मयंक त्रिगुण, वरिष्ठ संवाददाता
azam-khan-मुरादाबाद :सपा के दिग्गज नेता आजम खान को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। उनके बेटे और पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम के दो पैन कार्ड वाले मामले में अदालत ने अपना फैसला सुना दिया। एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट ने आजम और अब्दुल्ला दोनों को दोषी ठहराते हुए सात साल की कैद की सजा सुनाई है। जैसे ही कोर्ट का फैसला आया, आजम और अब्दुल्ला को तुरंत न्यायिक हिरासत में ले लिया गया। ये खबर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा रही है, क्योंकि आजम खान जैसे कद्दावर नेता की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। आम लोग भी सोच रहे हैं कि क्या ये सपा के लिए नई चुनौती बनेगी?
ये पूरा मामला क्या है, आइए समझते हैं। भाजपा नेता और मौजूदा शहर विधायक आकाश सक्सेना ने साल 2019 में सिविल लाइंस थाने में अब्दुल्ला आजम के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। आरोप ये था कि अब्दुल्ला ने दो अलग-अलग जन्म प्रमाण पत्रों के आधार पर दो पैन कार्ड बनवाए थे। और ये सब सपा नेता आजम खान के इशारे पर हुआ था। आरोपों के मुताबिक, अब्दुल्ला ने इन दोनों पैन कार्डों का समय-समय पर इस्तेमाल भी किया। ये केस एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट में चल रहा था, जहां दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं। बहस पूरी होने के बाद अदालत को फैसला सुनाना था, और इसके लिए आजम खान और अब्दुल्ला आजम दोनों को कोर्ट में बुलाया गया था। हर कोई इंतजार कर रहा था कि क्या होगा इस हाई-प्रोफाइल केस का अंजाम।
50 हजार का जुर्माना भी लगा
दोपहर के बाद आजम और अब्दुल्ला कोर्ट पहुंचे। वहां एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट के जज शोभित बंसल ने आजम खान और उनके बेटे को धोखाधड़ी के मामले में दोषी करार दिया। एडीजीसी संदीप सक्सेना ने मीडिया को बताया कि अदालत ने दोनों को सात साल की कैद की सजा सुनाई है। साथ ही, हर एक पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी ठोका गया है। ये सजा सुनते ही कोर्ट रूम में सन्नाटा छा गया। आजम खान, जो राजनीति के पुराने खिलाड़ी हैं, उनके चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ नजर आ रही थीं। अब्दुल्ला भी हैरान लग रहे थे। ये फैसला न सिर्फ उनके लिए, बल्कि पूरे परिवार और सपा समर्थकों के लिए झटका है। जुर्माना न चुकाने पर क्या अतिरिक्त सजा हो सकती है, ये भी देखना बाकी है, लेकिन फिलहाल दोनों हिरासत में हैं।
ये मामला सिर्फ पैन कार्ड का नहीं, बल्कि दस्तावेजों में हेराफेरी का है। आम आदमी के लिए पैन कार्ड कितना जरूरी है, ये सब जानते हैं। टैक्स, बैंकिंग, हर चीज में ये इस्तेमाल होता है। लेकिन अगर कोई दो बनवा ले और उनका गलत इस्तेमाल करे, तो कानून की नजर में ये बड़ा अपराध है। आकाश सक्सेना की शिकायत के बाद जांच हुई, सबूत जुटाए गए, और अब फैसला आ गया। राजनीतिक विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसे मामलों में सजा मिलना सिस्टम की सख्ती दिखाता है। आजम खान जैसे नेता पर ये आरोप पहले भी लगे हैं, लेकिन इस बार कोर्ट ने साफ कर दिया कि कानून सबके लिए बराबर है। सपा के लिए ये वक्त चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि आजम खान पार्टी के मजबूत स्तंभ रहे हैं। उनके समर्थक सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं, कुछ इसे साजिश बता रहे हैं तो कुछ न्याय की जीत।
आजम की फिर बढ़ीं मुश्किलें
आजम खान की मुश्किलें तो जैसे खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। अभी दो महीने पहले ही वो जेल से रिहा हुए थे। रिहाई के बाद आजम सुर्खियों में छाए रहे। उन्होंने अपना इलाज कराया, डॉक्टरों से मिले, और परिवार के साथ समय बिताया। इसी बीच आजम खान और सपा प्रमुख अखिलेश यादव की मुलाकात भी हुई, जो काफी चर्चा में रही। आजम ने मीडिया के सामने अपनी बात रखी, और राजनीतिक अटकलों पर विराम लगाया। सब लग रहा था कि अब चीजें पटरी पर आ रही हैं, लेकिन ये नया फैसला फिर से सब कुछ उलट-पुलट कर गया। आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला को न्यायिक हिरासत में ले लिया गया है। एक बार फिर दोनों जेल की राह पर हैं।
आजम खान का राजनीतिक सफर लंबा रहा है। वो सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे हैं। रामपुर से कई बार सांसद और विधायक चुने गए। लेकिन पिछले कुछ सालों में उन पर कई केस चले, जेल जाना पड़ा। अब ये पैन कार्ड वाला मामला उनकी मुश्किलों में इजाफा कर रहा है। समर्थक कहते हैं कि आजम ने हमेशा गरीबों और अल्पसंख्यकों के लिए आवाज उठाई, लेकिन विरोधी इसे राजनीतिक बदला बताते हैं। कोर्ट का फैसला आने के बाद क्या अपील होगी? क्या ऊपरी अदालत से राहत मिलेगी? ये सवाल हर किसी के मन में हैं। फिलहाल, आजम और अब्दुल्ला को जेल में रहना होगा, और उनका परिवार इस सदमे से उबरने की कोशिश कर रहा है।
ये घटना उत्तर प्रदेश की राजनीति पर भी असर डालेगी। सपा पहले से ही लोकसभा चुनावों की तैयारी में है, और ऐसे में आजम जैसे नेता का जेल जाना पार्टी के लिए नुकसानदेह हो सकता है। अखिलेश यादव ने अभी तक कोई बयान नहीं दिया, लेकिन जल्द ही प्रतिक्रिया आ सकती है। भाजपा की तरफ से आकाश सक्सेना ने इसे न्याय की जीत बताया है। वो कहते हैं कि कानून अपना काम कर रहा है।
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