Jagruk Youth News: नोएडा/अमरोहा । नोएडा में आयोजित पीस कॉन्फ्रेंस एंड अवार्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेरेमनी का आयोजन किया गया। विश्वभर से आए प्रतिष्ठित विद्वानों, वैज्ञानिकों और प्रशासनिक अधिकारियों ने भाग लिया। इस दौरान डॉ. नौरतन सिंह को अमेरिकी विश्वविद्यालय द्वारा सर्टिफिकेट ऑफ एक्सीलेंस से सम्मानित किया है।
डॉ. नौरतन अमरोहा जनपद के गाँव-हरियाना के निवासी है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई (इटावा) में टेक्निकल ऑफिसर के पद पर कार्यरत हैं। डॉ. नौरतन सिंह को द अमेरिकन यूनिवर्सिटी फॉर ग्लोबल पीस द्वारा सर्टिफिकेट ऑफ एक्सीलेंस प्रदान किया गया।

इस अवसर पर डॉ. मार्क बर्न्स (अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार), डॉ. यसीनिया (जैसी) सांचेज़ (MAGA प्रतिनिधि एवं संयुक्त राष्ट्र प्रतिनिधि), प्रो. डॉ. मधु कृष्ण (AUGP-USA के चेयरमैन एवं चीफ रेक्टर), तथा डॉ. नीरज टंडन (AUGP-USA इंडिया चैप्टर के डीन एवं निदेशक) सहित कई देशों के राजदूत, वैज्ञानिक और प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे।
उन्हें यह सम्मान चिकित्सा क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान, पर्यावरण संरक्षण और वैश्विक शांति के प्रयासों के लिए प्रदान किया गया।
इस कॉन्फ्रेंस के दौरान डॉ. नौरतन सिंह, प्रो. डॉ. मधु कृष्ण और डॉ. नीरज टंडन द्वारा लिखित पुस्तक “Empowering Youth for a Sustainable Future: Diplomatic Peace Missions and the Global Happiness Index” का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विमोचन किया गया। यह पुस्तक युवाओं को सतत विकास, शांति और वैश्विक खुशहाली की दिशा में प्रेरित करने पर केंद्रित है। इसे AUGP-USA द्वारा प्रकाशित और विश्व के प्रमुख पुस्तकालयों में शामिल किया जाएगा।
डॉ. नौरतन सिंह की यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार और गाँव के लिए, बल्कि उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय और भारत के लिए भी गर्व का विषय है। उनका यह सम्मान युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बनेगा।
इस पुरस्कार के साथ, डॉ. नौरतन सिंह ने एक बार फिर साबित किया कि समर्पण और मेहनत से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएँ!
इस अवसर पर डॉ. मार्क बर्न्स (अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार), डॉ. यसीनिया (जैसी) सांचेज़ । प्रतिनिधि एवं संयुक्त राष्ट्र प्रतिनिधि), प्रो. डॉ. मधु कृष्ण के चेयरमैन एवं चीफ रेक्टर), तथा डॉ. नीरज टंडनइंडिया चौप्टर के डीन एवं निदेशक) सहित कई देशों के राजदूत, वैज्ञानिक और प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे।