पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाई कोर्ट बेंच की स्थापना की मांग को लेकर अधिवक्ताओं ने किया प्रदर्शन

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मयंक त्रिगुण, वरिष्ठ संवाददाता

मुरादाबाद। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लाखों लोगों का सालों पुराना सपना है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक बेंच उनके इलाके में बने। इस मांग को लेकर अब वकील सड़क पर उतर आए हैं और उन्होंने सीधे मुरादाबाद की सांसद रुचि वीरा के घर का घेराव कर दिया। जी हां, बुधवार को सैकड़ों अधिवक्ताओं ने सांसद के आवास पर धावा बोल दिया और ज़ोर-शोर से नारे लगाते हुए ज्ञापन सौंपा।

वकीलों का गुस्सा सातवें आसमान पर, सांसद के घर के बाहर लगे जोरदार नारे

बताया जा रहा है कि दोपहर के समय भारी संख्या में वकील काले कोट पहने सांसद रुचि वीरा के आवास पर पहुंच गए। हाथों में तख्तियां और मुंह से नारे लगाते हुए उन्होंने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया। वकीलों का कहना था कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोग हाईकोर्ट के लिए इलाहाबाद के चक्कर काट-काटकर परेशान हो चुके हैं। दूर-दराज के मुकदमेबाजों को हर तारीख पर सैकड़ों किलोमीटर का सफर करना पड़ता है, जिससे समय और पैसा दोनों बर्बाद होता है।

वकीलों ने एक स्वर में कहा, “अगर मेरठ, आगरा या गाजियाबाद में हाईकोर्ट बेंच बन जाए तो लाखों लोगों को राहत मिलेगी।” उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।

सांसद रुचि वीरा ने वकीलों को दिया ये बड़ा आश्वासन

ज्ञापन लेते समय सांसद रुचि वीरा खुद बाहर आईं और वकीलों की बात सुनी। वकीलों ने उनसे आग्रह किया कि वे संसद के आगामी सत्र में यह मुद्दा जोर-शोर से उठाएं और केंद्र सरकार पर दबाव बनाएं। इस पर सांसद ने तुरंत हामी भर दी।

रुचि वीरा ने कहा, “मैं आपकी इस जायज मांग को पूरी तरह समझती हूं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच बनना बहुत जरूरी है। मैं सदन में यह मुद्दा जरूर उठाऊंगी और केंद्र से बात करके इसे जल्द से जल्द पूरा करवाने की कोशिश करूंगी।” सांसद के इस आश्वासन के बाद वकीलों ने नारे लगाए और शांतिपूर्वक वापस लौट गए।

सालों से चला आ रहा है ये आंदोलन, अब मिलेगी कामयाबी?

दरअसल, पश्चिमी यूपी में हाईकोर्ट बेंच की मांग कोई नई नहीं है। पिछले कई दशकों से वकील, व्यापारी और आम जनता यह मांग करते आ रहे हैं। बार-बार आंदोलन, धरना-प्रदर्शन होते रहे हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। वकीलों का कहना है कि इस बार लोकसभा में उनकी अपनी सांसद ने समर्थन दिया है, इसलिए उम्मीद बढ़ गई है।

अब सभी की निगाहें संसद के शीतकालीन सत्र पर टिकी हैं। देखना यह है कि रुचि वीरा अपनी बात रखती हैं या नहीं और केंद्र सरकार इस पुरानी मांग पर कोई सकारात्मक कदम उठाती है या नहीं।