Tigri Ganga Mela 2022: तिगरी गंगा मेले में बढ़ा श्रद्धालुओं का रेला, 4 नवंबर से शुरू होगा मेला

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तिगरी गंगाधाम/अमरोहा। नेटवर्क

गंगा तिगरी गंगा मेले में ट्रैक्टर-ट्रालियों की लंबी लाइन लगनी शुरू हो गई है। इसके चलते मेला स्थल की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है।इस बार तिगरी गंगा मेले में शामिल होने के लिए श्रद्धालुओं में ज्यादा उत्साह देखने को मिल रहा है। जबरदस्त भीड़ इकट्ठा होने की उम्मीद जताई जा रही है। प्रत्येक वर्ष देवोत्थान के बाद श्रद्धालु तिगरी गंगा मेला की तरफ अपना रुख करते थे लेकिन इस बार देवोत्थान से तीन दिन पहले ही श्रद्धालु मेला स्थल पर पहुंचने शुरू हो गए हैं। बुधवार की सुबह से ही श्रद्धालुओं के ट्रैक्टर-ट्रालियों की लाइन लग गई। इसके चलते गजरौला में दिनभर जाम की स्थिति बनी रही। प्रशासन का अनुमान है कि अब तक एक लाख से अधिक श्रद्धालु गंगा मेल पर पहुंच चुके हैं।

इस बार 8 नवम्बर 2022 होगी कार्तिक पूर्णिमा 


इस साल 4 नवंबर 2022 को देवठान से मेले की शुरूआत होती है। लेकिन श्रद्धालु 1 नवंबर से जाने शुरू हो जाते है। प्रशासन ने मेले की तैयारियों की रूपरेखा तैयार कर ली। मेले की तैयारियों के लिये पुलिस प्रशासन के साथ सभी विभागों को निर्देश दे दिये गये। इस बार जिलाधिकारी ने भव्य और किसी प्रकार की अव्यवस्था नहीं हो उसके लिये पहले से अलर्ट कर दिया है। 

मेले का इतिहास


जानकारों की मानें तो सही जानकारी नहीं मिलती है। मेले का इतिहास श्रवण कुमार से मिलता है। रामप्रकाश शर्मा बताते है कि रामायण काल से पहले से तिगरीधाम में लोग मेले का आयोजन हो रहा है। उन्होने बताया कि श्रवण कुमार अपने माता-पिता को लेकर गंगाकिनारे आये थे। जब लोगों को उनके आने की सूचना मिली तो आसपास के लोगों ने कई दिनों तक गंगा किनारे पर तंबु लगाकर श्रवण कुमार के दर्शन किये थे।  इसके बाद से हर साल दिवाली के बाद कार्तिक पूर्णिमा को गंगामेले का आयोजन किया जा रहा है। 


लाख श्रद्धालु पहुंचते है तिगरीधाम


कार्तिक पूर्णिमा पर तिगरी धाम पर लगने वाला गंगा मेला उत्तर भारत का प्राचीन और ऐतिहासिक मेला है। तिगरी गंगा मेले में जिले के साथ ही आसपास जिलों के 15 से 20 लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं। गंगा किनारे श्रद्धालु डेरा लगाकर मेले में रहते हैं। मेला आस्था का बड़ा संगम कहलाता है। तिगरी गंगा मेले को राज्य स्तर का दर्जा भी मिल चुका है।  इस साल 2 से 12 नवंबर 2022 तक मेला रहेगा। हजारों बीघा जमीन में तंबुओं की नगरी बसेगी। कार्तिक पूर्णिमा का मुख्य 8 नवंबर की सुबह होगा।


दिवंगत आत्माओं के लिये करते है दीपदान

 महाभारत काल से चली आ रही दीपदान का आज फिर देखने को मिला। चौदस की रात्रि में हजारोें लोगों ने दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए गंगा में दीपदान किया। इस बार दीपदान 7 नंवबर 2022 को होगा । इस दौरान अपने सगे संबंधी व परिजनों से बिछड़ों को याद कर उनके आंसू छलक उठे। इस परंपरा के निर्वहन के वक्त गंगा घाट ऐसा प्रतीत हुआ जैसे मानों आकाश से तारे धरती पर उतर आए हों।

ऐसा माना जाता है महाभारत युद्ध में मारे गए हजारों सैनिक और असंख्य योद्धाओं की आत्म शांति के लिए भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों की मौजूदगी में सर्वप्रथम दीपदान किया था। बुधवार को हजारों की संख्या में लोगों ने गंगा घाटों पर पहुंचकर दीपदान किया। जिनके परिवार के सदस्य उनके बीच अब नहीं रहे। दीपदान उन्हीं दिवंगत आत्मों की शांति के लिए संबंधित परिवार के लोग करते हैं। सूर्यास्त होते ही दीपदान का सिलसिला शुरू हो गया। देररात तक दीपदान जारी रहा।