मयंक त्रिगुण, वरिष्ठ संवाददाता
मुरादाबाद : गौ रक्षा और पशु कल्याण को लेकर हमेशा से ही खास ध्यान दिया जाता है। इसी कड़ी में मुख्य विकास अधिकारी मृणाली अविनाश जोशी ने बिलारी इलाके में स्थित कान्हा गौ आश्रय स्थल का अचानक निरीक्षण किया। यह दौरा न सिर्फ गोवंश की देखभाल की हकीकत को सामने लाया बल्कि सर्दियों के मौसम में उनकी सुरक्षा को लेकर भी महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। आइए जानते हैं कि इस निरीक्षण में क्या-क्या हुआ और क्यों यह आम लोगों के लिए इतना जरूरी है।
गौ पूजन से शुरू हुआ निरीक्षण
मुख्य विकास अधिकारी मृणाली अविनाश जोशी जब गौ आश्रय स्थल पहुंचीं, तो सबसे पहले उन्होंने वहां संरक्षित गोवंश का सम्मान किया। उन्होंने गोवंश को तिलक लगाकर गौ पूजन किया और उन्हें गुड़ व चना खिलाया। यह दृश्य बेहद भावुक था, क्योंकि गौ माता को भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान दिया जाता है। इस पूजन से न सिर्फ गोवंश खुश नजर आए बल्कि वहां मौजूद स्टाफ का मनोबल भी बढ़ा। जोशी जी ने खुद हाथों से यह सब किया, जो दिखाता है कि प्रशासन कितनी गंभीरता से गौ रक्षा पर काम कर रहा है। ऐसे में आम लोग भी सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि हम भी अपने स्तर पर गौ संरक्षण में कैसे योगदान दे सकते हैं।
निरीक्षण के दौरान मुख्य विकास अधिकारी ने गो आश्रय स्थल की हर छोटी-बड़ी चीज पर नजर डाली। वहां कुल 141 गोवंश संरक्षित पाए गए। ये सभी गोवंश स्वस्थ दिख रहे थे, लेकिन जोशी जी ने उनके स्वास्थ्य के बारे में विस्तार से जानकारी ली। उन्होंने डॉक्टरों और स्टाफ से बात करके जाना कि किन-किन बीमारियों से बचाव के लिए क्या इंतजाम हैं। सर्दियों का मौसम शुरू हो चुका है, ऐसे में ठंड से बचाव बेहद जरूरी है। मुख्य विकास अधिकारी ने देखा कि गोवंश को ठंड से बचाने के लिए सभी जरूरी संसाधन मौजूद हैं। जैसे कि गर्म कपड़े, आश्रय की अच्छी व्यवस्था और अन्य सुविधाएं। यह देखकर उन्हें संतोष हुआ कि प्रशासन की योजनाएं जमीनी स्तर पर काम कर रही हैं।
संसाधनों की उपलब्धता पर फोकस
गौ आश्रय स्थल में संसाधनों की कोई कमी नहीं मिली। मुख्य विकास अधिकारी को पता चला कि वहां पर्याप्त मात्रा में भूसा, हरा चारा, दाना और गुड़ उपलब्ध है। ये सभी चीजें गोवंश के पोषण के लिए जरूरी हैं। सर्दियों में गोवंश को ज्यादा ऊर्जा की जरूरत पड़ती है, इसलिए गुड़ और चना जैसे पौष्टिक आहार का होना महत्वपूर्ण है। जोशी जी ने स्टाफ से पूछा कि ये संसाधन कैसे मैनेज किए जाते हैं और कब-कब सप्लाई होती है। स्टाफ ने बताया कि नियमित रूप से इनकी जांच होती है ताकि कोई कमी न रहे। यह निरीक्षण दिखाता है कि गौ आश्रय स्थलों को चलाना कितना चुनौतीपूर्ण काम है, लेकिन अगर सही तरीके से किया जाए तो गोवंश खुशहाल रह सकते हैं।
इसके अलावा, गौ आश्रय स्थल में देखभाल करने वाले केयरटेकरों की व्यवस्था भी सराहनीय मिली। दिन के समय चार केयरटेकर गोवंश की देखभाल करते हैं, जबकि रात में तीन। इन सभी को नियमित तौर पर मानदेय दिया जा रहा है, जो उनके काम करने की प्रेरणा बढ़ाता है। मुख्य विकास अधिकारी ने केयरटेकरों से बात की और उनके काम की तारीफ की। उन्होंने कहा कि ऐसे समर्पित लोग ही गौ रक्षा की असली ताकत हैं। साफ-सफाई के मामले में भी गौ आश्रय स्थल बेहतर पाया गया। जगह-जगह पर सफाई का ध्यान रखा जा रहा है, जिससे बीमारियां फैलने का खतरा कम है। जोशी जी ने वहां की साफ-सफाई देखकर खुशी जताई और स्टाफ को और बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित किया।
ठंड से बचाव के लिए दिए निर्देश
निरीक्षण के दौरान मुख्य विकास अधिकारी ने कुछ महत्वपूर्ण निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि समय-समय पर नोडल अधिकारी और डॉक्टरों की विजिट होती रहे। खासतौर पर सर्दियों में गोवंश को किसी भी समस्या से बचाने के लिए यह जरूरी है। ठंड में गोवंश को सर्दी-जुकाम या अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए नियमित चेकअप का होना अनिवार्य है। जोशी जी ने जोर दिया कि कोई लापरवाही न बरती जाए और सभी गोवंश स्वस्थ रहें। यह निर्देश न सिर्फ इस आश्रय स्थल के लिए बल्कि पूरे जिले के अन्य गौ आश्रय स्थलों के लिए भी एक मिसाल बन सकते हैं। आम लोगों को भी पता चलता है कि प्रशासन कितनी सतर्कता से काम कर रहा है।
मुख्य विकास अधिकारी के इस दौरे में कई अधिकारी भी साथ थे। पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुनील कुमार प्रजापति, उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. नीरज कुमार और पशुधन प्रसार अधिकारी नीलमणि मौजूद रहे। इन अधिकारियों ने जोशी जी को सभी जानकारी दी और गोवंश की देखभाल के बारे में विस्तार से बताया। उनका होना दिखाता है कि यह निरीक्षण कितना संगठित था। कुल मिलाकर, यह दौरा गौ रक्षा के प्रति प्रशासन की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। मुरादाबाद जैसे इलाकों में जहां कृषि और पशुपालन मुख्य हैं, ऐसे कदम लोगों को आश्वस्त करते हैं कि उनके गोवंश सुरक्षित हाथों में हैं।
यह घटना हमें याद दिलाती है कि गौ संरक्षण सिर्फ सरकारी काम नहीं बल्कि हम सबकी जिम्मेदारी है। अगर हम छोटे-छोटे कदम उठाएं, जैसे कि आवारा गोवंश को चारा देना या आश्रय स्थलों की मदद करना, तो समाज बेहतर बनेगा। मुख्य विकास अधिकारी का यह निरीक्षण एक प्रेरणा है कि कैसे छोटी शुरुआत से बड़ा बदलाव आ सकता है। सर्दियों में गोवंश की देखभाल पर विशेष ध्यान देकर प्रशासन ने एक अच्छा उदाहरण पेश किया है। उम्मीद है कि ऐसे निरीक्षण आगे भी जारी रहेंगे और गौ आश्रय स्थल और मजबूत बनेंगे।
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