इंटरनल रिपोर्ट में पता चला इस लिये यूपी में इतनी सीटें कैसे हार गई भाजपा?

A report has been prepared on the defeat of BJP in UP in the Lok Sabha elections. The first report is being prepared by a team of 80 people. A second report from the defeated candidates will be submitted to the UP BJP high command. It will be further sent to the central high command.

 
bjp news

नई दिल्ली। 17 june 2024, लोकसभा चुनाव में यूपी में भाजपा की हार के लिये एक रिपोर्ट तैयार की गई है. पहली रिपोर्ट 80 लोगों की टीम तैयार कर रही है. हारे हुए प्रत्याशियों की तरफ से दूसरी रिपोर्ट यूपी भाजपा आलाकमान को सौंपी जाएगी. इसे आगे केंद्रीय आलाकमान को भेजा जाएगा. सूत्रों के हवाले से पहली रिपोर्ट में पता चला है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ के नाम पर खुद को जीता हुआ मानकर प्रत्याशी अति उत्साही हो गए थे. दरअसल, जिस तरह से मोदी लहर में कैंडिडेट 2014 में जीते थे और 2019 में उसी तरह का मोदी मैजिक देखने को मिला, उससे वे मानकर चल रहे थे कि इस बार भी ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला. वे मोदी के नाम पर मिल रहे वोट से अपनी जीत पक्की मानकर चल रहे थे.  

नाराज थी जनता


2 बार से ज्यादा जीते हुए सांसदों को लेकर जनता में नाराजगी थी. यूपी के गांवों में एक आम धारणा बन गई कि सांसद कभी आते नहीं, जीतने के बाद मिलते नहीं. काफी लोगों ने फिर भी मोदी के नाम पर भाजपा को वोट किया लेकिन जहां विपक्ष का कैंडिडेट मजबूत या दूसरे किसी फैक्टर से ठीक लगा, लोगों ने ईवीएम का बटन दबा दिया. इंटरनल रिपोर्ट में पता चल रहा है कि कुछ सांसदों का व्यवहार भी ठीक नहीं था.  

भाजपा कहां चूकी?

बताते हैं कि राज्य की योगी सरकार ने करीब 3 दर्जन सांसदों के टिकट काटने या बदलने के लिए कहा था, उसकी अनदेखी हुई. जब कैंडिडेट के नाम की घोषणा हुई तो ज्यादातर पुराने उम्मीदवारों पर ही भरोसा जताया गया जबकि जमीन पर उनके खिलाफ माहौल था. समीक्षा करने पर पता चला कि अगर टिकट बदले जाते तो परिणाम बेहतर होते. 

विपक्ष के कैंपेन ने भी काफी कुछ हवा का रुख बदला. भाजपा कार्यकर्ता अपने वोटरों को भीषण गर्मी में बाहर नहीं निकाल सके. लोगों में यह धारणा बन गई थी कि मोदी सरकार तो आ ही रही है. गली-नुक्कड़ और घर-घर जाने की बजाय नेता रैली और रोडशो पर ही केंद्रित रहे. मायावती का पक्का वोट बैंक यानी दलित समुदाय इस बार कुछ हद तक अखिलेश यादव के साथ दिखा. भाजपा को सबसे बड़ा झटका काशी में मिला, जहां पीएम मोदी की जीत का अंतर बढ़ने की बजाय घट गया. 

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