मुरादाबाद रेलवे स्टेशन पर हंगामा 85 दुकानें तोड़ने की तैयारी, व्यापारी बोले- नहीं हटेंगे, कोर्ट में है मामला

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मयंक त्रिगुण, ब्यूरो चीफ

मुरादाबाद में रेलवे की जमीन पर बनी दुकानों को हटाने का मामला गरमाया हुआ है। सोमवार को स्टेशन रोड पर इन दुकानों को गिराने के लिए रेलवे की टीम बुलडोजर लेकर पहुंचने वाली है। रेलवे ने 85 दुकानदारों को नोटिस देकर चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने दुकानें खाली नहीं कीं, तो कार्रवाई होगी। रविवार को कुछ दुकानदार अपना सामान हटाते नजर आए, लेकिन ज्यादातर व्यापारी अभी भी विरोध में डटे हुए हैं। उनका कहना है कि जब तक प्रशासन वैकल्पिक जगह नहीं देता, तब तक वे पीछे नहीं हटेंगे। ये दुकानें मुरादाबाद बस अड्डे के ठीक सामने हैं, जहां रोजाना हजारों लोग आते-जाते हैं। रेलवे का कहना है कि ये दुकानें अवैध कब्जे हैं और इन्हें हटाना जरूरी है ताकि रेलवे की जमीन मुक्त हो सके। लेकिन व्यापारियों का दावा है कि मामला कोर्ट में है, इसलिए रेलवे को इंतजार करना चाहिए।

व्यापारियों का विरोध जारी, सामान हटाया लेकिन मैदान नहीं छोड़ा

रविवार को स्टेशन रोड पर हलचल मची रही। कुछ दुकानदारों ने अपना पुराना सामान निकाल लिया, लेकिन वे कहते हैं कि ये सिर्फ सफाई का काम है, वे दुकानें छोड़कर नहीं जा रहे। रेलवे अधिकारियों का दावा है कि 39 व्यापारियों ने अपनी दुकानें पूरी तरह खाली कर दी हैं। बाकी दुकानदारों से सोमवार को ही ये काम करवा लिया जाएगा। लेकिन व्यापारी इससे सहमत नहीं हैं। वे लगातार विरोध कर रहे हैं और कह रहे हैं कि बिना वैकल्पिक व्यवस्था के वे नहीं हटेंगे। रविवार को ही व्यापारियों ने नगर विधायक रितेश गुप्ता से फिर मदद मांगी। विधायक ने उन्हें आश्वासन दिया कि वे उनके साथ हैं और इस मुद्दे पर बात करेंगे। व्यापारियों का कहना है कि विधायक का समर्थन उनके लिए बड़ी राहत है, लेकिन अभी भी समस्या बनी हुई है। स्टेशन रोड की ये दुकानें सालों से चल रही हैं और यहां के व्यापारी अपना कारोबार चला रहे हैं। अचानक हटाने से उनकी रोजी-रोटी पर असर पड़ेगा।

कोर्ट का मामला, बैनर लगाकर दी अपील

रेलवे ने जिन दुकानों पर लाल निशान लगाकर नोटिस चिपकाए थे, अब उन पर व्यापारियों ने कोर्ट के मामले का पर्चा चिपका दिया है। कई दुकानदारों ने बैनर बनवाए और अपनी दुकानों के सामने लटका दिए। इन बैनरों में कोर्ट और केस की संख्या लिखी हुई है। व्यापारी रेलवे से अपील कर रहे हैं कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए फैसला आने तक कोई कार्रवाई न की जाए। उनका तर्क है कि अगर कोर्ट का फैसला उनके पक्ष में आया तो रेलवे की कार्रवाई गलत साबित होगी। ये बैनर देखकर आसपास के लोग भी चर्चा कर रहे हैं। स्टेशन रोड पर रोजाना बसों और ट्रेनों से आने-जाने वाले यात्री भी इस हंगामे को देख रहे हैं। व्यापारियों का कहना है कि वे कानूनी तरीके से लड़ रहे हैं और रेलवे को जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।

तीन दिन का अल्टीमेटम, 20 दिसंबर से शुरू हुआ विवाद

ये विवाद 20 दिसंबर से शुरू हुआ था। तब रेलवे ने 85 दुकानों पर लाल निशान लगाए और नोटिस चिपकाकर कहा कि 26 दिसंबर तक दुकानें खाली कर दें, वरना कार्रवाई होगी। 26 दिसंबर को रेलवे की इंजीनियरिंग टीम और आरपीएफ मौके पर पहुंच गई। लेकिन तब नगर विधायक रितेश गुप्ता व्यापारियों के समर्थन में उतर आए। उन्होंने डीआरएम संग्रह मौर्य से बात की। जिला प्रशासन और रेलवे अधिकारियों के बीच भी चर्चा हुई। इसके बाद रेलवे की टीम ने व्यापारियों को तीन दिन का और समय दिया और लौट गई। अब 29 दिसंबर को कार्रवाई की चेतावनी है। रेलवे का कहना है कि ये समय खत्म हो चुका है और सोमवार को अतिक्रमण हटाया जाएगा। लेकिन व्यापारी अभी भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि शायद कोई समाधान निकले।

व्यापारियों की आवाज: ‘अन्याय हो रहा है’

व्यापारियों के नेता संजय अरोड़ा कहते हैं, “रेलवे की कार्रवाई न्यायपूर्ण नहीं है। जब तक प्रशासन दूसरे स्थान पर दुकानें लगाने की व्यवस्था नहीं करता, तब तक हमारा विरोध जारी रहेगा।” गौरव गुप्ता का कहना है, “दुकानों का प्रकरण न्यायालय में चल रहा है। जब तक कोर्ट का जजमेंट नहीं आ जाता, तब तक रेलवे कैसे कार्रवाई कर सकता है। जनवरी में मामलों की सुनवाई होनी है।” कमल कुमार बताते हैं, “165 दुकानों पर 10 हजार लोग निर्भर हैं। रोजगार जाने से लोग सड़क पर आ जाएंगे। हमारे पास कोर्ट में दाखिल रिट का विवरण है। रेलवे ने अपने वकील से अपडेट सूची नहीं निकलवाई है।” भरत अरोड़ा कहते हैं, “हम 10 दिन से रेलवे, जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से संपर्क कर रहे हैं। दुकानों को हटाना व्यापारियों के साथ अन्याय होगा, जब तक उनके लिए दूसरे स्थान पर व्यवस्था न की जाए।”

रेलवे का पक्ष: शांतिपूर्ण कार्रवाई की तैयारी

रेलवे के सीनियर डीसीएम आदित्य गुप्ता कहते हैं, “स्टेशन रोड पर 85 दुकानों को हटाने के लिए व्यापारियों को तीन दिन का समय दिया था, जो सोमवार को पूरा हो जाएगा। नोटिस के मुताबिक इंजीनियरिंग टीम व आरपीएफ मौके पर पहुंचेंगी। जिला प्रशासन से समन्वय कर शांतिपूर्ण तरीके से अतिक्रमण हटाने का प्रयास है।” रेलवे का मानना है कि ये दुकानें उनकी जमीन पर अवैध रूप से बनी हैं और इन्हें हटाना जरूरी है। लेकिन व्यापारी इसे अन्याय बता रहे हैं। अब देखना ये है कि सोमवार को क्या होता है। क्या रेलवे कार्रवाई कर पाएगी या व्यापारियों का विरोध कामयाब होगा? मुरादाबाद के लोग इस घटना पर नजर रखे हुए हैं। ये मामला सिर्फ दुकानों का नहीं, बल्कि रोजगार और न्याय का भी है। अगर वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हुई तो हजारों परिवार प्रभावित होंगे। रेलवे और प्रशासन को भी सोचना चाहिए कि कार्रवाई से पहले समाधान निकाला जाए। लेकिन फिलहाल तनाव बना हुआ है और सभी पक्ष अपनी-अपनी जगह डटे हैं।