मयंक त्रिगुण, वरिष्ठ संवाददाता
Moradabad GST Scam-मुरादाबाद : जीएसटी विभाग की नींद उड़ी हुई है। जिले और आसपास के इलाकों में कई चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) ने व्यापारियों के साथ मिलकर ऐसा खेल खेला है, जो सरकारी खजाने को चूना लगा रहा था। फर्जी फर्में खोलकर बोगस बिलिंग का धंधा चला रहे थे ये लोग। अब पुलिस और जीएसटी विभाग का रडार इन पर लग चुका है। दो सिम कार्डों के जरिए 122 फर्जी कंपनियां खोल ली गईं, जिनसे 1811 करोड़ का कागजी टर्नओवर दिखाया गया। अभी तक 341 करोड़ की जीएसटी चोरी पकड़ी जा चुकी है। ये मामला इतना बड़ा है कि आठ अलग-अलग मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। व्यापारियों को सस्ते में इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) देने का लालच देकर ये फर्जीवाड़ा चल रहा था।
जिले, आसपास के कई CA का कारनामा
ये घोटाला मुरादाबाद जिले तक सीमित नहीं है। आसपास के जिलों के कई CA इसमें फंसे हुए हैं। जांच में पता चला कि ये CA व्यापारियों को लुभाने के लिए फर्जी फर्में रजिस्टर करवाते थे। एक CA ने तो अकेले दर्जनों फर्मों का जाल बिछा रखा था। विभाग की टीम ने छापेमारी की तो कागजों का पुलिंदा मिला, लेकिन असल में कोई कारोबार ही नहीं था। ये CA कमीशन के लालच में ये गंदा खेल खेल रहे थे। मुरादाबाद के अलावा रामपुर, संभल जैसे इलाकों के नाम भी सामने आ रहे हैं। विभाग अब इन CA के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी में है। क्या ये लोग सिर्फ पैसे के लिए देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर कर रहे थे? ये सवाल अब हर कोई पूछ रहा है।
व्यापारियों संग मिलकर खुलवाई बोगस फर्म
फर्जी फर्मों का ये नेटवर्क व्यापारियों और CA की मिलीभगत से चल रहा था। व्यापारी असली टैक्स बचाने के चक्कर में इन बोगस फर्मों से नकली बिल खरीदते थे। फिर ITC क्लेम करके सरकार को चूना लगाते। मुरादाबाद-लखनऊ हाईवे पर दो ट्रकों की जांच से ये राज खुला। ट्रकों में लोहा लदा था, लेकिन कागजों में फर्जी कंपनियों के नाम थे। एक व्यक्ति, जिसका नाम अंकित कुमार आ रहा है, मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। वो लोहा कारोबारी है और लखनऊ के राजाजीपुरम का रहने वाला। उसके नाम पर 122 फर्में रजिस्टर हैं, वो भी सिर्फ दो फोन नंबरों से। अब तक नौ लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, जिसमें ये मास्टरमाइंड भी शामिल है। एसएसपी सतपाल अंतिल ने स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) बना दी है, जो पूरे नेटवर्क को उजागर करेगी।
➡ कई CA पुलिस, GST विभाग के रडार पर
अब कई CA फरार हैं, लेकिन पुलिस और जीएसटी विभाग का रडार इन पर टिका है। विभाग ने इनके दफ्तरों पर छापे मारे, दस्तावेज जब्त किए। एक CA के पास से सैकड़ों बोगस इनवॉइस मिले। ये लोग डिजिटल तरीके से फर्में रजिस्टर करवाते, फिर बंद कर देते। नया पता, नई फर्म – ये सिलसिला चलता रहता। मुरादाबाद के गलशहीद, संभल रोड जैसे इलाकों में ये धंधा फल-फल रहा था। ई-वेस्ट स्क्रैप, लोहा, पीतल एक्सपोर्ट जैसे कारोबारों में ये घुसपैठ कर चुके थे। अब SIT इनके बैंक अकाउंट्स, प्रॉपर्टी पर नजर रख रही है। अगर ये पकड़े गए, तो सलाखों के पीछे जाना तय है।
मामले में अलग-अलग 8 मुकदमे दर्ज हुए
इस घोटाले ने विभाग को हिलाकर रख दिया। अलग-अलग आठ मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। दो मुकदमे तो हाल ही में लोहे के ट्रकों से जुड़े। बाकी पुराने केस हैं, जैसे ई-वेस्ट कारोबारी हाजी बिलाल का, जहां 25 लाख वसूल हो चुके। फिर पैराडाइज कॉरपोरेशन वाला केस, जहां 4.49 करोड़ की चोरी पकड़ी गई। लकड़ी-ईंट व्यापार में 1300 करोड़ का फर्जी लेन-देन, 95 फर्में बंद। हर मुकदमे में बोगस बिलिंग का खेल। SIT अब इन सबको जोड़कर बड़ी साजिश उजागर करेगी। मुरादाबाद मंडल के पांच जिलों में 128 बोगस फर्में चिह्नित हो चुकी हैं।
अभी तक पकड़ी गई 341 करोड़ की GST चोरी
अभी तक की जांच में 341 करोड़ की जीएसटी चोरी पकड़ी जा चुकी है। लेकिन ये तो टिप है। कुल टर्नओवर 1811 करोड़ का है। इन फर्मों से बोगस ITC पास किया जा रहा था। मतलब, व्यापारी टैक्स बचाते, CA कमीशन कमाते, और सरकार को नुकसान। राज्य कर विभाग की विशेष नुसंधान शाखा (SIB) ने ये कार्रवाई की। सहायक आयुक्त अखिलेश कुमार और उप आयुक्त उत्तम तिवारी की टीमें मैदान में थीं। अब 72 फर्मों की जांच बाकी है, नुकसान का आंकड़ा और बढ़ सकता है। ये घोटाला मुरादाबाद को बदनाम कर रहा है, जहां पीतल निर्यात का बड़ा सेंटर है।
2 फोन नंबरों से खोली गई 122 बोगस कंपनी
सबसे हैरान करने वाली बात ये कि सिर्फ दो फोन नंबरों से 122 बोगस कंपनियां खोली गईं। एक ही व्यक्ति के नाम पर। ये फर्में कागजों पर चल रही थीं, असल में कोई गोदाम, कोई कारोबार नहीं। लखनऊ से मुरादाबाद तक नेटवर्क फैला। दो ट्रकों की जांच से शुरू हुआ ये सिलसिला अब पूरे देशभर की फर्मों तक पहुंच गया। विभाग अब साइबर सेल की मदद से डिजिटल ट्रेल ढूंढ रहा है।
फर्मों के जरिए करोड़ों का कागजी कारोबार
इन फर्मों के जरिए करोड़ों का कागजी कारोबार दिखाया जा रहा था। बोगस इनवॉइस से ITC क्लेम, रिफंड लेना। निर्यातकों को 18 फेरेंट रिफंड के लिए पक्के बिल चाहिए होते, वही बेचते CA। अब विभाग ने 95 फर्मों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया। बाकी पर नजर। प्रमुख सचिव खुद मॉनिटर कर रहे हैं। मुरादाबाद में अब सख्ती बढ़ेगी, ताकि ऐसा घोटाला दोबारा न हो।