Gogamedi mela 2023 : गोगामेडी का मेला हुआ शुरू, लाखों भक्त पहुंचने हुए शुरू

Gogamedi mela 2023 : हर साल लाखों भक्त गोगामेडी में बाबा जहारवीर बाबा के दर्शन करने आते है।  

 
Gogamedi mela 2023

Gogamedi mela 2023 : हर साल लाखों भक्त गोगामेडी में बाबा जहारवीर बाबा के दर्शन करने आते है।  मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से मन्नत मांगता है उसकी मन्नत पूरी हो जाती है। मेला अगस्त के माह से शुरू होता है। जो कई माह तक चलता है।Gogamedi mela 2023 गोगामेडी का मेला शुरू हो गया है। भादरा निकटवर्ती गांव गोगामेड़ी में बुधवार को साम्प्रदायिक सद्भावना का प्रतीक उत्तर भारत का प्रसिद्ध गोगाजी मेला गोगाजी मंदिर के सामने ध्वजारोहण के साथ शुरू हो गया। ध्वजारोहण कार्यक्रम में भादरा विधायक बलवान पूनिया, सरपंच एवं गोरखनाथ टीला के महन्त रूपनाथ, नोहर की अतिरिक्त जिला कलक्टर चंचल वर्मा, नोहर उपखंड अधिकारी सत्यनारायण सुथार, भादरा उपखंड अधिकारी शकुंतला पचार, एएसपी सुरेशचंद्र जांगिड़ के साथ नोहर तहसीलदार महेन्द्र सिंह रत्नु, भादरा तहसीलदार विनोद पूनिया, नोहर पंचायत समिति सदस्य मंगेज चौधरी, देवस्थान विभाग व अन्य विभागों के अधिकारी, कर्मचारी, गोगामेड़ी के ग्रामीण श्रद्धालु सम्मिलित रहे। एक माह चलने वाले मेले में इस बार करीब चालीस लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावा है।

Gogamedi mela 2023 : जाने इस बार कब से शुरू होगा गोगामेड़ी मेला

Gogamedi mela 2023
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विधायक बलवान पुनियां ने गोगामेड़ी मेले में साफ सफाई, लाइनिंग व्यवस्था के साथ मेला क्षेत्र में दुकानदारों व आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए की गई व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि हमारा पूरा प्रयास रहा है कि मेला क्षेत्र में साफ-सफाई व्यवस्था होने के साथ-साथ आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था बनी रहे। गत वर्षों से किए गए विकास कार्यों के बारे में जानकारी दी। नोहर उपखंड अधिकारी सत्यनारायण सुथार ने मेले की लाइनिंग व्यवस्थाओं, मंदिर के अंदर की व्यवस्थाओं के साथ-साथ मेले क्षेत्र को चार भागों में बांटकर की गई सफाई व्यवस्था, पेयजल व्यवस्था अन्य व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि सभी विभागों को समन्वय बनाकर मेले को सफल बनाना है। उन्होंने कहा कि मेला क्षेत्र को चार सेक्टर में विभाजित किया गया है तथा प्रत्येक सेक्टर के लिए एक प्रभारी अधिकारी नियुक्त किया गया है। प्रभारी अधिकारियों की सहायता के लिए कर्मचारियों को नियुक्त किया गया है। दुकानों के लिए ऑनलाइन ही नीलामी की गई है तथा बैरिकेडिंग की बेहतरीन व्यवस्था की गई है। सरपंच महन्त रूपनाथ, अतिरिक्त जिला कलेक्टर चंचल वर्मा ने भी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सभी अधिकारियों कर्मचारियों को सहयोग, समन्वय बनाकर मेले को सफल बनाने पर जोर दिया।

श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि व्यवस्थाओं को बनाने में प्रशासन का सहयोग करे। साफ सफाई बनाए रखें तथा लाइन बनाने में पुलिस का सहयोग करें। अतिरिक्त जिला पुलिस अधीक्षक सुरेशचन्द्र जांगिड़ ने बताया कि मेले में सुरक्षा व्यवस्थाओं को लेकर सीसीटीवी कैमरा लगाने के साथ-साथ सामान्य दिनों में 850 व मेले के विशेष दिवस अष्टमी, नवमी को पन्द्रह सौ पुलिसकर्मियों की टीम की ड्यूटी लगाई गई है। मेले में श्रद्धालुओं को अधिक से अधिक सुविधा देने का प्रयास किया जा रहा है। कार्यक्रम में पशुपालन विभाग संयुक्त निदेशक डॉ सुचिता चटर्जी, देवस्थान विभाग सहायक आयुक्त गिरीश कुमार सहित मेले में नियुक्त कर्मचारी और अधिकारी उपस्थित रहे।

Mela is held in Gogamedi गोगामेड़ी में लगता है मेला 


राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले की भादरा विधानसभा क्षेत्र का एक शहर गोगामेड़ी जिसे धुरमेड़ी भी कहते है। यहां भादों कृष्णपक्ष की नवमी को गोगाजी देवता का मेला भरता है। गोरख टीले पर यात्रियों का यह पडाव अष्टमी की रात्रि तक रहता है। नवमीं की प्रातः सारा मेला गोगामैडी की ओर चल पड़ता है। गोगामैडी आकर यात्रियों को गोगाजी की समाधि के दर्शन की उत्कंठा बढ़ जाती है। उनको गोगामैडी व समाधि के सुविधापूर्वक दर्शन हो सके इसलिए यात्रियों को पंक्तिबद्ध होकर खड़ा होना पड़ता है।

यात्रियों की यह पंक्ति काफी लंबी हो जाती है। पंक्तिबद्ध व्यक्तियों की पंक्ति गोगामैडी के मुख्य दरवाजे से लेकर गोरखा टीले के मध्य तक सुनियोजित ढंग से लग जाती है। यात्रियों की यह लंबी पंक्ति ऐसी लगती है कि मानो ऊची नीची लम्बी दीवार को पिले रंग से पोत दिया हो। क्योंकि अधिकतर यात्री गोगामेड़ी मेले मे पीले वस्त्र धारण करके आते है। आगे पंक्ति मे खडे व्यक्ति को जब मैडी मे समाधि के दर्शनार्थ प्रवेश मिल जाता है तथा वे समाधि गोगामेड़ी के दर्शन पूजन एवं परिक्रमा कर लेते है तब दूसरे यात्रियों को प्रवेश की सुविधा मिल पाती है। इस व्यवस्था से यात्रियों का भीड़ के धक्के मुक्को से बचाव हो जाता है। यह क्रम तब तक चलता रहता है, जब तक की सारे यात्री समाधि के दर्शन नही कर लेते। यात्री मैडी मे प्रवेश पाकर गोगाजी की समाधि के सामने चौक मे भूमिष्ट होकर प्रणाम करते है।

 Who was jaharveer baba जहारवीर बाबा कौन थे


गोगाजी गुरु गोरखनाथ के परमशिष्य थे। उनका जन्म विक्रम संवत 1003 में चुरू जिले के ददरेवा गाँव में हुआ था। सिद्ध वीर गोगादेव के जन्मस्थान राजस्थान के चुरू जिले के दत्तखेड़ा ददरेवा में स्थित है जहाँ पर सभी धर्म और सम्प्रदाय के लोग मत्था टेकने के लिए दूर-दूर से आते हैं। कायम खानी मुस्लिम समाज उनको गोगामेड़ी जाहर पीर के नाम से पुकारते हैं तथा उक्त स्थान पर मत्‍था टेकने और मन्नत माँगने आते हैं। इस तरह यह स्थान हिंदू और मुस्लिम एकता का प्रतीक है। मध्यकालीन महापुरुष गोगाजी हिंदू, मुस्लिम, सिख संप्रदायों की श्रद्घा अर्जित कर एक धर्मनिरपेक्ष लोकदेवता के नाम से पीर के रूप में प्रसिद्ध हुए।

Gogamedi 

Gogamedi

गोगाजी का जन्म राजस्थान के ददरेवा (चुरू) चौहान वंश के राजपूत शासक जैबर (जेवरसिंह) की पत्नी बाछल के गर्भ से गुरु गोरखनाथ के वरदान से भादो सुदी नवमी को हुआ था। चौहान वंश में राजा पृथ्वीराज चौहान के बाद गोगाजी वीर और ख्याति प्राप्त राजा थे। गोगाजी का राज्य सतलुज सें हांसी (हरियाणा) तक था। गोगाजी के जन्म की कहानी भी बडी रोचक है। एक किवदंती के अनुसार गोगाजी की मां बाछल देवी निरूसंतान थीं। संतान प्राप्ति के सभी यत्न करने के बाद भी संतान सुख नहीं मिला। गुरु गोरखनाथ गोगामेडी के टीले पर तपस्या कर रहे थे।

बाछल देवी उनकी शरण मे गईं तथा गुरु गोरखनाथ ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया और कहा कि वे अपनी तपस्या पूरी होने पर उन्हें ददरेवा आकर प्रसाद देंगे जिसे ग्रहण करने पर उन्हें संतान की प्राप्ति होगी। तपस्या पूरी होने पर गुरु गोरखनाथ बाछल देवी के महल पहुंचे। उन दिनों बाछल देवी की सगी बहन काछल देवी अपनी बहन के पास आई हुई थी।

गुरु गोरखनाथ से काछल देवी ने प्रसाद ग्रहण कर लिया और दो दाने अनभिज्ञता से प्रसाद के रूप में खा गई। काछल देवी गर्भवती हो गई। बाछल देवी को जब यह पता चला तो वह पुनरू गोरखनाथ की शरण में गईं। गुरु बोले, देवी ! मेरा आशीर्वाद खाली नहीं जायेगा तुम्हे पुत्ररत्न की प्राप्ति अवश्य होगी। गुरु गोरखनाथ ने चमत्कार से एक गुगल नामक फल प्रसाद के रूप में दिया। प्रसाद खाकर बाछल देवी गर्भवती हो गईं और तदुपरांत भादो माह की नवमी को गोगाजी का जन्म हुआ। गुगल फल के नाम से इनका नाम गोगाजी पड़ा।

From Around the web