क्या आप जानते हैं? PM मोदी ने अटल जयंती पर राष्ट्र प्रेरणा स्थल क्यों बनवाया, पढ़ें पूरी कहानी

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मयंक त्रिगुण, ब्यूरो चीफ

लखनऊ: आज 25 दिसंबर 2025 को पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की 101वीं जयंती पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है। इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लखनऊ में राष्ट्र प्रेरणा स्थल का उद्घाटन किया, जहां अटल जी की 65 फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा का अनावरण हुआ। यह कार्यक्रम इतना भव्य था कि हजारों लोग जमा हो गए, और पीएम मोदी ने जनसभा को संबोधित करते हुए अटल जी के योगदान को याद किया। यह जगह अब युवाओं के लिए प्रेरणा का केंद्र बनने वाली है, जहां राष्ट्रवाद और सेवा की भावना को बढ़ावा मिलेगा।

PM मोदी का लखनऊ दौरा: क्या-क्या हुआ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोपहर करीब 2:30 बजे लखनऊ पहुंचे। सबसे पहले उन्होंने राष्ट्र प्रेरणा स्थल का उद्घाटन किया। यह जगह गोमती नदी के किनारे हार्डोई रोड पर बनी है, और इसका निर्माण 2022 में शुरू हुआ था। पीएम ने यहां तीन महान नेताओं की प्रतिमाओं का अनावरण किया – अटल बिहारी वाजपेयी, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय। हर प्रतिमा 65 फुट ऊंची है और 42 टन वजन की है। ये प्रतिमाएं पानी से घिरी हुई प्लेटफॉर्म पर खड़ी हैं, जो देखने में बेहद आकर्षक लगती हैं। पीएम मोदी ने कहा कि ये नेता भारत के राजनीतिक विचार, राष्ट्र निर्माण और लोक जीवन में अहम योगदान देने वाले हैं। इसके बाद उन्होंने एक बड़ी जनसभा को संबोधित किया, जहां करीब 2 लाख लोग जमा थे। भाषण में उन्होंने अटल जी की कविताओं और उनके फैसलों का जिक्र किया, जैसे पोखरण परमाणु परीक्षण और कारगिल युद्ध में उनकी दृढ़ता। लोगों ने तालियों से उनका स्वागत किया, और माहौल राष्ट्रभक्ति से भरा हुआ था।

यह कार्यक्रम अटल जी की जन्म शताब्दी वर्ष के समापन का हिस्सा था। पीएम मोदी ने दिल्ली में ‘सदैव अटल’ स्मारक पर भी पुष्पांजलि अर्पित की, जहां उन्होंने अटल जी को एक जन्मजात देशभक्त, कुशल प्रशासक और दिल से कवि बताया। इसी तरह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 24 दिसंबर को हरियाणा के पंचकूला में अटल जी की 41 फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया। शाह ने कहा कि अटल जी ने राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास पर कभी समझौता नहीं किया। ये सभी कार्यक्रम दिखाते हैं कि अटल जी का योगदान कितना गहरा है, जो राजनीतिक दलों से ऊपर उठकर सबको प्रेरित करता है।

राष्ट्र प्रेरणा स्थल की खासियतें: युवाओं के लिए प्रेरणा का केंद्र

राष्ट्र प्रेरणा स्थल 65 एकड़ में फैला हुआ है और इसकी लागत करीब 230 करोड़ रुपये है। यह जगह सिर्फ एक स्मारक नहीं, बल्कि एक प्रेरणादायक कॉम्प्लेक्स है। यहां कमल के आकार का म्यूजियम है, जो 98,000 वर्ग फुट में फैला हुआ है। म्यूजियम में दो मंजिलें हैं, पांच गैलरी, पांच आंगन और 12 व्याख्या दीवारें हैं। यहां इन तीन नेताओं के जीवन, विचारों, सामान और महत्वपूर्ण घटनाओं को दिखाया गया है। दो कमरों में उनके जीवन पर ओरिएंटेशन फिल्में चलती हैं, जो डिजिटल और इमर्सिव टेक्नोलॉजी से बनाई गई हैं। म्यूजियम भारत की राष्ट्रीय यात्रा और इन नेताओं के योगदान को भी हाइलाइट करता है, जैसे भारतीय जनसंघ की स्थापना और भाजपा की वैचारिक नींव।

इसके अलावा, यहां एक बड़ा रैली ग्राउंड है, जहां 2 लाख लोग एक साथ आ सकते हैं। एक एम्फीथिएटर, ध्यान और विपश्यना-योग केंद्र, कैफेटेरिया और आधुनिक सुविधाएं भी हैं। यह जगह सांस्कृतिक और सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए परफेक्ट है। अधिकारियों का कहना है कि यह कॉम्प्लेक्स राष्ट्र सेवा, सांस्कृतिक जागरूकता और नेतृत्व मूल्यों को बढ़ावा देगा। युवा यहां आकर इन नेताओं से प्रेरणा ले सकेंगे, और यह जगह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्थायी संपत्ति बनेगी। लखनऊ विकास प्राधिकरण के बासंत कुंज स्कीम के तहत बनी यह जगह अब पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र होगी।

राज्य स्तर पर जश्न: संस्कृति और परंपराओं का संगम

उत्तर प्रदेश सरकार ने अटल जयंती को पूरे राज्य में धूमधाम से मनाया। लखनऊ, आगरा के बटेश्वर, बलरामपुर और सीतापुर जैसे जगहों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए, जो अटल जी के जीवन से जुड़ी हैं। पर्यटन और संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि ये कार्यक्रम राष्ट्रवाद, संस्कृति और जन सेवा के मूल्यों से लोगों को जोड़ने के लिए हैं। कार्यक्रमों में कविता पाठ, लोक और सूफी संगीत, कठपुतली शो, शहनाई वादन, अल्हा गायन, राजस्थानी लोक नृत्य, जादू शो और पारंपरिक नृत्य जैसे बम रसिया, धोबिया, फरुवाही और मयूर नृत्य शामिल थे।

इसके अलावा, भाजपा कार्यालयों और महान नेताओं के स्मारकों पर सफाई अभियान चला। अटल जी से जुड़ी जगहों पर दीप जलाए गए। लखनऊ में शाम को ‘कवि सम्मेलन’ हुआ, जहां कवियों ने अटल जी की याद में कविताएं पढ़ीं। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि पूरे देश में अटल जी की जन्म शताब्दी के साथ वंदे मातरम की 150वीं जयंती, भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती और गुरु तेग बहादुर की 350वीं शहादत वर्ष मनाया जा रहा है। ये सभी कार्यक्रम संस्कृति, इतिहास और देशभक्ति को पुनर्जीवित करने के लिए हैं।

अटल जी का योगदान: क्यों हैं वो आज भी प्रासंगिक?

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 1924 में हुआ था, और वे भारत के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक थे। उनकी ओजस्वी वाणी, कविताएं और फैसले आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं। पीएम मोदी की दृष्टि से बना यह स्मारक उनके आदर्शों को संरक्षित रखेगा। कार्यक्रम में शामिल लोगों ने कहा कि अटल जी जैसे नेता दुर्लभ होते हैं, जो राजनीति को सेवा का माध्यम बनाते हैं। यह जयंती न सिर्फ यादों का दिन है, बल्कि भविष्य के लिए प्रेरणा का स्रोत भी। लखनऊ का यह राष्ट्र प्रेरणा स्थल अब देशभर से लोगों को आकर्षित करेगा, और अटल जी की विरासत को जिंदा रखेगा।