Amroha News- जिले में 19, 21 व 22 तक बंद रहेंगे कक्षा आठ तक के स्कूल

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Jagruk youth news-Amroha News-सावन का पवित्र महीना शुरू होते ही उत्तर भारत में धार्मिक उत्साह का माहौल बन जाता है। इस दौरान कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व होता है, जिसमें लाखों शिवभक्त गंगाजल लेकर शिव मंदिरों में जलाभिषेक के लिए निकलते हैं। अमरोहा जिले में भी इस यात्रा के दौरान भारी भीड़ और यातायात व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। जिलाधिकारी (डीएम) निधि गुप्ता ने कक्षा एक से आठ तक के सभी स्कूलों में 19, 21 और 22 जुलाई 2025 को विशेष अवकाश घोषित किया है। यह निर्णय बच्चों की सुरक्षा और यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए लिया गया है। इस लेख में हम इस अवकाश के कारणों, प्रभावों और इससे जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी को विस्तार से समझेंगे।

सावन माह में कांवड़ यात्रा उत्तर भारत की सबसे बड़ी धार्मिक यात्राओं में से एक है। इस दौरान शिवभक्त हरिद्वार, गंगोत्री, और अन्य पवित्र स्थानों से गंगाजल लेकर अपने स्थानीय शिव मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं। अमरोहा, जो दिल्ली-लखनऊ हाईवे पर स्थित है, कांवड़ यात्रा का एक प्रमुख मार्ग है। इस दौरान सड़कों पर भारी भीड़ और यातायात अवरोध की स्थिति बन जाती है, जिससे बच्चों का स्कूल आना-जाना जोखिमपूर्ण हो सकता है।

  • सुरक्षा सुनिश्चित करना: कांवड़ियों की भारी भीड़ और वाहनों के डायवर्जन के कारण बच्चों की सुरक्षा प्राथमिकता है।

  • यातायात प्रबंधन: हाईवे पर भारी वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित होने से सामान्य आवागमन प्रभावित होता है।

  • धार्मिक माहौल: सावन का महीना धार्मिक उत्साह से भरा होता है, और स्कूल अवकाश से बच्चे भी इस माहौल का हिस्सा बन सकते हैं।

अमरोहा में स्कूल अवकाश की तारीखें

जिलाधिकारी निधि गुप्ता ने सावन कांवड़ यात्रा को देखते हुए निम्नलिखित तारीखों पर कक्षा एक से आठ तक के सभी स्कूलों में अवकाश घोषित किया है:

  • 19 जुलाई 2025 (शनिवार)

  • 21 जुलाई 2025 (सोमवार)

  • 22 जुलाई 2025 (मंगलवार)

ये अवकाश सरकारी, निजी, और सभी बोर्डों (यूपी बोर्ड, सीबीएसई, आईसीएसई) से संबद्ध स्कूलों पर लागू होंगे। यह निर्णय विशेष रूप से कांवड़ यात्रा के चरम दिनों को ध्यान में रखकर लिया गया है, जब यात्रा मार्गों पर सबसे अधिक भीड़ होती है।

जिलाधिकारी निधि गुप्ता का आदेश

जिलाधिकारी निधि गुप्ता ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि यह अवकाश बच्चों की सुरक्षा और यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए आवश्यक है। उनके अनुसार:

  • सभी स्कूलों को इन तारीखों पर बंद रखने के लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं।

  • स्कूल प्रशासन को अभिभावकों और छात्रों को इस अवकाश की जानकारी पहले से देनी होगी।

  • यदि कोई स्कूल इस आदेश का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

यह आदेश स्थानीय पुलिस और प्रशासन के साथ समन्वय में लिया गया है, ताकि कांवड़ यात्रा के दौरान व्यवस्था बनी रहे।

कांवड़ यात्रा के दौरान सुरक्षा और यातायात व्यवस्था

कांवड़ यात्रा के दौरान अमरोहा में यातायात और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं:

  • रूट डायवर्जन: दिल्ली-लखनऊ हाईवे पर भारी वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है। ट्रक, बसें, और अन्य भारी वाहनों को वैकल्पिक मार्गों जैसे मुरादाबाद, बिलारी, संभल, और बुलंदशहर से डायवर्ट किया जा रहा है।

  • पुलिस तैनाती: यात्रा मार्गों पर अतिरिक्त पुलिस बल, होमगार्ड, और स्वयंसेवकों की तैनाती की गई है।

  • सीसीटीवी निगरानी: प्रमुख चौराहों और हाईवे पर सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है।

  • अस्थायी सुविधाएं: कांवड़ियों के लिए अस्थायी अस्पताल, मोबाइल शौचालय, और जल स्टेशन स्थापित किए गए हैं।

इन उपायों से न केवल कांवड़ियों की सुविधा होगी, बल्कि स्थानीय निवासियों और स्कूली बच्चों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।

स्कूल बंद होने का बच्चों और अभिभावकों पर प्रभाव

स्कूल अवकाश का बच्चों और अभिभावकों पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव हो सकते हैं:

  • सकारात्मक प्रभाव:

    • सुरक्षा: बच्चे यातायात जाम और भीड़भाड़ से बचे रहेंगे।

    • धार्मिक गतिविधियों में भागीदारी: बच्चे सावन माह की पूजा-पाठ और सामाजिक गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं।

    • पारिवारिक समय: अभिभावकों को बच्चों के साथ समय बिताने का अवसर मिलेगा।

  • नकारात्मक प्रभाव:

    • शिक्षा में रुकावट: पढ़ाई का नियमित शेड्यूल प्रभावित हो सकता है।

    • अभिभावकों की चिंता: कामकाजी माता-पिता के लिए बच्चों की देखभाल एक चुनौती हो सकती है।

ऑनलाइन शिक्षा: एक वैकल्पिक समाधान

स्कूल अवकाश के दौरान पढ़ाई को बाधित होने से बचाने के लिए कई स्कूल ऑनलाइन शिक्षा को एक विकल्प के रूप में अपना सकते हैं। कुछ महत्वपूर्ण बिंदु:

  • स्कूलों को ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।

  • शिक्षक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग टूल्स जैसे जूम, गूगल मीट, या माइक्रोसॉफ्ट टीमें का उपयोग कर सकते हैं।

  • ऑनलाइन असाइनमेंट और प्रोजेक्ट्स के माध्यम से बच्चों को व्यस्त रखा जा सकता है।

  • अभिभावकों को बच्चों के लिए डिजिटल संसाधनों तक पहुंच सुनिश्चित करनी चाहिए।

यह सुनिश्चित करना स्कूल प्रशासन और अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि बच्चों की पढ़ाई में ज्यादा रुकावट न आए।

सावन माह का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

सावन का महीना हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह भगवान शिव की उपासना का समय है, और कांवड़ यात्रा इस माह की सबसे प्रमुख गतिविधि है। कुछ मुख्य बिंदु:

  • धार्मिक महत्व: सावन के सोमवार को शिव भक्त उपवास रखते हैं और शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं।

  • सांस्कृतिक महत्व: यह माह सामाजिक एकता और भक्ति का प्रतीक है, जिसमें विभिन्न समुदाय एक साथ भाग लेते हैं।

  • पर्यटन और अर्थव्यवस्था: कांवड़ यात्रा से स्थानीय व्यवसायों, विशेष रूप से खानपान और परिवहन क्षेत्र को लाभ होता है।

अमरोहा जैसे क्षेत्रों में, जहां ब्रजघाट जैसे पवित्र स्थल हैं, सावन माह में पर्यटकों और श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि होती है।

अमरोहा में कांवड़ यात्रा की तैयारियां

अमरोहा प्रशासन ने कांवड़ यात्रा को सुचारू और सुरक्षित बनाने के लिए व्यापक तैयारियां की हैं:

  • ब्रजघाट में व्यवस्थाएं: ब्रजघाट, जहां श्रद्धालु गंगाजल भरते हैं, वहां विशेष प्रबंध किए गए हैं।

  • स्वास्थ्य सुविधाएं: अस्थायी चिकित्सा शिविर और एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई है।

  • साफ-सफाई: यात्रा मार्गों पर स्वच्छता बनाए रखने के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती।

  • सुरक्षा बल: पुलिस और प्रशासन ने संवेदनशील क्षेत्रों में विशेष निगरानी की व्यवस्था की है।

अमरोहा में 19, 21 और 22 जुलाई 2025 को कक्षा एक से आठ तक के स्कूलों में विशेष अवकाश का निर्णय कांवड़ यात्रा के दौरान बच्चों की सुरक्षा और यातायात व्यवस्था को बनाए रखने के लिए लिया गया है। जिलाधिकारी निधि गुप्ता का यह आदेश न केवल प्रशासनिक सूझबूझ को दर्शाता है, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं का भी सम्मान करता है। अभिभावकों और स्कूल प्रशासन को इस अवकाश का उपयोग बच्चों की सुरक्षा और पढ़ाई के लिए वैकल्पिक उपायों पर ध्यान देने के लिए करना चाहिए। सावन का यह पवित्र महीना न केवल धार्मिक उत्साह का प्रतीक है, बल्कि सामुदायिक एकता और प्रशासनिक जिम्मेदारी का भी उदाहरण प्रस्तुत करता है।