मुरादाबाद में 6 लोगों की मौत के 48 घंटे बाद प्रशासन आया एक्शन में सैकड़ों ऑटो की आगे वाली कटवा दीं सीटें

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मयंक त्रिगुण, वरिष्ठ संवाददाता

मुरादाबाद। रविवार को हुए उस भयानक हादसे ने पूरे शहर को हिला दिया था, जिसमें एक ओवरलोड ऑटो और रोडवेज बस की टक्कर में 6 लोगों की जान चली गई थी। बस उसी दिन मुरादाबाद ट्रैफिक पुलिस ने ठान लिया कि अब एक भी ऑटो में ड्राइवर के बराबर वाली खतरनाक सीट नहीं चलने दी जाएगी। सोमवार से शुरू हुआ ये विशेष अभियान इतना सख्त था कि देखते ही देखते सैकड़ों ऑटो की आगे वाली दोनों साइड की सीटें हटवा दी गईं।

कौन था निशाने पर?

मुरादाबाद के तमाम ऑटो रिक्शा चालक। खास तौर पर वो ऑटो वाले जिनके ऑटो में ड्राइवर के ठीक बगल में दो-दो अतिरिक्त सीटें लगी हुई थीं। ट्रैफिक पुलिस का साफ कहना था – “ये सीटें मौत का न्योता हैं, अब एक भी नहीं बचेगी।”

क्या हुआ ठीक-ठीक?

सोमवार सुबह से ट्रैफिक पुलिस की कई टीमें सड़क पर उतर गईं। सबसे बड़ा अभियान कटघर क्षेत्र के हनुमान मूर्ति तिराहे पर चलाया गया। यहाँ जाम की सबसे बड़ी वजह भी यही अतिरिक्त सीटें होती थीं। पुलिस ने एक-एक करके सैकड़ों ऑटो रोके और मौके पर ही लोहे की उन सीटों को कटवाया। कुछ ऑटो वालों ने बहस भी की, लेकिन पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए कहा, “या तो सीट हटवाओ या ऑटो जब्त।”

कब और कहाँ शुरू हुआ अभियान?

अभियान सोमवार सुबह 9 बजे से शुरू हुआ और शाम तक चलता रहा। सबसे ज्यादा ऐक्शन कटघर, मजहोला, रामगंगा विहार, दिल्ली रोड और गलशहीद क्षेत्र में दिखा। हनुमान मूर्ति तिराहे पर तो पुलिस ने अस्थायी कैंप ही लगा दिया था।

क्यों लिया गया इतना सख्त कदम?

सबकी नजर उस रविवार के हादसे पर थी। दिल्ली रोड पर एक तेज रफ्तार रोडवेज बस ने ऑटो को टक्कर मार दी थी। ऑटो में ड्राइवर के बगल में लगी दोनों सीटों पर बैठे लोग सबसे पहले बस से टकराए और उनकी मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस का कहना है कि ये अतिरिक्त सीटें टक्कर के वक्त सबसे पहले कुचली जाती हैं, इसलिए इनको “डेथ सीट” कहा जा रहा था। हादसे के बाद सोशल मीडिया पर भी लोग लगातार यही मांग कर रहे थे कि ऐसी सीटें तुरंत हटाई जाएं।

कैसे चलाया गया अभियान?

ट्रैफिक पुलिस की 8-10 टीमें अलग-अलग इलाकों में बंटी थीं। हर टीम के साथ वेल्डर और गैस कटर भी थे। ऑटो रोकते ही सबसे पहले चालान काटा जाता, फिर मौके पर ही सीट कटवाई जाती। जिस ऑटो में सीट नहीं हटवाई गई, उसे क्रेन से उठवा कर थाने ले जाया गया। एक पुलिस अधिकारी ने बताया, “आज 300 से ज्यादा ऑटो से सीटें हटवाई गई हैं। कल से पूरे शहर में ये अभियान और तेज होगा।”

ऑटो चालकों की माने तो एक सीट हटने से उनकी कमाई में 3-4 सवारी का नुकसान हो रहा है, लेकिन ज्यादातर ने माना कि जान से ज्यादा कीमती कुछ नहीं। एक चालक बोला, “साहब, पहले तो गुस्सा आया, लेकिन अब लगता है सही किया पुलिस ने।”

आगे क्या होने वाला है?

ट्रैफिक पुलिस ने साफ कर दिया है कि ये अभियान तब तक चलेगा जब तक शहर के आखिरी ऑटो से भी ये खतरनाक सीटें गायब नहीं हो जातीं। साथ ही जिन ऑटो में 6 से ज्यादा सवारियां बैठाई जाएंगी, उन पर भी सख्त कार्रवाई होगी।

शहरवासियों ने इस कदम का स्वागत किया है। एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा, “रविवार को 6 लोग मरे, अगर ये अभियान उस दिन से पहले शुरू हो जाता तो शायद वो जिंदा होते। लेकिन देर आए दुरुस्त आए।”