Jagruk youth news-Faridabad news : फरीदाबाद के न्यू टाउन रेलवे स्टेशन के पास शुक्रवार सुबह एक दुखद घटना ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया। सातवीं कक्षा में पढ़ने वाला 16 वर्षीय छात्र रोहित, जो रामनगर कॉलोनी का निवासी था, ने पलवल से नई दिल्ली जाने वाली शटल ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली। यह घटना सुबह करीब 11:30 बजे हुई, जब रोहित स्कूल जाने के लिए घर से निकला था। प्रारंभिक जांच में पता चला कि रोहित ने अपनी मां बेबी से हुई कहासुनी और डांट से नाराज होकर यह कठोर कदम उठाया। इस घटना ने न केवल रोहित के परिवार को, बल्कि पूरे समुदाय को गहरे सदमे में डाल दिया है।
पुलिस के अनुसार, रोहित का शव रेलवे ट्रैक पर मिला, और उसे तुरंत पोस्टमॉर्टम के लिए बादशाह खान सिविल अस्पताल भेजा गया। घटना के बाद शटल ट्रेन करीब 45 मिनट तक रुकी रही, जिससे रेल यातायात भी प्रभावित हुआ। इस दुखद घटना ने सामाजिक और मनोवैज्ञानिक मुद्दों पर गंभीर सवाल उठाए हैं, खासकर किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य और पारिवारिक दबाव को लेकर।
रोहित का पारिवारिक और शैक्षिक पृष्ठभूमि
रोहित मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर का रहने वाला था, लेकिन उसका परिवार कई वर्षों से फरीदाबाद की रामनगर कॉलोनी में रह रहा था। उसके पिता भगत सिंह एक ड्राइवर हैं, और रोहित अपनी तीन बहनों में इकलौता भाई था। वह एनआईटी-1 के राजकीय उच्च विद्यालय में सातवीं कक्षा का छात्र था। स्कूल प्रबंधन के अनुसार, रोहित पढ़ाई में अच्छा था और उसका व्यवहार सामान्य था। 31 जुलाई को वह स्कूल गया था, लेकिन घटना वाले दिन वह स्कूल नहीं पहुंचा।
स्कूल के शिक्षकों ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और कहा कि उन्हें विश्वास नहीं हो रहा कि रोहित जैसा学生 इतना बड़ा कदम उठा सकता है। उन्होंने बच्चों को सलाह दी कि अपनी समस्याओं को माता-पिता या शिक्षकों के साथ साझा करना चाहिए, ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। रोहित के परिवार में शोक की लहर है, क्योंकि वह परिवार का इकलौता बेटा था, जिससे उनकी उम्मीदें जुड़ी थीं।
मां की डांट और मानसिक दबाव
पुलिस की प्रारंभिक जांच के अनुसार, शुक्रवार सुबह रोहित और उसकी मां बेबी के बीच किसी बात को लेकर बहस हुई थी। इस बहस के दौरान मां ने रोहित को डांट दिया, जिससे वह नाराज हो गया। इसके बाद, रोहित ने स्कूल जाने का बहाना बनाकर घर से बैग उठाया और निकल गया। लेकिन स्कूल जाने के बजाय, वह न्यू टाउन रेलवे स्टेशन के पास रेलवे ट्रैक पर पहुंच गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, रोहित को ट्रैक के पास बैठे देखा गया था, और कुछ लोगों ने उससे बात करने की कोशिश भी की, लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया।
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि किशोरावस्था एक संवेदनशील उम्र होती है, जहां बच्चे छोटी-छोटी बातों को दिल से लगा लेते हैं। माता-पिता की डांट, जो अक्सर सुधार के इरादे से दी जाती है, कभी-कभी बच्चों पर गहरा मानसिक प्रभाव डाल सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि माता-पिता को बच्चों के साथ संवाद करते समय उनकी भावनाओं का ध्यान रखना चाहिए और उन्हें यह विश्वास दिलाना चाहिए कि वे उनकी समस्याओं को समझ सकते हैं।
पुलिस जांच और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान
घटना की सूचना स्थानीय लोगों ने डायल-112 के माध्यम से पुलिस को दी। जीआरपी (राजकीय रेलवे पुलिस) की टीम तुरंत मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लिया। जांच अधिकारी सब-इंस्पेक्टर संजय कुमार ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह आत्महत्या का मामला प्रतीत होता है, लेकिन कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है। रोहित के स्कूल बैग में उसकी कॉपियों पर उसका नाम और पता लिखा था, जिससे उसकी पहचान की गई और परिवार को सूचित किया गया।
प्रत्यक्षदर्शियों ने पुलिस को बताया कि रोहित सुबह करीब 11:30 बजे रेलवे ट्रैक के पास अकेला बैठा था। कुछ युवकों ने उससे पूछा कि क्या कोई समस्या है, लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। जब वे कुछ समय बाद लौटे, तो रोहित ट्रेन की चपेट में आ चुका था। पुलिस इस मामले की गहन जांच कर रही है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या कोई अन्य कारण था जिसने रोहित को यह कदम उठाने के लिए मजबूर किया।
किशोरों में आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति
यह घटना केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि यह समाज में किशोरों के बीच बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति को दर्शाती है। हाल के वर्षों में, पढ़ाई का दबाव, पारिवारिक कलह, और सामाजिक अपेक्षाओं के कारण किशोरों में मानसिक तनाव बढ़ रहा है। फरीदाबाद में हाल ही में एक अन्य मामले में, एक 14 वर्षीय छात्रा ने स्कूल में प्रताड़ना और डिमोट होने के डर से आत्महत्या कर ली थी। ऐसे मामले समाज और सरकार के लिए एक चेतावनी हैं कि किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि स्कूलों में काउंसलिंग सत्र आयोजित किए जाएं और माता-पिता को बच्चों के साथ खुलकर बात करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। इसके अलावा, मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन जैसे भारत सरकार की जीवनसाथी हेल्पलाइन (18002333330) और टेलिमानस हेल्पलाइन (1800914416) पर संपर्क करने की सलाह दी जाती है। ये हेल्पलाइन गोपनीयता बनाए रखती हैं और विशेषज्ञों द्वारा परामर्श प्रदान करती हैं।