मयंक त्रिगुण, वरिष्ठ संवाददाता
मुरादाबाद। देश में बाल विवाह जैसी कुरीति को जड़ से मिटाने के लिए चल रहे ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान के तहत मुरादाबाद जिले के ग्राम पंचायत कोंडरी में एक खास जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। वन स्टॉप सेंटर की टीम ने गांव के आम लोगों को बाल विवाह के खतरों के बारे में विस्तार से बताया और उन्हें जागरूक किया। इस कार्यक्रम से गांव वालों को काफी जानकारी मिली और कई लोग आगे आने का वादा भी कर रहे हैं।
कौन चलाया ये जागरूकता कार्यक्रम?
इस कार्यक्रम की कमान वन स्टॉप सेंटर की टीम ने संभाली। सेंटर की मैनेजर श्रीमती गुंजन तिवारी ने मुख्य भूमिका निभाई। उन्होंने बाल विवाह की सामाजिक और कानूनी मुश्किलों के बारे में विस्तार से समझाया। साथ ही बच्चों को अपने अधिकारों के प्रति सतर्क रहने और उन्हें बचाने के लिए प्रेरित किया।
मनोसामाजिक परामर्शदाता तनीषा दिवाकर और चाइल्ड हेल्पलाइन कोऑर्डिनेटर तबस्सुम ने भी लोगों से बात की। उन्होंने साफ-साफ बताया कि कानून के मुताबिक शादी के लिए लड़के की उम्र कम से कम 21 साल और लड़की की 18 साल होनी चाहिए। बाल विवाह सिर्फ बच्चों का भविष्य नहीं बिगाड़ता, बल्कि ये कानूनी तौर पर गंभीर अपराध भी है, जिसकी सजा हो सकती है।
लोगों को दी गई ये महत्वपूर्ण जानकारी
कार्यक्रम में टीम ने गांव वालों को बाल विवाह के बुरे असरों के बारे में बताया। अगर कोई बाल विवाह का मामला सामने आए तो फौरन चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 पर सूचना देने की अपील की गई। टीम ने कहा कि समय से पहले शादी होने से बच्चों की पढ़ाई रुक जाती है, स्वास्थ्य खराब होता है और उनका व्यक्तित्व भी ठीक से विकसित नहीं हो पाता। सामाजिक स्तर पर भी ये कई समस्याएं पैदा करता है।
श्रीमती गुंजन तिवारी ने कहा, “बाल विवाह बच्चों के सपनों को चकनाचूर कर देता है। हमें मिलकर इसे रोकना होगा। बच्चों को उनके अधिकार पता होने चाहिए और वो खुद आगे आकर अपनी रक्षा कर सकें।”
कब और कहां हुआ ये कार्यक्रम?
ये जागरूकता कार्यक्रम हाल ही में ग्राम पंचायत कोंडरी में आयोजित किया गया। ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान के तहत ऐसे कार्यक्रम पूरे देश में चल रहे हैं, ताकि गांव-गांव तक ये संदेश पहुंचे। मुरादाबाद जैसे जिलों में वन स्टॉप सेंटर की टीम सक्रिय रूप से काम कर रही है।
कहां है समस्या और क्यों जरूरी है जागरूकता?
बाल विवाह आज भी कई गांवों में होता है, खासकर गरीबी, अशिक्षा और पुरानी परंपराओं की वजह से। ये बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और भविष्य पर बुरा असर डालता है। लड़कियों को जल्दी मां बनने की मजबूरी झेलनी पड़ती है, जो उनकी जान को भी खतरे में डाल सकती है। कानूनी रूप से ये अपराध है, लेकिन जागरूकता की कमी से लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं।
टीम ने जोर देकर कहा कि बाल विवाह रोकना सिर्फ कानून की बात नहीं, बल्कि समाज की जिम्मेदारी है। अगर हम बच्चों को पढ़ने-लिखने और बड़ा होने का मौका देंगे, तो वो खुद मजबूत बनेंगे और देश आगे बढ़ेगा।
कैसे रोकें बाल विवाह? क्या करें आम लोग?
सबसे आसान तरीका है सूचना देना। अगर आपके आसपास कोई बाल विवाह होने वाला है या हो रहा है, तो बिना डरे चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 पर कॉल करें। ये नंबर 24 घंटे काम करता है और आपकी शिकायत पर तुरंत कार्रवाई होती है।
वन स्टॉप सेंटर जैसी संस्थाएं महिलाओं और बच्चों की मदद के लिए बनी हैं। यहां कानूनी सलाह, काउंसलिंग और जरूरी सहायता मिलती है। गांव वालों से अपील की गई कि वो अपने बच्चों को स्कूल भेजें, उनकी शादी सही उम्र में करें और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें।
इस कार्यक्रम के बाद कोंडरी गांव में लोगों में जागरूकता बढ़ी है। कई अभिभावकों ने कहा कि वो अब अपनी बेटियों की शादी जल्दबाजी में नहीं करेंगे। ऐसे अभियान से उम्मीद है कि जल्द ही हमारा देश सच में बाल विवाह मुक्त हो जाएगा।
अगर आप भी बाल विवाह रोकने में योगदान देना चाहते हैं, तो आज ही अपने इलाके में जागरूकता फैलाएं। याद रखें, एक छोटा कदम कई जिंदगियां बचा सकता है!
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