हाल ही में भारी बारिश और भूस्खलन के कारण सोनप्रयाग और गौरीकुंड के बीच मार्ग बाधित होने से यात्रा को तीन दिन के लिए रोकना पड़ा था। लेकिन अब मार्ग के आंशिक रूप से खुलने के बाद यात्रा फिर से शुरू हो गई है, जिसने श्रद्धालुओं में उत्साह की लहर दौड़ा दी है।
Kedarnath Yatra: सोनप्रयाग-गौरीकुंड मार्ग की स्थिति
रुद्रप्रयाग जिले में सोनप्रयाग और गौरीकुंड के बीच का मार्ग केदारनाथ यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह मार्ग मंदाकिनी नदी के किनारे बसा है और इसकी दूरी लगभग 6 किलोमीटर है। 31 जुलाई 2025 को हुई भारी बारिश और भूस्खलन के कारण यह मार्ग पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था, जिसके चलते यात्रियों की आवाजाही बंद कर दी गई थी। मुनकटिया और गौरीकुंड के बीच करीब 50-70 मीटर का सड़क हिस्सा ध्वस्त हो गया था, और मलबे के कारण पैदल मार्ग भी बाधित हो गया था।
प्रशासन और राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) की टीमों ने कड़ी मेहनत के बाद इस मार्ग को पैदल आवागमन के लिए आंशिक रूप से बहाल कर लिया है। 2 अगस्त 2025 को यह मार्ग पैदल यात्रियों के लिए खोल दिया गया, जिसके बाद केदारनाथ यात्रा फिर से शुरू हो सकी। हालांकि, वाहनों की आवाजाही अभी भी बंद है, जिसके कारण यात्रियों को सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक 6 किलोमीटर अतिरिक्त पैदल चलना पड़ रहा है। इस अतिरिक्त दूरी के साथ, केदारनाथ धाम तक की कुल पैदल यात्रा अब 22 किलोमीटर हो गई है।
Kedarnath Yatra: यात्रियों के लिए नई व्यवस्था
मार्ग के आंशिक रूप से खुलने के बाद प्रशासन ने यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए कई व्यवस्थाएं की हैं। पुलिस और प्रशासनिक टीमें सोनप्रयाग और गौरीकुंड में तैनात हैं ताकि यात्रियों को सुरक्षित रूप से केदारनाथ धाम तक पहुंचाया जा सके। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें भी किसी आपात स्थिति के लिए तैयार हैं। यात्रियों को समूहों में भेजा जा रहा है, और पुलिस की निगरानी में उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है।
सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक के लिए अस्थायी पगडंडियां बनाई गई हैं, जो जंगल के रास्ते से होकर गुजरती हैं। ये रास्ते संवेदनशील हैं, और नीचे गहरी खाई में मंदाकिनी नदी बह रही है, इसलिए यात्रियों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। गौरीकुंड से केदारनाथ तक का 16 किलोमीटर का पैदल मार्ग पहले से ही चुनौतीपूर्ण है, और अब अतिरिक्त 6 किलोमीटर की दूरी ने यात्रा को और कठिन बना दिया है। फिर भी, श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं हुआ है, और वे बाबा केदार के दर्शन के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।
Kedarnath Yatra: यात्रा की चुनौतियां और सुरक्षा उपाय
केदारनाथ यात्रा हमेशा से ही चुनौतियों से भरी रही है, और 2025 में भारी बारिश और भूस्खलन ने इन चुनौतियों को और बढ़ा दिया है। सोनप्रयाग-गौरीकुंड मार्ग पर बार-बार मलबा और पत्थर गिरने की घटनाएं हो रही हैं, जिसके कारण मार्ग को पूरी तरह से बहाल करने में अभी समय लग सकता है। रुद्रप्रयाग पुलिस अधीक्षक अक्षय प्रल्हाद कोंडे ने बताया कि मार्ग के संवेदनशील होने के कारण यात्रियों को सावधानीपूर्वक आगे बढ़ाया जा रहा है, और वाहनों की आवाजाही शुरू होने तक पैदल यात्रा ही एकमात्र विकल्प है।
प्रशासन ने यात्रियों से मौसम पूर्वानुमान की जानकारी लेने और यात्रा शुरू करने से पहले सभी दिशानिर्देशों का पालन करने की अपील की है। बारिश के कारण बिजली आपूर्ति भी प्रभावित हुई है, जिससे यात्रियों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ रही है। इसके अलावा, यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों की सेवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन हाल ही में H3N8 इंफ्लूएंजा वायरस के कारण कुछ खच्चरों को क्वारंटीन किया गया है, जिससे उनकी उपलब्धता सीमित हो सकती है।
Kedarnath Yatra: कैसे करें केदारनाथ यात्रा की तैयारी
केदारनाथ यात्रा की योजना बना रहे श्रद्धालुओं को कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए:
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मौसम की जानकारी: यात्रा शुरू करने से पहले मौसम पूर्वानुमान की जांच करें। भारी बारिश और भूस्खलन का खतरा बना रहता है।
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स्वास्थ्य जांच: उच्च ऊंचाई और लंबी पैदल यात्रा के लिए शारीरिक रूप से तैयार रहें। डॉक्टरी जांच करवाएं और आवश्यक दवाइयां साथ रखें।
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आवश्यक सामान: गर्म कपड़े, बारिश से बचाव के लिए रेनकोट, मजबूत जूते, और पर्याप्त खाद्य सामग्री साथ रखें।
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पंजीकरण: चारधाम यात्रा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य है। आधिकारिक वेबसाइट पर पंजीकरण करवाएं।
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सुरक्षा दिशानिर्देश: प्रशासन और पुलिस के निर्देशों का पालन करें, और समूह में यात्रा करें।
यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे सोनप्रयाग में रुककर अपनी यात्रा की शुरुआत करें और गौरीकुंड में गर्म पानी के कुंड में स्नान और गौरी मंदिर के दर्शन के बाद केदारनाथ के लिए आगे बढ़ें।
Kedarnath Yatra
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केदारनाथ यात्रा: चार धाम यात्रा का हिस्सा, भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग की पूजा के लिए लाखों श्रद्धालु हर साल केदारनाथ धाम पहुंचते हैं।
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सोनप्रयाग: समुद्र तल से 1,829 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, केदारनाथ यात्रा का प्रमुख पड़ाव। यह मंदाकिनी और वासुकी नदियों का संगम स्थल है।
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गौरीकुंड: केदारनाथ का अंतिम बस स्टॉप, समुद्र तल से 1,982 मीटर की ऊंचाई पर। यहां गौरी मंदिर और गर्म पानी का कुंड प्रमुख आकर्षण हैं।
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भूस्खलन: मानसून के दौरान उत्तराखंड में बार-बार होने वाली प्राकृतिक आपदा, जो यात्रा मार्गों को प्रभावित करती है।
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पैदल मार्ग: सोनप्रयाग से गौरीकुंड और गौरीकुंड से केदारनाथ तक का रास्ता, जो अब 22 किलोमीटर का हो गया है।
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रुद्रप्रयाग: अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों का संगम स्थल, केदारनाथ यात्रा का प्रशासनिक केंद्र।
केदारनाथ यात्रा 2025 में फिर से शुरू होने से श्रद्धालुओं में उत्साह का माहौल है। हालांकि, मार्ग की स्थिति और मौसम की चुनौतियों को देखते हुए, यात्रियों को सावधानी और धैर्य के साथ अपनी यात्रा पूरी करनी चाहिए। बाबा केदार के दर्शन का यह अवसर न केवल आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है, बल्कि हिमालय की प्राकृतिक सुंदरता को करीब से देखने का मौका भी देता है।