मुंबई (गिरजा शंकर अग्रवाल) – क्या आपने कभी सोचा है कि एक कराओके ग्रुप कैसे हुनरमंद कलाकारों के सपनों को फिल्म सिटी जैसे बड़े मंच से जोड़ सकता है? यही तो है ‘चलो गाते हैं’ की सबसे खूबसूरत पहचान! डॉ. स्मिता नगरकर की अगुवाई में यह ग्रुप न सिर्फ गाने का मजा देता है, बल्कि लोगों की छिपी प्रतिभा को चमकाने का काम भी करता है। हाल ही में मुंबई की फिल्म सिटी में आयोजित सिल्वर जुबली शो ने सबको हैरान कर दिया। यह कार्यक्रम इतना शानदार रहा कि हर कोई इसके बारे में बात कर रहा है। पूरे ऑडिटोरियम में मधुर स्वर गूंजते रहे, और दर्शकों के चेहरे पर मुस्कान छाई रही। आइए, इस यादगार शाम की पूरी कहानी जानते हैं, जो न सिर्फ मनोरंजन से भरी थी, बल्कि प्रेरणा का खजाना भी साबित हुई।
शानदार और ऐतिहासिक सफलता
फिल्म सिटी का यह शो ‘चलो गाते हैं’ के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत से ही माहौल इतना जोशीला था कि हर कोई खुद को इसमें डूबा हुआ महसूस कर रहा था। हमारे प्रतिभाशाली कलाकारों ने एक से बढ़कर एक परफॉर्मेंस दीं, जिन्होंने दर्शकों के दिलों को छू लिया। कल्पना कीजिए, ऑडिटोरियम में हर सीट भरी हुई थी, और लोग तालियां बजाते नहीं थक रहे थे। यह नजारा देखकर लग रहा था जैसे पूरा शहर संगीत की धुन में झूम रहा हो। डॉ. स्मिता नगरकर बताती हैं कि यह सफलता ग्रुप के सदस्यों की मेहनत का नतीजा है। उन्होंने कहा, “हमारा मकसद है कि हर कोई अपनी आवाज को मंच दे सके, और यह शो उसी का जीता-जागता सबूत है।” कार्यक्रम की सफलता इस बात से भी जाहिर होती है कि इसमें अलग-अलग शहरों से लोग शामिल हुए, जो ‘चलो गाते हैं’ के बढ़ते परिवार को दिखाता है।
मुख्य अतिथियों ने बढ़ाई रौनक
इस शो की खासियत मुख्य अतिथियों की मौजूदगी रही, जिन्होंने कार्यक्रम को और भी चमकदार बना दिया। मराठी फिल्मों के मशहूर कलाकार दादुस मुख्य अतिथि के रूप में आए, जिनकी मौजूदगी से दर्शक उत्साहित हो उठे। साथ ही, सारेगामा फाइनलिस्ट निरुपमा डे ने अपनी मधुर आवाज से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। डायरेक्टर और प्रोड्यूसर राज सिंह भी यहां पहुंचे, जिन्होंने कलाकारों की तारीफ में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसके अलावा, कई सम्मानित डॉक्टर, उद्योग जगत की बड़ी हस्तियां और अन्य big shots ने शिरकत की। इन सभी की उपस्थिति ने शो को एक स्टार-स्टड इवेंट बना दिया। ऑडिटोरियम खचाखच भरा हुआ था, जो लोगों के प्यार और सहयोग का प्रमाण है। डॉ. स्मिता नगरकर ने बताया कि ऐसे मेहमानों का आना ग्रुप के लिए सम्मान की बात है, और यह दिखाता है कि ‘चलो गाते हैं’ अब एक बड़ा नाम बन चुका है।
कलाकारों की मेहनत का कमाल
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में सबसे बड़ा हाथ उन कलाकारों का रहा, जिन्होंने पूरे मन से अभ्यास किया और मंच पर अपनी प्रतिभा का जलवा दिखाया। ये कलाकार न सिर्फ गाते हैं, बल्कि अपनी ऊर्जा से पूरे माहौल को जीवंत कर देते हैं। डॉ. स्मिता कहती हैं, “आपकी लगन, ऊर्जा और जुनून ही इस मंच की असली पहचान है।” हर परफॉर्मेंस में कुछ नया था – कहीं पुराने गाने की नई धुन, तो कहीं भावुक कर देने वाली प्रस्तुति। इन कलाकारों ने साबित कर दिया कि प्रतिभा किसी बड़े प्लेटफॉर्म की मोहताज नहीं होती, बल्कि ‘चलो गाते हैं’ जैसे ग्रुप उसे उड़ान देते हैं। मैं तहे दिल से सभी का आभार व्यक्त करती हूं, जिन्होंने सहयोग दिया, समय निकाला और मेहनत की। यह शो उनके बिना अधूरा रहता। कलाकारों की विविधता भी कमाल की थी – कुछ नए चेहरे थे, तो कुछ अनुभवी गायक। सबने मिलकर मंच को रोशन किया, और दर्शकों ने खूब सराहा।
अलग-अलग शहरों से आया प्यार
शो की एक और खास बात यह रही कि इसमें नागपुर, पुणे, नासिक, कल्याण, ठाणे जैसे अलग-अलग शहरों से लोग आए थे। ये सभी ‘चलो गाते हैं’ के सदस्य हैं, जो दूर-दूर से पहुंचकर कार्यक्रम में शामिल हुए। यह दिखाता है कि ग्रुप का परिवार कितना बड़ा और मजबूत है। डॉ. स्मिता नगरकर ने कहा, “आप सबका प्यार, सहयोग और विश्वास ही हमें हर बार नई ऊंचाई देता है।” इन शहरों से आए कलाकारों ने अपनी स्थानीय संस्कृति को भी गानों में घोल दिया, जो दर्शकों को और ज्यादा पसंद आया। कल्पना कीजिए, एक ही मंच पर इतनी विविधता – मराठी गाने, बॉलीवुड हिट्स और क्लासिक्स। यह नजारा देखकर हर कोई प्रभावित हुआ। ऐसे कार्यक्रम न सिर्फ मनोरंजन करते हैं, बल्कि लोगों को जोड़ते भी हैं।
परिवार जैसा बंधन और आगे की योजनाएं
‘चलो गाते हैं’ के लिए सभी सदस्य परिवार जैसे हैं। डॉ. स्मिता दिल से चाहती हैं कि हम मिलकर ऐसे ही और भी खूबसूरत कार्यक्रम करते रहें। यह शो सिल्वर जुबली का था, जो ग्रुप की 25 साल की यात्रा को सेलिब्रेट कर रहा था। लेकिन यह अंत नहीं, बल्कि नई शुरुआत है। आगे भी ऐसे इवेंट्स होंगे, जहां हुनरमंद कलाकारों को मौका मिलेगा। डॉ. स्मिता कहती हैं, “हमारा सपना है कि हर प्रतिभा को बड़ा मंच मिले, और फिल्म सिटी जैसे जगहों पर वे चमकें।” इस शो ने साबित किया कि सहयोग और जुनून से कुछ भी संभव है। अगर आप भी गाने के शौकीन हैं, तो ‘चलो गाते हैं’ से जुड़िए – यहां हर आवाज को जगह मिलती है। यह कार्यक्रम न सिर्फ सफल रहा, बल्कि कई लोगों के लिए प्रेरणा बना। मुंबई की फिल्म सिटी अब ‘चलो गाते हैं’ की यादों से गूंज रही है, और हम सब इसके गवाह हैं।
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