नौकरी दिलाने के नाम पर 500 से ज्यादा शिक्षित बेरोजगारों से 6 करोड़ से ज्यादा की रकम ऐंठ, इन विभागों की देते थे नौकरी

 
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लखनऊ। नेटवर्क 

उत्तर प्रदेश राज्य पुलिस की स्पेशल पुलिस टास्क फोर्स ने एक संगठित गिरोह का भंडाफोड़ किया है. इस गिरोह के निशाने पर देश के वे शिक्षित बेरोजगार युवक-युवतियां होते थे, जिन्हें सरकारी नौकरी की दरकार रहती थी. ठगों का यह गैंग सरकारी नौकरी दिलाने के लिए ‘फर्जी रोजगार दफ्तर’ खोले बैठा था. इस गिरोह का मास्टरमाइंड ठग इंजीनियरिंग का छात्र रहा है. यह गैंग कई फर्जी वेबसाइट्स, गैर सरकारी संगठन के नाम पर बेरोजगारों से धन उगाही करता था. पता चला है कि गैंग के ठग अब तक 500 से ज्यादा शिक्षित बेरोजगारों से 6 करोड़ से ज्यादा की रकम ऐंठ चुके हैं.


गुरुवार को इन तमाम सनसनीखेज तथ्यों की पुष्टि राज्य पुलिस एसटीएफ के प्रमुख आईजी अमिताभ यश ने भी की. उनके मुताबिक गिरफ्तार ठगों का नाम अरुण कुमार दुबे, अनिरुद्ध पाण्डेय, खालिद मुनव्वर बेग, अनुराग मिश्रा है. अरुण कुमार दुबे मूल रूप से गोरखपुर जिले का रहने वाला है. जबकि बाकी तीनों गिरफ्तार ठग लखनऊ के अलग-अलग इलाकों के रहने वाले हैं. गिरोह का मास्टरमाइंड अरुण कुमार दुबे है. उसने साल 2005 में गोरखपुर स्थित एक कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी, उसके बाद वो तीन निजी कंपनियों में नौकरी करता रहा. साल 2015 में उसके ऊपर कंपनी के 15 लैपटॉप चुराने का आरोप लगा था.


उस मामले में अलीगंज (लखनऊ) थाना पुलिस ने उसे तब गिरफ्तार कर जेल भेजा था. दो साल वो जेल में बंद रहा था. जेल से बाहर आते ही इस मास्टरमाइंड ने ठगी की बड़ी दुकान खोलने का इरादा किया. लिहाजा उसने अलग-अलग नामों से कई फर्जी कंपनियां बना लीं. नाम से यह कंपनियां देखने-सुनने में छळव्, रोजगार दिलवाने में मददगार मालूम पड़ती थीं. जबकि इन्हीं कंपनियों की आड़ में इस ठग कंपनी ने शिक्षित बेरोजगारों को ठगने के लिए ‘नकली रोजगार कार्यालय’ खोल लिया था. एसटीएफ प्रमुख के मुताबिक इस गिरोह में कुमार पंकज, देव यादव, शशांक तिवारी, देवेश मिश्रा, विनय शर्मा, विनीत कुमार मिश्रा भी शामिल रहे हैं.

यह सब सरकारी नौकरी की चाहत रखने वाले शिक्षित बेरोजगारों को जाल में फंसाकर इस फर्जी रोजगार कार्यालय तक लाते थे, उसके बाद बेरोजगारों से मोटी रकम ऐंठने की जिम्मेदारी इन ठग कंपनियों के कर्ताधर्ताओं की होती थी. ज्यादा से ज्यादा बेरोजगारों को जाल में फंसाने के लिए यह ठग कंपनी बेखौफ होकर देश के कोने-कोने में रोजगार मेला, सेमीनार आयोजित करती रहती थी. ताकि बहुतायत में पैसा देकर सरकारी नौकरी के लिए लालायित बेरोजगार खुद को आर्थिक चपत लगवाने के लिए, इस ठग कंपनी की देहरी तक खुद ही पहुंच सकें. कई ऐसे शिकायतकर्ता भी एसटीएफ टीमों को मिले हैं, जिनसे पैसे लेकर इन फर्जी बेरोजगार कार्यालयों ने उन्हें नियुक्ति पत्र तक थमा दिए.

जब लंबा समय बीतने के बाद भी उन सबकी जॉइनिंग नहीं कराई गई तो पीड़ितों ने पुलिस का दरवाजा खटखटाया. और तो और एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी पर भी इस ठग कंपनी के मास्टरमाइंड उतरे हुए थे. इन ठगों के जाल में फंसे कुछ बेरोजगारों ने जब नियुक्ति न होने के चलते अपनी रकम वापिस मांगी तो, कंपनी ने उनमें से कई को कानूनी नोटिस तक भेज दिया. इस चेतावनी के साथ कि उन्होंने (पीड़ितों) कंपनी की नियमावली के विरूद्ध कार्य को अंजाम दिया है.

इससे जाल में पहले से फंसे कुछ पीड़ित तो घबरा गए, मगर कुछ पुलिस के पास चले गए. हाल में लखनऊ में गिरफ्तार इन चारों ठगों ने कबूला है कि उनके बाकी ठग साथी बीते साल अक्टूबर महीने में गिरफ्तार करके जेलों में भेजे जा चुके हैं. उनमें देवेश मिश्रा, विनीत कुमार मिश्रा हैं. उन दोनो ने उत्तर प्रदेश राज्य सचिवालय का फर्जी नियुक्ति पत्र ही जाल में फंसे एक बेरोजगार को थमा दिया था. फिलहाल अब जिन चारों ठगों को गिरफ्तार किया गया है, उन सभी के खिलाफ लखनऊ के इंदिरानगर थाने में बीते साल ही मुकदमा दर्ज किया जा चुका था.

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