UP Industrial Decriminalization-यूपी में उद्योगों को मिली बड़ी राहत, 10 कानूनों में बदलाव से निवेशकों में खुशी की लहर

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मयंक त्रिगुण, वरिष्ठ संवाददाता 

UP Industrial Decriminalization-लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अब औद्योगिक गलतियों पर उद्यमियों को जेल जाने की टेंशन खत्म हो गई है। सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए औद्योगिक अपराधों से जुड़े 10 बड़े कानूनों में बदलाव कर दिया है। अब ज्यादातर मामलों में सजा की जगह सिर्फ जुर्माना लगेगा। इसके लिए ‘उत्तर प्रदेश सुगम्य व्यापार (प्रविधानों का संशोधन) अध्यादेश-2025’ जारी कर दिया गया है। इससे कारोबारियों को काफी राहत मिलेगी और निवेश बढ़ने की उम्मीद है।

इस नए अध्यादेश के तहत करीब 90 फीसदी औद्योगिक अपराधों में जेल की सजा हटा दी गई है। अब सिर्फ जुर्माने का नियम लागू होगा। हर तीन साल में जुर्माने की रकम में 10 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी भी हो सकती है। प्रमुख सचिव विधायी जेपी सिंह ने शुक्रवार को इस अध्यादेश को आधिकारिक तौर पर जारी किया। यह कदम राज्य में निवेशकों को लुभाने और कारोबार को आसान बनाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।

निवेशकों की सुविधा के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर फोकस

सरकार ने राज्य में निवेश को बढ़ावा देने के लिए ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ नीति बनाई है। इसी के तहत उद्यमियों को कई तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं। औद्योगिक विकास विभाग ने निवेशकों से राय लेकर 10 कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव तैयार किया था। इसे हाल ही में मंजूरी मिली और अब अध्यादेश के जरिए लागू कर दिया गया है। इससे छोटे-बड़े उद्योगों को फायदा होगा और नए निवेशक यूपी की तरफ आकर्षित होंगे।

भूजल कानून में बड़ा बदलाव, जुर्माना 10 लाख तक

अध्यादेश में उत्तर प्रदेश भू-जल प्रबंधन एवं विनियमन अधिनियम 2019 में जेल की सजा पूरी तरह खत्म कर दी गई है। अब उल्लंघन पर दो से पांच लाख रुपये तक जुर्माना लगेगा। पहली बार गलती करने पर ज्यादा से ज्यादा पांच लाख और दूसरी बार पर 10 लाख तक का जुर्माना वसूला जाएगा। साथ ही औद्योगिक इकाई का एनओसी भी रद्द हो सकता है। यह बदलाव भूजल के दुरुपयोग को रोकने के साथ-साथ उद्यमियों को राहत देगा।

गन्ना, सिनेमा और नगर निगम कानूनों में भी राहत

उत्तर प्रदेश गन्ना (आपूर्ति एवं क्रय का विनियमन) अधिनियम में छह महीने की सजा हटाकर दो लाख रुपये तक जुर्माना कर दिया गया है। इसी तरह उत्तर प्रदेश सिनेमा (विनियमन) अधिनियम 1955 और उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959 में एक महीने की सजा को खत्म कर दिया गया है। अब इनके उल्लंघन पर सिर्फ पेनाल्टी लगेगी।

आबादी के हिसाब से भी जुर्माने तय किए गए हैं। पांच लाख की आबादी वाले इलाके में एक लाख और 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले क्षेत्र में पांच लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है। इससे स्थानीय स्तर पर नियमों का पालन आसान हो जाएगा।

पंचायत, विज्ञापन और औद्योगिक क्षेत्रों के कानूनों में संशोधन

उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत अधिनियम में जेल की सजा हटाकर जुर्माना 20 हजार से बढ़ाकर दो लाख रुपये कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश मादक पान (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम में भी सजा की जगह 75 हजार रुपये तक जुर्माना लगेगा।

उत्तर प्रदेश औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम में कारावास हटाकर 25 हजार रुपये तक पेनाल्टी का प्रावधान किया गया है। उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम में छह महीने की सजा खत्म हो गई और जुर्माना एक हजार से बढ़ाकर 10 हजार रुपये कर दिया गया है।

राजस्व और अग्निशमन कानूनों में भी बड़ी छूट

उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता के तहत भूमि से जुड़ी गलत जानकारी देने पर दो लाख रुपये तक जुर्माना लगेगा। उत्तर प्रदेश अग्निशमन तथा आपात सेवा अधिनियम में बिना वारंट गिरफ्तारी और तीन महीने जेल का नियम हटा दिया गया है। अब उल्लंघन पर 75 हजार रुपये जुर्माना ही देना होगा।

ये सारे बदलाव उद्यमियों के लिए राहत की खबर हैं। सरकार का मानना है कि इससे कारोबार में तेजी आएगी और यूपी निवेश का हब बनेगा। निवेशक अब बिना डर के नए प्रोजेक्ट शुरू कर सकेंगे। अध्यादेश से छोटे उद्योगों को भी फायदा होगा जो पहले छोटी गलतियों पर जेल की मार झेलते थे। कुल मिलाकर यह कदम राज्य की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई देने वाला साबित हो सकता है।