मुरादाबाद में एमडीए ने दीप हॉस्पिटल पर कसा शिकंजा

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मयंक त्रिगुण, वरिष्ठ संवाददाता –

मुरादाबाद : शहर के विकास और नियमों की पालना पर सवाल खड़े कर रही है। दिल्ली रोड पर बने दीप हॉस्पिटल के खिलाफ मुरादाबाद विकास प्राधिकरण (एमडीए) ने सख्त कदम उठाया है। प्राधिकरण ने अस्पताल के कंपाउंडिंग आवेदन को पूरी तरह से निरस्त कर दिया है। यह कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि जांच में पता चला कि अस्पताल का निर्माण एक शोरूम के स्वीकृत नक्शे पर गैरकानूनी तरीके से किया गया था। शहरवासी अब सोच रहे हैं कि क्या यह अस्पताल बंद हो जाएगा या आगे क्या होगा?

जांच में क्या निकला सामने?

एमडीए की टीम ने इस मामले की गहराई से जांच की। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, दीप हॉस्पिटल के संचालक ने प्राधिकरण में कंपाउंडिंग के लिए आवेदन दाखिल किया था। उनका मकसद था कि इस निर्माण को कानूनी मान्यता मिल जाए। लेकिन जब एमडीए के अधिकारियों ने तकनीकी और स्थलीय जांच की, तो चौंकाने वाली बातें सामने आईं। मूल रूप से जिस नक्शे पर शोरूम बनाने की अनुमति दी गई थी, उसी पर एक बहुमंजिला अस्पताल खड़ा कर दिया गया। यह बिल्कुल नियमों के खिलाफ था। नक्शा शोरूम का था, लेकिन निर्माण अस्पताल का हो गया, जो न तो मानचित्र से मैच करता था और न ही शहर की भवन नियमावली से।

ऐसे में प्राधिकरण के पास कोई चारा नहीं बचा। जांच रिपोर्ट आने के बाद उन्होंने तुरंत कंपाउंडिंग आवेदन को खारिज कर दिया। अब सवाल यह है कि अस्पताल के संचालक क्या करेंगे? क्या वे अपील करेंगे या नियमों का पालन करेंगे? एमडीए के अधिकारी कहते हैं कि यह सिर्फ शुरुआत है। आगे की कार्रवाई और भी तेज होगी।

आगे क्या कार्रवाई हो सकती है?

प्राधिकरण के अधिकारियों ने साफ-साफ कहा है कि अवैध निर्माण पर अब सख्ती से निपटा जाएगा। इसमें अस्पताल को ध्वस्त करने की कार्रवाई भी शामिल हो सकती है। यानी, अगर जरूरत पड़ी तो बुलडोजर चल सकता है। अन्य प्रवर्तन कार्यवाही भी की जा सकती हैं, जैसे जुर्माना या कानूनी मुकदमा। एमडीए लंबे समय से मुरादाबाद में अवैध निर्माणों के खिलाफ अभियान चला रहा है। शहर में कई जगहों पर नियमों का उल्लंघन हो रहा है, और प्राधिकरण इसे रोकने के लिए प्रतिबद्ध है।

दीप हॉस्पिटल का यह मामला इसी अभियान की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। अधिकारियों का मानना है कि अगर मानचित्र की अनुमति लेने के बाद भी कोई नियम तोड़ता है, तो उस पर कार्रवाई जरूरी है। इससे शहर का नियोजित विकास सुनिश्चित होगा। मुरादाबाद जैसे शहर में जहां आबादी बढ़ रही है, वहां नियमों की पालना से ही बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर बन सकता है। अगर ऐसे मामले बढ़ते गए, तो शहर की सड़कें, पार्क और अन्य सुविधाएं प्रभावित होंगी।

शहरवासियों पर क्या असर?

यह कार्रवाई सिर्फ एक अस्पताल तक सीमित नहीं है। मुरादाबाद के लोग अब सोच रहे हैं कि उनके आसपास कितने ऐसे निर्माण हैं जो नियमों के खिलाफ हैं। दिल्ली रोड जैसी व्यस्त जगह पर अस्पताल का होना तो अच्छी बात है, लेकिन अगर वह अवैध तरीके से बना है, तो सुरक्षा का सवाल भी उठता है। क्या ऐसे अस्पताल में इलाज कराना सुरक्षित है? क्या भूकंप या अन्य आपदाओं में यह इमारत टिक पाएगी? एमडीए की यह कार्रवाई शहरवासियों को जागरूक करने का काम भी कर रही है।

प्राधिकरण के अभियान से कई बिल्डर और संचालक सतर्क हो गए हैं। वे अब अपने निर्माणों की जांच करवा रहे हैं। एमडीए का कहना है कि उनका मकसद सजा देना नहीं, बल्कि नियमों का पालन करवाना है। अगर कोई गलती करता है, तो उसे सुधारने का मौका मिलता है, लेकिन बार-बार उल्लंघन पर सख्ती बरती जाएगी। दीप हॉस्पिटल के मामले से अन्य लोगों को सबक मिलेगा कि अनुमति लेने के बाद भी नियम तोड़ना महंगा पड़ सकता है।

एमडीए का अभियान और भविष्य

मुरादाबाद विकास प्राधिकरण पिछले कुछ महीनों से अवैध निर्माणों पर नजर रख रहा है। शहर में कई इलाकों में ऐसे मामले सामने आए हैं जहां शोरूम या दुकान के नाम पर बड़े-बड़े भवन बना लिए गए। दीप हॉस्पिटल जैसा यह केस एक उदाहरण है। प्राधिकरण के अधिकारी बताते हैं कि वे नियमित जांच कर रहे हैं। स्थलीय सर्वे, तकनीकी रिपोर्ट और सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर कार्रवाई की जा रही है।

इस अभियान से शहर का विकास नियोजित तरीके से होगा। मुरादाबाद उत्तर प्रदेश का महत्वपूर्ण शहर है, जहां उद्योग और व्यापार तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन अगर निर्माण अनियोजित होंगे, तो ट्रैफिक जाम, प्रदूषण और अन्य समस्याएं बढ़ेंगी। एमडीए की यह कार्रवाई एक सकारात्मक कदम है। अस्पताल संचालक अब क्या कदम उठाएंगे, यह देखना बाकी है। क्या वे नया आवेदन देंगे या निर्माण में बदलाव करेंगे? शहरवासी इस खबर पर नजर रखे हुए हैं।

यह पूरी घटना हमें याद दिलाती है कि विकास के नाम पर नियम तोड़ना किसी के हित में नहीं है। एमडीए की सख्ती से उम्मीद है कि मुरादाबाद में बेहतर और सुरक्षित निर्माण होंगे। अगर आप भी ऐसे किसी मामले से जुड़े हैं, तो प्राधिकरण से संपर्क करें और नियमों का पालन करें।