SBI के बैंक डिप्टी मैनेजर ने उड़ाए 55 लाख, पत्नी-बेटी समेत 7 लोगों पर केस

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मयंक त्रिगुण, वरिष्ठ संवाददाता

मुरादाबाद। अगर आपको लगता है कि आपका बैंक खाता पूरी तरह सुरक्षित है तो ये खबर आपको झकझोर कर रख देगी। मुरादाबाद की एक बड़ी बैंक शाखा में तैनात डिप्टी मैनेजर ने ग्राहकों के खातों से करीब 55 लाख रुपये निकालकर अपने परिवार और रिश्तेदारों के खातों में जमा करा दिए। अब कोर्ट ने डिप्टी मैनेजर, उसकी पत्नी, बेटी सहित कुल 7 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दे दिए हैं।

ग्राहकों के पैसे सीधे परिवार के खातों में ट्रांसफर

दरअसल, मामला मुरादाबाद के सिविल लाइन थाना क्षेत्र में स्थित भारतीय स्टेट बैंक की विशेषकृत वाणिज्यिक शाखा का है। यहाँ डिप्टी मैनेजर (आईबी डिवीजन) के पद पर तैनात संजय कुमार राठौर ने 13 जुलाई 2022 से 11 जुलाई 2024 के बीच ग्राहकों के खातों से कुल 55 लाख 32 हजार 434 रुपये निकाले। हैरानी की बात ये है कि ये सारे पैसे उसने अपनी पत्नी, बेटी और अन्य रिश्तेदारों के खातों में ट्रांसफर कर दिए।

बैंक ने खुद दर्ज कराई शिकायत

जब बैंक को इस बड़े घोटाले का पता चला तो सहायक महाप्रबंधक एवं मुख्य परिचालन अधिकारी संजय कुमार (अलग व्यक्ति) ने तुरंत कार्रवाई की। उन्होंने अधिवक्ता मयंक श्रोत्रिय के जरिए मुरादाबादाबाद के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में धारा 173(4) बीएनएसएस के तहत वाद दायर किया। शिकायत में साफ-साफ लिखा गया कि संजय कुमार राठौर ने आपराधिक साजिश रचकर ग्राहकों का पैसा अपने परिजनों के खातों में डाला।

कोर्ट ने दिए सख्त आदेश

मामले की सुनवाई मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्वेता चौधरी की अदालत में हुई। सबूत और दस्तावेज देखने के बाद कोर्ट ने संजय कुमार राठौर, उनकी पत्नी आकांक्षा राठौर, बेटी साक्षी राठौर, आयुषी सिंह, मुकेश कुमार राठौर, अभिषेक कुमार गौतम और एक अन्य व्यक्ति सहित कुल 7 लोगों के खिलाफ थाना सिविल लाइन पुलिस को मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए।

अधिवक्ता मयंक श्रोत्रिय ने बताया कि आरोपी डिप्टी मैनेजर ने अलग-अलग तारीखों में कई बार ट्रांजेक्शन किए ताकि किसी को शक न हो। लेकिन बैंक की इंटरनल जांच में सारा खेल खुल गया।

अब पुलिस करेगी जांच

कोर्ट के आदेश के बाद सिविल लाइन पुलिस अब सभी सात आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और विश्वासघात जैसी गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करेगी। जल्द ही आरोपियों से पूछताछ और उनके खातों की गहन जांच शुरू हो सकती है।

ये मामला एक बार फिर बैंकों में अंदरूनी धांधली की पोल खोल रहा है। ग्राहक भले ही पासवर्ड, ओटीपी और हर सुरक्षा का ध्यान रखें, लेकिन अगर बैंक का अधिकारी ही धोखा दे तो पैसा कहां सुरक्षित?