निर्वहन आज किया गया है। महात्मा बीरेंदर को मैनेजमेंट के आग्रह और परम्पराओं के अनुसार उन्हें पगड़ी पहनाई गई।
डेरा जगमालवाली के संत वकील साहब के चोला छोड़ने के बाद उनकी गद्दी को लेकर उपजा विवाद शुक्रवार को लगभग समाप्त हो गया है। डेरा में उपजे विवाद को लेकर एक दिन के लिए नेटबंद कर दिया गया था।
सेवा और सिमरन जारी रहेगा- महात्मा बीरेंदर
इसके बाद महात्मा बीरेंदर ने कहा कि मैनेजमेंट कमेटी ने डेरा की परंपरा के तहत गद्दी सौंपने संबंधी कार्य किया है। डेरे का कामकाज सामान्य रूप से चले इस पर ध्यान दिया जाना जरूरी था, साध संगत के मन अनेक व्यक्तियों ने कई अफवाहे फैला दी और कई प्रश्न्न पैदा कर दिए है। डेरे के लिए सबसे बड़ी ताक़त उनकी संगत है। डेरा में सेवा व सिमरन जारी रहेगा। वे पहले की तरह ही डेरे में अपनी सेवाए देते रहेंगे।
महात्मा बीरेंदर दोपहर को ही डेरे में पहुंचे तो बड़ी संख्या में श्रद्धालु इक_े हो गये और महात्मा बीरेंदर से मिलने पहुँचने लगे 7 शाम तक डेरे में संगत से मिलने का सिलसिला चलता रहा।