Video: अमित शाह ने सदन में समझाया- कैसे काम करेगा ये वक्फ संशोधन विधेयक ?

Jagruk Youth News, नई दिल्ली। लोकसभा में केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया। पक्ष और विपक्षी नेताओं ने इस बिल पर अपने विचार व्यक्त किए। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वक्फ संशोधन बिल के समर्थन में कहा कि वक्फ का अर्थ अल्लाह के नाम पर संपत्ति का दान करना है। कई सदस्यों के मन में भ्रांतियां हैं। वफ्फ में कोई गैर इस्लामिक सदस्य नहीं आएगा।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मैं अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगी द्वारा पेश किए गए विधेयक का समर्थन करता हूं। मैं दोपहर 12 बजे से चल रही चर्चा को ध्यान से सुन रहा हूं। मुझे लगता है कि कई सदस्यों के बीच कई गलतफहमियां हैं, चाहे वह वास्तविक हो या राजनीतिक। साथ ही इस सदन के माध्यम से उन गलतफहमियों को पूरे देश में फैलाने की कोशिश की जा रही है।

वक्फ एक अरबी शब्द है। वक्फ का इतिहास कुछ हदीसों से जुड़ा हुआ मिलता है और आज कल जिस अर्थ में वक्फ का प्रयोग किया जाता है, इसका अर्थ है अल्लाह के नाम पर संपत्ति का दान, पवित्र धार्मिक उद्देश्यों के लिए संपत्ति का दान। वक्फ का समकालीन अर्थ, इस्लाम के दूसरे खलीफा उमर के समय अस्तित्व में आया। एक प्रकार से आज की भाषा में व्याख्या करें तो वक्फ एक प्रकार का धर्मार्थ नामांकन (बींतपजंइसम मदतवससउमदज) है। जहां एक व्यक्ति संपत्ति, भूमि धार्मिक और सामाजिक भलाई के लिए दान करता है, बिना उसको वापस लेने के उद्देश्य से। इसमें जो दान देता है उसका बहुत महत्व है। दान उस चीज का ही किया जा सकता है जो हमारा है, सरकारी संपत्ति का दान मैं नहीं कर सकता, किसी और की संपत्ति का दान मैं नहीं कर सकता।

उन्होंने आगे कहा कि वक्फ बोर्ड में किसी भी गैर-मुस्लिम व्यक्ति की नियुक्ति नहीं की जाएगी। हमने धार्मिक संस्थाओं के प्रबंधन के लिए गैर-मुस्लिमों को नियुक्त करने का न तो कोई प्रावधान किया है और न ही ऐसा करने का इरादा है। वक्फ परिषद और वक्फ बोर्ड की स्थापना 1995 में हुई थी। यह गलत धारणा है कि यह अधिनियम मुसलमानों की धार्मिक गतिविधियों और दान की गई संपत्तियों में हस्तक्षेप करता है। अल्पसंख्यकों में डर पैदा करने और विशिष्ट मतदाता जनसांख्यिकी को खुश करने के लिए यह गलत अफवाहें फैलाई जा रही हैं।

अमित शाह ने कहा कि ये जो भ्रम खड़ा किया जा रहा है कि यह एक्ट मुस्लिम भाइयों के धार्मिक क्रियाकलापों के अंदर उनकी दान की हुई संपत्ति के अंदर दखल करने का है। ये बहुत बड़ी भ्रांति फैलाकर माइनोरिटी को डराकर अपनी वोटबैंक खड़ी करने के लिए किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि वक्फ का कानून दान के लिए किसी द्वारा दी हुई संपत्ति, उसका एडमिनिस्ट्रेशन अच्छे से चल रहा है या नहीं, कानून के हिसाब से चल रहा है या नहीं, या तो दान जिस चीज के लिए दिया जा रहा है, इस्लाम धर्म के लिए दिया है, गरीबों के उद्धार के लिए दिया गया है, उसके उद्देश्य के लिए उपयोग हो रहा है या नहीं हो रहा है, इसका नियमन करने का काम है।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जो भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं तो मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि वक्फ मुस्लिम भाइयों की धार्मिक क्रिया-क्लाप और उनके बनाए हुए दान से ट्रस्ट है, उसमें सरकार कोई दखल नहीं देना चाहती है। मुतवल्ली भी उनका होगा, वाकिफ भी उनका होगा, वक्फ भी उनका होगा। उन्होंने कहा कि 2001-12 के बीच दो लाख करोड़ की वक्फ की संपत्ति निजी संस्थानों को 100 साल की लीज पर हस्तांतरित कर दी गई। बेंगलुरु में उच्च न्यायालय को बीच में पड़ना पड़ा और 602 एकड़ भूमि को जब्त करने से रोकना पड़ा। ये पैसा देश के गरीब मुसलमानों का है, ये धन्नासेठों की चोरी के लिए नहीं है।

अमित शाह ने आगे कहा कि लालू यादव ने ही उस समय कहा था कि सरकार ने जो ये संशोधन विधेयक पेश किया है, सरकार की पहल का हम स्वागत करते हैं, शाहनवाज हुसैन और सदस्यों ने जो अपनी बातों को यहां रखा है, मैं उसका समर्थन करता हूं, लेकिन ये देखिए कि सारी जमीनें हड़प ली गई हैं, चाहे सरकारी हो या गैर सरकारी। वक्फ बोर्ड में जो काम करने वाले लोग हैं उनके द्वारा सारी प्राइम लैंड को बेच दिया गया है।

उन्होंने आगे कहा कि पटना में ही डाकबंगले की जितनी प्रॉपर्टी थी, सभी पर अपार्टमेंट बन गए, काफी लूट खसोट हुई है। इसलिए मैं चाहता हूं कि भविष्य में आप कड़ा कानून लाइए और चोरी करने वाले लोगों को सलाखों के पीछे भेजिए। लालू की इच्छा तो इन्होंने (कांग्रेस) पूरी नहीं की, लेकिन मोदी ने पूरी कर दी।

शाह ने आगे कहा कि विपक्ष को वोटबैंक चाहिए, लेकिन भारतीय जनता पार्टी और मोदी सरकार का स्पष्ट सिद्धांत है कि हम वोटबैंक के लिए कोई कानून नहीं लाएंगे। कानून न्याय के लिए होता है, लोगों के कल्याण के लिए होता है। कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को पिछड़े वर्ग या मुसलमानों की चिंता नहीं है। वे वर्षों से जातिवाद और तुष्टिकरण के आधार पर काम करते रहे हैं। इन समुदायों के कल्याण पर ध्यान देने के बजाए उन्होंने इन हथकंडों के माध्यम से परिवार-केंद्रित राजनीति को बढ़ावा दिया है। हालांकि, 2014 के बाद से मोदी सरकार ने जातिवाद, तुष्टिकरण और भाई-भतीजावाद को खत्म कर दिया है और इसके बजाय विकास की राजनीति को स्थापित किया है।

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