हरियाणा में जल क्रांति से बदलेगी तस्वीर

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पंचकूला, हरियाणा ने जल संरक्षण और पर्यावरण की दिशा में एक नया इतिहास रच दिया है। राज्य के पंचकूला शहर में #जलशक्तिअभियान (#JalShaktiAbhiyan) के तहत “बारिश-2025” अभियान की शुरुआत हुई, जिसका उद्घाटन केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सीआर पाटिल (CR Patil) और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायाब सिंह सैनी (Nayab Singh Saini) ने किया। इस मौके पर कई महत्वपूर्ण जल संरक्षण परियोजनाओं का शुभारंभ हुआ, जो हरियाणा को जल संकट से निपटने और भविष्य के लिए तैयार करने में अहम भूमिका निभाएंगी। यह अभियान न सिर्फ पानी की बचत का संदेश देता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्थायी भविष्य का वादा भी करता है।

हरियाणा जैसे राज्य में, जहां खेती-बाड़ी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, पानी की कमी एक बड़ी चुनौती रही है। बदलते मौसम, घटती बारिश और भूजल स्तर का गिरना हरियाणा के लिए चिंता का सबब बन गया था। इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर #जलशक्तिअभियान को गति दी। इस अभियान के तहत शुरू की गई “मुख्यमंत्री जल संचय योजना: बारिश-2025” हरियाणा के गांवों और शहरों में जल संरक्षण को बढ़ावा देने का एक बड़ा कदम है। इस योजना का लक्ष्य है कि 2025 तक राज्य में बारिश के पानी को संचय करने की क्षमता को दोगुना किया जाए और भूजल स्तर को बेहतर बनाया जाए।

उद्घाटन समारोह में केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल ने कहा, “जल ही जीवन है। हमें इसे बचाना होगा, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां भी इसका लाभ उठा सकें। हरियाणा सरकार का यह प्रयास पूरे देश के लिए एक मिसाल है।” वहीं, मुख्यमंत्री नायाब सिंह सैनी ने जोड़ा, “हमारा लक्ष्य है कि हर बूंद पानी को बचाया जाए। यह अभियान किसानों, मजदूरों और हर नागरिक के लिए है।” इस मौके पर हजारों लोग मौजूद थे, जिनमें किसान, छात्र और पर्यावरण प्रेमी शामिल थे।

“बारिश-2025” अभियान के साथ-साथ कई अन्य पहल भी शुरू की गईं। इनमें “जल-जंगल-जन: एक प्रकृति बंधन अभियान” शामिल है, जो पानी, जंगल और लोगों के बीच संतुलन बनाने पर जोर देता है। यह अभियान ग्रामीण इलाकों में पेड़ लगाने, तालाबों को पुनर्जनन करने और जल संरक्षण की जागरूकता फैलाने पर केंद्रित है। इसके अलावा, “जल संसाधन एटलस 2025” भी लॉन्च किया गया, जो हरियाणा के जल संसाधनों का पूरा नक्शा और विश्लेषण पेश करता है। यह एटलस सरकार और आम लोगों को पानी के सही इस्तेमाल में मदद करेगा।

एक और अहम कदम है “एकीकृत जल संसाधन कार्य योजना (2025-27)” का शुभारंभ। यह योजना अगले तीन सालों में हरियाणा के नदी-नालों, नहरों और तालाबों को जोड़कर एक संपूर्ण जल प्रबंधन प्रणाली बनाने की कोशिश करेगी। इसके साथ ही “ऑनलाइन नहर जल प्रबंधन प्रणाली” भी शुरू की गई, जिसके जरिए किसान अपने मोबाइल फोन से नहर के पानी की उपलब्धता और शेड्यूल देख सकेंगे। यह तकनीक न सिर्फ समय बचाएगी, बल्कि पानी के बंटवारे में पारदर्शिता भी लाएगी।

जल शक्ति अभियान के तहत “जेएसए-सीटीआर सर्वोत्तम प्रथाएं” भी पेश की गईं। इसमें देश भर से चुनी गई जल संरक्षण की सबसे अच्छी तकनीकों को हरियाणा में लागू करने की योजना है। मसलन, तमिलनाडु के तालाब संरक्षण मॉडल और राजस्थान के रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को हरियाणा के लिए अनुकूल बनाया जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि ये कदम हरियाणा को जल संकट से उबारने में कारगर साबित होंगे।

पर्यावरणविद् डॉ. अनिल शर्मा कहते हैं, “हरियाणा का यह अभियान सराहनीय है। अगर हम अभी नहीं जागे, तो भविष्य में पानी के लिए जंग छिड़ सकती है। बारिश का पानी संचय करना और भूजल को रिचार्ज करना आज की जरूरत है।” वहीं, स्थानीय किसान रामपाल सिंह ने खुशी जताते हुए कहा, “पहली बार ऐसा लग रहा है कि सरकार हमारे लिए कुछ ठोस कर रही है। नहर का पानी ऑनलाइन देखना हमारे लिए बहुत बड़ी राहत है।”

इस अभियान का असर सिर्फ हरियाणा तक सीमित नहीं है। केंद्र सरकार इसे पूरे देश में फैलाने की योजना बना रही है। श्री सीआर पाटिल ने बताया कि 2025 तक देश के हर राज्य में “बारिश” जैसे अभियान शुरू किए जाएंगे। हरियाणा इसकी पहली मिसाल बनकर उभरा है।

हालांकि, कुछ लोग इस योजना को लेकर सवाल भी उठा रहे हैं। विपक्षी नेता सुरेंद्र यादव का कहना है, “यह सब दिखावा है। सरकार को पहले पुरानी योजनाओं को लागू करना चाहिए था।” लेकिन सरकार ने इन आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा कि यह अभियान पूरी तैयारी और पारदर्शिता के साथ शुरू किया गया है।

“बारिश-2025” और इससे जुड़ी योजनाएं हरियाणा के लोगों में नई उम्मीद जगा रही हैं। यह अभियान न सिर्फ जल संकट से निपटेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और खेती को भी मजबूत करेगा। आने वाले सालों में इसका असर साफ दिखाई देगा, जब हरियाणा का हर कोना हरा-भरा और पानी से समृद्ध होगा।

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