मुरादाबाद की झील पर पक्षियों से गुलजार, 29 दुर्लभ प्रजातियां एक साथ दिखीं बच्चे हैरान

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मयंक त्रिगुण, वरिष्ठ संवाददाता 

मुरादाबाद। अगर आप सोच रहे हैं कि शहर के बीच में भी प्रकृति का इतना खूबसूरत नजारा देखने को मिल सकता है तो ये खबर आपके लिए है! शुक्रवार को मोड़ा तेहिया झील पूरी तरह पक्षियों की चहचहाहट और बच्चों की हंसी से गूंज उठी। यहां बर्ड वॉचिंग और नेचर ट्रेल का शानदार आयोजन हुआ जिसमें सैकड़ों बच्चे और प्रकृति प्रेमी शामिल हुए।

कौन आयोजित कर रहा था ये खास कार्यक्रम?

ये पूरा कार्यक्रम सामाजिक वानिकी प्रभाग मुरादाबाद और परिवर्तन “दी चेंज” नाम की संस्था ने मिलकर आयोजित किया था। खास बात ये रही कि मुरादाबाद की मुख्य विकास अधिकारी (CDO) मृणाली अविनाश जोशी खुद मुख्य अतिथि बनकर पहुंचीं। दरअसल, इस कार्यक्रम की पूरी प्लानिंग और आइडिया खुद CDO मैडम का था। पिछले दो महीने से तैयारी चल रही थी। डीएफओ अविनाश पांडेय ने पूरी टीम के साथ इसे धरातल पर उतारा और परिवर्तन संस्था को जिम्मेदारी सौंपी।

कब और कहां हुआ ये कार्यक्रम?

कार्यक्रम शुक्रवार सुबह मोड़ा तेहिया झील पर शुरू हुआ। जीआईसी मानपुर और जीआईसी कुचावली के सैकड़ों बच्चे सुबह-सुबह बसों से झील पर पहुंचे। मौसम भी पूरा साथ दे रहा था – हल्की धूप, ठंडी हवा और आसमान में उड़ते रंग-बिरंगे पक्षी।

क्या-क्या देखने-सुनने को मिला?

सबसे मजेदार हिस्सा रहा – विशेषज्ञों का सेशन! नजीबाबाद से आईं बर्ड एक्सपर्ट वृंदा बजाज और देहरादून से आए अरुण सरकार ने बच्चों को दूरबीन थमाई और एक-एक करके पक्षियों के नाम, आदतें और खासियतें बताईं। इस एक सेशन में कुल 29 तरह के पक्षी देखे गए। इनमें सारस, पर्पल स्वॉम्प हेन, पर्पल हेरॉन, लिटिल एग्रेट, इंडियन स्पॉट-बिल्ड डक, लिटिल कॉर्मोरेंट, स्वैलो और कूट जैसे दुर्लभ पक्षी शामिल थे।

बच्चों ने पहली बार इतने करीब से सारस को नाचते देखा तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। कई बच्चे चिल्ला उठे – “दीदी, वो देखो सारस डांस कर रहा है!”

क्यों जरूरी हैं ऐसे कार्यक्रम?

CDO मृणाली जोशी ने बच्चों से कहा, “आज आप जो यहां देख और सीख रहे हैं, यही आने वाले समय में हमारे पर्यावरण को बचाएगा। पक्षी प्रकृति के डॉक्टर होते हैं। अगर ये स्वस्थ हैं तो हमारा पर्यावरण भी स्वस्थ है।”

वहीं डीएफओ अविनाश पांडेय ने बताया कि शहर के बीच इस तरह की झीलों को बचाना और लोगों (खासकर बच्चों) को इनसे जोड़ना बहुत जरूरी है।

कैसे बना ये दिन यादगार?

बच्चों ने नेचर ट्रेल पर चलते हुए झील किनारे लगे पेड़-पौधों को भी पहचाना। कई बच्चों ने तो अपने फोन में सैकड़ों फोटो खींच डाले। कार्यक्रम के अंत में सभी को सर्टिफिकेट भी दिए गए। परिवर्तन संस्था के अध्यक्ष कपिल कुमार ने कहा, “बच्चों की आंखों में जो चमक थी, वही हमारी सबसे बड़ी सफलता है।”

कौन-कौन से अधिकारी और लोग रहे मौजूद?

वन विभाग से बिलारी रेंजर रिजुल कंसल, डिप्टी रेंजर मनोज, पुष्पेंद्र चौधरी, अनुज, नमामि गंगे की जिला परियोजना अधिकारी पूजा सिन्हा, पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. अनामिका त्रिपाठी के साथ परिवर्तन संस्था के आदित्य, विवेक, प्रिंस और आकांक्षा भी पूरे समय मौजूद रहे।

इस कार्यक्रम ने एक बार फिर साबित कर दिया कि अगर अधिकारी और आम लोग मिलकर कोशिश करें तो शहर में भी प्रकृति को बहुत करीब से महसूस किया जा सकता है।