क्या आपको पता है! नैनीताल में एशिया की सबसे पुरानी व पहली दूरबीन है

राज्यपाल ने कहा, सर्वश्रेष्ठ योगदान देने वाले 50 लोग सम्मानित होंगे

 
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नैनीताल। नेटवर्क


 उत्तराखंड के राज्यपाल ने सोमवार को नगर के मनोरा पीक स्थित एरीज यानी आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान का भ्रमण किया। उन्होंने कहा कि यह विश्व प्रतिष्ठित शोध संस्थान उत्तराखंड का सौभाग्य और गौरव है।

राज्यपाल सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने एरीज के संचालन में सर्वश्रेष्ठ योगदान देने वाले 50 वैज्ञानिकों, शोधार्थियों एवं कर्मचारियों को सम्मानित करने और हल्द्वानी में स्थापित किये जाने वाले एस्ट्रोपार्क विज्ञान केंद्र की स्थापना संबंधित प्रस्ताव पर एरीज को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।

इस अवसर पर वैज्ञानिकों ने राज्यपाल को शोध संस्थान की विभिन्न गतिविधियों के इतिहास एवं वर्तमान के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश राजकीय वेधशाला के नाम से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 20 अप्रैल 1954 को वाराणसी में गठित भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत यह स्वायत्तशासी संस्थान 1955 से नैनीताल एवं 1961 में वर्तमान स्थान पर स्थापित है। यहां 104 सेमी व्यास की संपूर्णानंद दूरबीन एशिया की सबसे पुरानी व पहली दूरबीन है। इसकी स्थापना को इसी वर्ष 50 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं।
राज्यपाल ने दूरबीन से चंद्रमा का अवलोकन भी किया और कहा कि यह देखना एक अद्भुत अनुभव रहा। उन्होंने वैज्ञानिकों से नैनीताल जनपद के देवस्थल और ताकुला की तर्ज पर अन्य जिलों में भी एस्ट्रो टूरिज्म एस्ट्रो टूरिज्म की संभावनाओं पर विचार करने को कहा।

इस दौरान प्रथम महिला गुरमीत कौर, एरीज के निदेशक प्रो. दीपांकर बनर्जी, संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शशि भूषण पांडे, डॉ. बृजेश कुमार सहित अन्य वैज्ञानिक कर्मचारी उपस्थित रहे।

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