मयंक त्रिगुण, वरिष्ठ संवाददाता
यूपी में बीजेपी को नया मुखिया मिलना लगभग तय हो गया है. उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख पद के लिए केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने नामांकन दाखिल किया है. नामांकन दाखिल किए जाने के दौरान यूपी के सीएम योगी भी उनके साथ थे. सीएम योगी के अलावा उनके नामांकन में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी प्रस्तावक बने हैं. पंकज चौधरी की गिनती सीएम योगी और अमित शाह के करीबी लोगों में की जाती है. बता दें, सुबह से ही भाजपा मुख्यालय पर काफी हलचल थी. नामांकन के वक्त पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावड़े और संगठन चुनाव प्रभारी महेंद्र पांडे भी मौजूद रहे. पार्टी मुख्यालय पर पंकज चौधरी के आने से पहले जबरदस्त नारेबाजी हुई. कार्यालय को फूलों से सजाया गया था. पार्टी के तमाम बड़े पार्टी दफ्तर पर मौजूद थे.
पंकज चौधरी का निर्विरोध चुनाव जीतना तय है. क्योंकि अभी तक किसी और ने नामांकन दाखिल नहीं किया है. हालांकि, जब पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति पार्टी दफ्तर पहुंचीं तो वहां थोड़ी हलचल देखने को मिली. क्योंकि उन्हें भी इस पद के लिए प्रबल दावेदार माना जा रहा था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब उनसे यूपी के नए अध्यक्ष के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि थोड़ी देर में पता चल जाएगा.
अगर पंकज चौधरी यूपी भाजपा के अध्यक्ष बनाए जाते हैं तो वह चौथे कुर्मी नेता होंगे, जिन्हें यह पद मिलेगा. इससे पहले स्वतंत्र देव सिंह, विनय कटियार और ओम प्रकाश सिंह भी इस पद पर रह चुके हैं, जो कि कुर्मी बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं. देखा जाए तो पंकज चौधरी के नाम पर मुहर भाजपा की सोची-समझी रणनीति हो सकती है. साल 2024 में यूपी में कुर्मी बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले 11 उम्मीदवार चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे. इनमें सात सांसद समाजवादी पार्टी के और तीन भाजपा के थे. पंकज चौधरी के जरिए अब भाजपा नहीं चाहती की कुर्मी वोट बंटे. कुर्मी बिरादरी को साधने के लिए पंकज चौधरी के नाम पर मुहर लग सकती है.
कौन हैं पंकज चौधरी?
ओबीसी की कुर्मी जाति से आने वाले वाले पंकज चौधरी महाराजगंज से सात बार सांसद रह चुके हैं. इन्होंने पार्षद के पद से अपने सियासी सफर की शुरुआत की थी. यह सीएम योगी के गढ़ गोरखपुर के डिप्टी मेयर भी रह चुके हैं. पहली बार साल 1991 में लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. इसके बाद उन्होंने साल 1996, 1998, 2004, 2014, 2019 और 2024 का चुनाव जीता. हालांकि, साल 1999 और 2009 के चुनाव में उनकी हार हुई थी. पंकज चौधरी को पीएम मोदी का भी करीबी माना जाता है. वह दूसरी बार केंद्र सरकार में वित्त राज्य मंत्री की भूमिका निभा रहे हैं. इससे पहले वे साल 2021 में भी केंद्र सरकार में वित्त राज्य मंत्री रह चुके हैं. इस तरह वे दो बार प्रधानमंत्री मोदी के साथ काम कर चुके हैं.
परिवार में कौन-कौन?
पंकज चौधरी के पिता भगवती प्रसाद चौधरी यूपी के बड़े जमींदारों में से एक थे. उनकी मां उज्ज्वला चौधरी महाराजगंज की पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं. पत्नी भाग्यश्री चौधरी समाजसेवी हैं और उनके एक बेटा और एक बेटी हैं. पंकज चौधरी आयुर्वेदिक तेल ‘राहत रूह’ कंपनी के मालिक भी हैं.
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