रामगढ़/गाजियाबाद। कल्पना कीजिए, एक खुशहाल परिवार पहाड़ी सैर-सपाटे के बाद घर लौट रहा है, लेकिन रास्ते में मौत का पैगाम आ जाता है। मंगलवार देर रात उत्तराखंड के मुक्तेश्वर से गाजियाबाद लौट रहे एक परिवार की कार अचानक अनियंत्रित हो गई और रामगढ़ में करीब 100 मीटर गहरी खाई में जा गिरी। कार में सवार आठ लोगों में से दो की मौके पर ही मौत हो गई – इनमें एक मासूम 12 साल की बच्ची लक्ष्मी भी शामिल है। बाकी छह लोग गंभीर रूप से घायल हैं। ये हादसा सुनकर पूरे इलाके में सन्नाटा छा गया। आइए, जानते हैं इस दर्दनाक घटना की पूरी कहानी – कौन थे ये लोग, क्या हुआ, कब-कहां, क्यों और कैसे सब कुछ बर्बाद हो गया।
कौन थे ये सवार?
ये कोई साधारण सफर नहीं था। गाजियाबाद के शिवपुरी सेक्टर-9, न्यू विजय नगर के रहने वाले एक परिवार ने मुक्तेश्वर की ठंडी वादियों में घूमने का प्लान बनाया था। कार में कुल आठ लोग सवार थे – परिवार के सदस्य, रिश्तेदार और बच्चे। मरने वालों में सागर (32 वर्ष) का नाम आता है, जो विजेंद्र चौधरी के बेटे थे। दूसरी शिकार हुईं लक्ष्मी (12 वर्ष), विकास की बेटी। ये दोनों गाजियाबाद के ही निवासी थे। बाकी छह लोग – जिनमें परिवार के अन्य सदस्य शामिल हैं – चमत्कारिक रूप से बच गए, लेकिन उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। स्थानीय लोगों और पुलिस ने इनकी जान बचाई, वरना आंकड़ा और भयानक हो जाता। परिवार वाले अभी सदमे में हैं, और गाजियाबाद में उनके अपनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
क्या हुआ आखिर?
सबसे पहले तो ये समझिए कि हादसा कितना भयावह था। कार अचानक अनियंत्रित हो गई, जैसे किसी अदृश्य हाथ ने ब्रेक फेल कर दिया हो। फिर वो सीधी 100 मीटर गहरी खाई में लुढक गई। बच्ची लक्ष्मी की मौत तो गोद में ही हो गई – सोचिए, कितना दर्दनाक दृश्य रहा होगा। सागर भी मौके पर ही दम तोड़ चुके थे। कार के अंदर अफरा-तफरी मच गई, चीखें गूंजीं, लेकिन अंधेरी रात में मदद की गुहार लगी। ये सिर्फ एक एक्सीडेंट नहीं, बल्कि एक परिवार की जिंदगी का काला अध्याय बन गया। आठ सवारों में से दो की मौत ने सबको हिला दिया, जबकि बाकी छह जख्मी होकर अस्पताल पहुंचे। डॉक्टरों का कहना है कि कुछ की हालत नाजुक है, लेकिन वो लड़ रहे हैं।
कब भूला न जाए ये काला रात?
ये सब मंगलवार देर रात को हुआ, जब ज्यादातर लोग गहरी नींद में थे। ठीक 11:46 बजे रात को इमरजेंसी नंबर 112 पर कॉल आया। 10 दिसंबर 2025 की सुबह होते ही खबर पूरे उत्तराखंड और गाजियाबाद में फैल गई। मुक्तेश्वर से निकलकर घर लौटने का सफर जो खुशी-खुशी शुरू हुआ था, वो रात के सन्नाटे में मौत में बदल गया। अगर थोड़ी देर और होता, तो शायद सुबह तक कोई खबर ही न मिलती। ये वक्त याद रखिएगा – जब पहाड़ों की सर्द हवा जिंदगियां उड़ा ले गईं।
कहां बदली किस्मत?
हादसा उत्तराखंड के रामगढ़ में हुआ, जो मुक्तेश्वर से ज्यादा दूर नहीं है। परिवार मुक्तेश्वर घूमने आया था – वो ठंडी चोटियां, हरी-भरी वादियां, जहां लोग छुट्टियां मनाने जाते हैं। लेकिन लौटते वक्त रामगढ़ के घुमावदार रास्ते पर कार फिसल गई। ये जगह पहाड़ी इलाके की है, जहां सड़कें संकरी हैं और खाइयां गहरी। गाजियाबाद से करीब 300 किलोमीटर दूर ये स्पॉट अब एक दुखद याद बन गया। स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां रात में ड्राइविंग खतरनाक होती है, लेकिन कौन सोचता कि पर्यटकों का ग्रुप शिकार बनेगा।
क्यों हुआ ये हादसा?
अभी तक साफ नहीं हो पाया कि कार क्यों अनियंत्रित हुई। पुलिस का कहना है कि शायद तेज रफ्तार या सड़क का घुमाव जिम्मेदार हो। रात का अंधेरा, पहाड़ी रास्ते की मुश्किलें – ये सब मिलकर बन गए मौत का जाल। क्या ब्रेक फेल था? क्या चालक थकान महसूस कर रहा था? जांच चल रही है, लेकिन एक बात साफ है – सावधानी की कमी ने दो जिंदगियां छीन लीं। परिवार वाले कहते हैं, “हम तो बस घूमने आए थे, कभी सोचा न था…” ये सवाल अभी अनुत्तरित हैं, जो आने वाले दिनों में सुलझेंगे।
कैसे बची बाकी की जानें?
घटना के बाद जो हुआ, वो एक मिसाल है हिम्मत की। जैसे ही कार खाई में गिरी, सवारों की चीखें सुनकर आसपास के ग्रामीण जाग पड़े। उन्होंने फौरन 112 पर कॉल की – ठीक 11:46 बजे। पुलिस टीम रामगढ़ चौकी प्रभारी गुलाब सिंह कंबोज के नेतृत्व में मौके पर पहुंची। स्थानीय लोगों के साथ मिलकर उन्होंने रस्सियां बांधीं, टॉर्च की रोशनी में खाई उतरे और एक-एक को बाहर निकाला। घायलों को पहले रामगढ़ के कम्युनिटी हेल्थ सेंटर ले जाया गया। वहां से छह जख्मी लोगों को हल्द्वानी के एसटीटीएच अस्पताल रेफर कर दिया गया। शवों की पहचान सागर और लक्ष्मी के रूप में हुई, और उनके परिवारों को सूचना दे दी गई। पोस्टमॉर्टम के लिए कागजी कार्रवाई चल रही है। चौकी प्रभारी गुलाब सिंह कंबोज ने बताया, “सभी पर्यटक मुक्तेश्वर घूमने आए थे और रात में गाजियाबाद लौट रहे थे। हम जांच कर रहे हैं, घायलों का इलाज जारी है।” ये बचाव अभियान रातभर चला, और सुबह तक सब कुछ काबू में आ गया।
इस हादसे ने एक बार फिर याद दिला दिया कि पहाड़ी रास्तों पर सतर्क रहना कितना जरूरी है। गाजियाबाद के परिवार को ये झटका भारी पड़ा है, लेकिन बचे हुए सदस्यों की सलामती से थोड़ी राहत है। पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है, और ड्राइविंग सेफ्टी पर जागरूकता अभियान चलाने की बात कही जा रही है। अगर आप भी पहाड़ घूमने जा रहे हैं, तो रात में ड्राइव न करें – ये परिवार की कहानी सबक है। फिलहाल, घायलों की रिकवरी पर नजर है, और दो परिवारों का दर्द कम होने का नाम नहीं ले रहा।