खाया माफी में बंदरों का आंतक, फसलों को भी कर रहे है बबार्द

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मनोज ठाकुर,  संवाददाता

अमरोहा (उत्तर प्रदेश). कभी खेतों में लहलहाती फसलें देखकर खुश होने वाले किसान आजकल सुबह उठते ही डर जाते हैं। वजह? गांव में बंदरों का ऐसा आतंक कि गेहूं, सरसों, आलू, टमाटर, बैंगन – कुछ भी बचने का नाम नहीं ले रहा। अमरोहा जिले के गांव खाया माफी में पिछले कई महीनों से बंदरों का प्रकोप इतना बढ़ गया है कि किसान खेत जाना ही छोड़ने लगे हैं।

डिडौली थाना क्षेत्र के खाया माफी गांव और आसपास के कई गांवों में करीब 100-200 बंदरों का झुंड घूम रहा है। ये बंदर जंगल से निकलकर सीधे गांव और खेतों में धावा बोल रहे हैं। ग्रामीण बताते हैं कि पहले 20-25 बंदर थे, लेकिन अब इनकी तादाद इतनी बढ़ गई है कि पूरा गांव इनके आगे बेबस हो चुका है।

क्या हो रहा है?

बंदर दिन-रात खेतों में घुसकर फसल चर जाते हैं। अभी रबी की फसल कटाई का समय है, लेकिन ज्यादातर किसानों के खेत खाली पड़े हैं क्योंकि जो भी बोया, बंदरों ने उजाड़ दिया। एक किसान ने बताया, “हमने आलू लगाए थे, जैसे ही पत्ते निकले बंदरों ने पूरा खेत साफ कर दिया। टमाटर की फसल तो फल लगने से पहले ही खत्म हो गई। अब तो गेहूं की बालियां भी नहीं बचा पा रहे।”

कब से शुरू हुई ये परेशानी?

ग्रामीणों के मुताबिक ये समस्या पिछले 2-3 साल से बढ़ती जा रही है, लेकिन इस बार 2025 की रबी सीजन में रिकॉर्ड तोड़ प्रकोप देखने को मिल रहा है। खासकर नवंबर-दिसंबर से बंदरों ने खेतों पर पूरी तरह कब्जा जमा लिया है।

कहां-कहां फैला है बंदरों का आतंक?

मुख्य रूप से खाया माफी गांव सबसे ज्यादा प्रभावित है, लेकिन पास के गांव निजामपुर, रजबपुर, धनौरा रोड के किनारे के गांवों में भी यही हाल है। बंदर अब खेतों से निकलकर गांव में भी घुस रहे हैं – घरों की छतों पर, दुकानों में, यहां तक कि स्कूल के अंदर भी घुसकर बच्चों को डरा रहे हैं।