विकसित भारत की रीढ़ हैं बेटियां, बाल विवाह राष्ट्रीय कलंक: सुधीर गिरि

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मेरठ। देश को बाल विवाह मुक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा और शानदार कदम उठाया गया है। श्री वैंकटेश्वरा विश्वविद्यालय/संस्थान में भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और उत्तर प्रदेश सरकार के संयुक्त तत्वावधान में “बाल विवाह मुक्त भारत” नामक 100 दिवसीय अभियान का जोरदार शुभारंभ हुआ। इस मौके पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलग-अलग स्कूलों से आए 150 ऐसे बच्चे, जिन्हें राष्ट्रीय, राज्य और मंडल स्तर पर पुरस्कार मिल चुके हैं, उन्हें अभियान का ब्रांड एम्बेसडर बनाया गया। इन बच्चों ने बाल विवाह के खिलाफ शपथ ली और जागरूकता रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया।

क्या हुआ? अभियान का भव्य शुभारंभ

राष्ट्रीय राजमार्ग बाईपास पर स्थित श्री वैंकटेश्वरा विश्वविद्यालय के डॉ. सी.वी. रमन सभागार में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सबसे पहले प्रतिकुलाधिपति डॉ. राजीव त्यागी, महिला कल्याण विभाग की केंद्र प्रबंधक ममता दुबे, वरिष्ठ परामर्शदात्री करुणानिधि और डॉ. यतीन्द्र कटारिया ने मां सरस्वती की प्रतिमा के सामने दीप जलाकर कार्यक्रम की शुरुआत की।

इसके बाद मेरठ, मुरादाबाद समेत पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्कूलों से आए 150 मेधावी बच्चों को “बाल विवाह मुक्त भारत” अभियान का ब्रांड एम्बेसडर घोषित किया गया। इन बच्चों को शपथ दिलाई गई कि वे अपने इलाके में बाल विवाह के खिलाफ लोगों को जागरूक करेंगे। बच्चों ने उत्साह के साथ शपथ ली और फिर जागरूकता रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। रैली के जरिए महामहिम राष्ट्रपति जी को बाल विवाह मुक्त भारत की मांग वाला ज्ञापन भी भेजा गया।

संस्थान की ओर से सभी बच्चों को एजुकेशन किट और पेन भेंट किए गए, ताकि वे पढ़ाई और खेल में आगे बढ़ें।

कब और कहां हुआ ये कार्यक्रम?

ये पूरा आयोजन आज यानी हालिया तारीख को श्री वैंकटेश्वरा विश्वविद्यालय/संस्थान के मेरठ कैंपस में हुआ। देशभर में चलने वाले 100 दिवसीय अभियान की शुरुआत इसी कार्यक्रम से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में की गई।

कौन-कौन शामिल हुआ और क्या बोले बड़े लोग?

संस्थापक अध्यक्ष श्री सुधीर गिरि ने अपने संबोधन में कहा कि बेटियां विकसित भारत की रीढ़ हैं। बाल मजदूरी और चूल्हा-चौका करने की बजाय हर बेटी के हाथ में स्कूल बैग और हॉकी स्टिक होनी चाहिए। अगर हमें सच में विकसित भारत बनाना है तो बाल विवाह जैसे राष्ट्रीय कलंक को पूरी तरह खत्म करना होगा।

प्रतिकुलाधिपति डॉ. राजीव त्यागी ने कहा कि बाल विवाह सिर्फ एक कुप्रथा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय अभिशाप है। इसे मिटाना सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है। हमें सब मिलकर गरीब और वंचित बच्चों को मुख्य धारा में लाना होगा और अंत्योदय तक जागरूकता फैलानी होगी।

इस मौके पर कुलपति प्रो. (डॉ.) कृष्णकांत दवे, कुलसचिव प्रो. (डॉ.) पीयूष पाण्डेय, पी.आर.ओ. डॉ. राम गुप्ता, करुणानिधि, ममता दुबे, अरुण गोस्वामी, तनिष्क त्यागी, मेरठ परिसर निदेशक डॉ. प्रताप सिंह और मीडिया प्रभारी विश्वास राणा समेत कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।

क्यों जरूरी है ये अभियान?

बाल विवाह आज भी कई इलाकों में बच्चों, खासकर बेटियों का भविष्य बर्बाद कर रहा है। इससे पढ़ाई छूट जाती है, स्वास्थ्य खराब होता है और पूरा जीवन प्रभावित हो जाता है। सरकार और संस्थान मिलकर 100 दिनों तक पूरे देश में जागरूकता फैलाएंगे। बच्चों को ब्रांड एम्बेसडर बनाकर ये संदेश दिया गया कि आने वाली पीढ़ी ही इस कुरीति को हमेशा के लिए खत्म कर सकती है।

कैसे चलेगा आगे अभियान?

अभियान के तहत स्कूलों में संगोष्ठी, रैलियां, शपथ कार्यक्रम और जागरूकता कैंप चलाए जाएंगे। ब्रांड एम्बेसडर बने बच्चे अपने-अपने गांव और मोहल्ले में लोगों को समझाएंगे। संस्थान और महिला कल्याण विभाग मिलकर पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसे जोर-शोर से चलाएंगे।

ये अभियान न सिर्फ बाल विवाह रोकने का संकल्प है, बल्कि हर बच्चे को पढ़ने-खेलने का हक देने की मुहिम भी है। उम्मीद है कि सबके साथ मिलकर भारत जल्द ही सच में बाल विवाह मुक्त हो जाएगा।