भूदेव भगलिया, वरिष्ठ संवाददाता
Tigri Ganga Mela 2025 : अमरोहा के तट पर बहती पवित्र गंगा नदी आजकल आस्था के सैलाब से लबालब हो चुकी है। तिगरी गंगा मेला 2025 में लाखों श्रद्धालु जुट रहे हैं, जो मां गंगा के आंचल में डुबकी लगाकर पाप धो रहे हैं। कल-कल बहते जल में हर-हर महादेव के जयकारे गूंज रहे हैं, और मेले की रौनक हर घंटे बढ़ती जा रही है। अगर आप भक्ति और उत्सव का संगम देखना चाहते हैं, तो ये मेला एकदम परफेक्ट जगह है। ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की लंबी कतारें, रंग-बिरंगे तंबू, और हवा में घुली भजन की धुन – सब कुछ कुंभ जैसा माहौल बना रहा है।

मंगलवार से शुरू हुए इस मेले में अब तक लाखों लोग पहुंच चुके हैं। गुरुवार को तो हालत ये हुई कि गजरौला में फाजलपुर और कुमराला चौकी के पास भारी जाम लग गया। पुलिस ने कड़ी मशक्कत के बाद सड़कें साफ कीं, लेकिन श्रद्धालुओं का जोश देखकर लगता है, ये तो बस शुरुआत है। कार्तिक पूर्णिमा 5 नवंबर को है, जब मुख्य स्नान होगा। तब तक मेला क्षेत्र में 30 से 40 लाख तक भक्तों के आने की उम्मीद है। सुबह-सुबह तड़के से ही लोग गंगा स्नान के लिए उतर पड़ते हैं, सूर्य को अर्घ्य चढ़ाते हैं, और परिवार की सुख-शांति की कामना करते हैं। स्नान के बाद दान-पुण्य का दौर चलता है – कोई जरुरतमंदों को कपड़े बांटता है, तो कोई खिचड़ी का प्रसाद चखता है। एक युवक तो शाहजहांपुर से ऊंट लेकर आया, जो मेले का सबसे बड़ा आकर्षण बन गया!
मेले की भव्य तैयारी: 22 सेक्टरों में बंटा आस्था का शहर
तिगरी गंगा मेला की तैयारी इस बार खासा जोर-शोर से हो रही है। प्रशासन ने मेला क्षेत्र को 22 सेक्टरों और 6 जोनों में बांट दिया है, ताकि भीड़ का बेहतर प्रबंधन हो सके। गंगा की रेतीली जमीन पर तंबुओं का एक पूरा शहर बस गया है – टेंट सिटी! ये नई पहल है, जहां श्रद्धालु कई-कई दिन ठहर सकते हैं। झोपड़ियां, चट्टियां, और रंग-बिरंगी दुकानें सज गई हैं, जहां खिलौने से लेकर पूजा सामग्री तक सब मिलेगा। मनोरंजन के शौकीनों के लिए झूले, मौत का कुआं, और अन्य राइड्स शुरू हो चुकी हैं। बच्चे चिल्ला-चिल्ला कर मजे ले रहे हैं, जबकि बड़ों के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है।
सुरक्षा के लिहाज से कोई कोताही नहीं बरती गई। फ्लोटिंग बेरिकेडिंग लगाई गई है, ताकि स्नान के दौरान कोई हादसा न हो। पुलिस अधीक्षक और एडीएम ने बलों को ब्रीफिंग दी, और निशुल्क चिकित्सा शिविर भी शुरू हो गया। डीएम ने खुद सफाई अभियान चलाया, स्वच्छता का संदेश देते हुए। मेला प्रभारी गरिमा सिंह ने बताया कि उद्घाटन 1 नवंबर को होगा, लेकिन रौनक तो अभी से चरम पर है। गंगा किनारे रेत पर बसे ये तंबू सदियों पुरानी परंपरा का हिस्सा हैं – श्रद्धालु यहां डेरा डालकर मां गंगा की आराधना करते हैं।
प्राचीन इतिहास: त्रेता युग से चली आ रही भक्ति की धारा
ये मेला कोई नई बात नहीं, बल्कि त्रेता युग से जुड़ी परंपरा है। मान्यता है कि श्रवण कुमार ने अपने नेत्रहीन माता-पिता को कंधे पर लादकर तीर्थ यात्रा कराने के लिए यहां रुके थे। कार्तिक एकादशी को नक्का कुएं पर ठहरे, जहां लोगों की भीड़ जमा हो गई। स्नान के बाद वे हरिद्वार गए, और तभी से मेला लगने की शुरुआत हुई। पंडित गंगासरन जैसे बुजुर्ग बताते हैं कि पांडवों ने महाभारत युद्ध में मारे गए परिजनों की आत्मा शांति के लिए यहां दीपदान किया था। कार्तिक पूर्णिमा से एक दिन पहले हजारों लोग मृतकों की याद में दीये जलाते हैं – चटाई पर रखकर गंगा में छोड़ते हैं, जो बहते हुए एक अजीब सा नजारा पेश करते हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का ये सबसे बड़ा ऐतिहासिक मेला दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान से भी भक्त खींच लाता है। पहले ये गढ़मुक्तेश्वर के नक्का कुएं के आसपास लगता था, लेकिन गंगा की धारा बदलने से तिगरी की ओर खिसक गया। अब दो तरफ मेला लगता है – गढ़ गंगा मेला और तिगरी मेला आमने-सामने! हर साल 10 लाख से ज्यादा लोग स्नान करते हैं, मुंडन संस्कार कराते हैं, और मोक्ष की कामना करते हैं। इस बार भी वही जोश दिख रहा है – गंगा में दीपदान से लेकर भजनों तक, सब कुछ पुरानी यादें ताजा कर रहा है।
लाइव अपडेट: रौनक चरम पर, पूर्णिमा का इंतजार
31 अक्टूबर को लाइव अपडेट्स देखें तो मेले में हलचल बरकरार है। युवा गंगा में अठखेलियां कर रहे हैं, परिवार खिचड़ी का लुत्फ उठा रहे हैं। लेकिन ट्रैफिक की समस्या बनी हुई है – सलाह है कि सार्वजनिक वाहनों से आएं। सफाई अभियान से माहौल साफ-सुथरा है, और मेडिकल कैंप से हर जरुरत पूरी हो रही। ऊंट वाला युवक तो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जो मेले की विविधता दिखाता है।
कार्तिक पूर्णिमा पर लाखों की डुबकी का नजारा कुछ खास होगा। तब गंगा के जयकारे पूरे क्षेत्र गूंजेंगे, और आस्था का सैलाब और तेज होगा। अगर आप भी आस्था के इस संगम का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो जल्दी प्लान करें। तिगरी गंगा मेला न सिर्फ धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक उत्सव भी है – जहां परंपरा और आधुनिकता का मेल दिखता है। मां गंगा सबको पुकार रही है, आइए और पाप धोएं!