Mpox Symptoms: हेल्थ एक्सपर्ट्स ने बताया ऐसे रोका जा सकता है एमपॉक्स?
Mpox Symptoms: अफ्रीका, कांगो और कई यूरोपीय देश भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। हालांकि, कोविड खत्म होते ही WHO ने इस वायरस को लेकर चिंता जतानी शुरू कर दी थी। लेकिन फिर भी इसका कहर धीरे-धीरे कई देशों में बढ़ रहा है।
Mpox Symptoms: कब की थी घोषणा?
WHO ने पहली बार एमपॉक्स को लेकर मई 2023 में इमरजेंसी की घोषणा की थी। इसके बाद फिर साल 2024 में इसे हेल्थ इमरजेंसी बताया था। लेकिन तब तक इस वायरस ने डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में 575 लोगों की जान ले ली थी। इस देश में यह वायरस 30 गुना अधिक तेजी से फैल रहा था। अब यूरोप और एशिया में भी यह वायरस पैर पसार रहा है।
Mpox Symptoms: क्या रोका जा सकता था वायरस का संक्रमण?
हाल ही में कुछ शोधकर्ताओं से पता चला है कि मंकीपॉक्स दुनिया में इससे पहले लगभग 3000 सालों तक चेचक, जो कि मंकीपॉक्स जैसा ही एक संक्रमण है, से पीड़ित था। इब्राहिम लिंकन, जॉर्ज वॉशिंगटन जैसे लोग भी इससे संक्रमित हुए थे।
Mpox Symptoms: कब बना था पहला टीका
इस वायरस के लिए सबसे पहला टीका साल 1796 में बनाया गया था, तब इसे चेचक ही माना जाता था। टीका निर्माण होने के बाद भी यह सभी तक नहीं पहुंच पाया था। क्योंकि, उस वक्त ऐसे संसाधन नहीं थे जो लोगों की गिनती कर सकें और उन तक टीका पहुंचा सकें।
Mpox Symptoms: कब शुरू हुआ था टीका अभियान
टीका निर्माण होने के दो दशकों बाद, तकरीबन साल 1959 में चेचक को लेकर टीका अभियान की शुरुआत हुई थी। टीका अभियान सफल होने में भी काफी साल लग गए थे।
Mpox Symptoms: इसके बाद क्या हुआ था
टीका अभियान की समाप्ति के बाद सोमालिया के शहर मर्का में इसका एक आखिरी मामला दर्ज किया गया था। और इस मामले को ही अंतिम ज्ञात मामला माना गया। साल 1980 तक स्वास्थ्य अधिकारियों ने चेचक की समाप्ति की घोषणा कर दी थी, जिस कारण टीकाकरण अभियान भी बंद हो गया था।
Mpox Symptoms: कब मिला पहला एमपॉक्स संक्रमित?
टीका अभियान खत्म होने के बाद शायद इस बात को लेकर लोगों या स्वास्थ्य अधिकारियों में एमपॉक्स की चिंता नहीं थी। क्योंकि चेचक का टीका अभियान दुनिया में स्वास्थ्य को लेकर एक बड़ी सफलता थी। हालांकि, उसी बीच एमपॉक्स के कुछ लक्षणों वाले मरीजों की अफ्रीका में पुष्टि हुई थी। इस पर हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि उस वक्त एमपॉक्स घातक नहीं था और दुनिया के पास पर्याप्त चेचक के टीके भी थे। एमपॉक्स को रोकने में ये दोनों माध्यम सफल हो सकते थे।
Mpox Symptoms: कैसे बढ़ा एमपॉक्स
कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में नौ महीने की बच्ची में इस बीमारी का लक्षण पाया गया था। इसके बाद से पश्चिम और मध्य अफ्रीका में इसके मामले बढ़ते चले गए थे।
Mpox Symptoms: अब क्यों नहीं रोका जा सकता
उस वक्त इस बीमारी को लेकर धारणा थी कि यह एक स्थानीय बीमारी है जो अफ्रीका में ही फैल रही है। यह लापरवाही दुनियाभर में मंकीपॉक्स फैलने का एक कारण भी है। मंकीपॉक्स पहले बुशमीट खाने वाले लोगों को हुआ था। (बुशमीट एक प्रकार का मांस है जो जंगली जानवरों से प्राप्त किया जाता है।) उस वक्त ही इस वायरस को ज्यादा फैलने देना और वैक्सीन अभियान न चलाना, आज दुनियाभर के लोगों के लिए घातक हो गया है।
Mpox Symptoms: अब क्या समस्याएं हो सकती हैं?
हालांकि, कोविड के बाद से इस संक्रमण को लेकर चिंता जताई गई थी, लेकिन सतर्कता सिर्फ कुछ देशों जैसे अमेरिका और पश्चिम यूरोप ने ही बरती। अफ्रीका और कांगो तक इसके टीके तब भी नहीं पहुंच पाए थे। अब इस वायरस की रोकथाम का सबसे बड़ा कारण है वायरस के नए और घातक स्ट्रेन, जो कि चेचक वाले टीकों से शायद पूरी तरह सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकते हैं। दूसरा, इस टीके की कीमत है। इस टीके को 2 शॉट्स के जरिए दिया जाता है। एक शॉट की कीमत 100 डॉलर यानी 8,387 रुपयों तक है। हर इंसान दो खुराकों की कीमत देने में सक्षम नहीं है। कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि कांगो तक भी इस वैक्सीन को पहुंचाया जाता तो थोड़ी राहत मिल सकती थी।