मुरादाबाद में दिनदहाड़े कैंटीन बनी अवैध देसी शराब का अड्डा

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मयंक त्रिगुण, वरिष्ठ संवाददाता  

मुरादाबाद। उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद जिला एक बार फिर अवैध शराब के कारोबार को लेकर सुर्खियों में है। इस बार मामला थाना कटघर क्षेत्र का है, जहां कैंटीन के नाम पर खुलेआम देसी शराब बेची जा रही है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि सुबह-सुबह ही कैंटीनों के बाहर लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं और कोई रोक-टोक करने वाला नहीं दिख रहा।

कटघर में कैंटीनें बनीं शराब की दुकानें

स्थानीय लोगों ने बताया कि कटघर क्षेत्र की कई कैंटीनों में सुबह 7-8 बजे से ही शराब परोसी जा रही है। नियम के मुताबिक कैंटीन में सिर्फ पानी, चाय-नाश्ता और ठंडा पेय बेचा जा सकता है, लेकिन यहां तो खुलेआम देसी शराब की बोतलें और गिलास सजाकर रखे जा रहे हैं। ग्राहक आते हैं, पैसे देते हैं और खुल्लम-खुल्ला शराब पीते हैं और चले जाते हैं। आसपास के लोग परेशान हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं।

एक स्थानीय निवासी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “यहां तो दिन में 10 बजे से ही शराब चलने लगती है। बच्चे स्कूल जा रहे होते हैं और सामने ही लोग नशे में धुत पड़े रहते हैं। हमने कई बार शिकायत की, लेकिन कुछ होता नहीं।”

आबकारी विभाग पर लगे गंभीर आरोप

सबसे बड़ा सवाल यह है कि इतने बड़े पैमाने पर अवैध शराब की बिक्री हो रही है, फिर आबकारी विभाग के अधिकारी आंखें क्यों मूंदे बैठे हैं? इलाके के लोगों का साफ आरोप है कि आबकारी अफसरों की मिलीभगत और मोटी वसूली के बिना यह सब संभव नहीं है। हर महीने कैंटीन मालिकों से मोटी रकम वसूली जाती है, जिसके बदले उन्हें खुली छूट मिली हुई है।

एक अन्य व्यक्ति ने बताया, “हर 10-15 दिन में आबकारी विभाग की गाड़ी आती है, कैंटीन वाले कुछ लिफाफे देते हैं और फिर सब नॉर्मल हो जाता है। ये सब ऊपर तक सेटिंग है।”

कैंटीन मालिक का अजीबोगरीब दावा

जब एक कैंटीन मालिक से इस बारे में पूछा गया तो उसने बड़ी बेशर्मी से कहा, “हम तो सिर्फ पानी और गिलास बेचते हैं भाई साहब! शराब कहां से आती है, हमें क्या पता? लोग खुद अपनी बोतल लाते हैं और यहां बैठकर पीते हैं। हमारा क्या कसूर?”

हालांकि कैंटीन के अंदर साफ-साफ देसी शराब की बोतलें और ढक्कन पड़े दिख रहे थे, फिर भी मालिक अपनी बात पर अड़ा रहा।

बंद दुकान के शटर के नीचे भी चल रहा खेल

सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि जिन देसी शराब की आधिकारिक दुकानों को लाइसेंस रद्द होने या अन्य कारणों से बंद कर दिया गया है, वहां भी अवैध बिक्री जारी है। स्थानीय लोगों ने बताया कि ऐसी कई बंद दुकानों के शटर आधे बंद रहते हैं और नीचे से ग्राहकों को पौवे थमा दिए जाते हैं। पैसे शटर के नीचे से लिए जाते हैं और शराब भी उसी तरह दी जाती है।