Ram Mandir Dhwajarohan: राम मंदिर का कार्य संपन्न होने के बाद 25 नवंबर 2025 को ध्वजारोहण का कार्य संपन्न किया जा रहा है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार जब किसी मंदिर का निर्माण कार्य संपन्न हो जाता है तो इस पर ध्वज फहराया जाता है। आपको बता दें कि राम मंदिर पर फहराए जाने वाला धर्म ध्वज 22 फुट लंबा और 11 फुट चौड़ा है। इस पर ॐ, कोविदार वृक्ष और सूर्य चिह्न अंकित हैं। ऐसे में आइए जान लेते हैं कि इन तीनों चिह्नों का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व क्या है।
‘ॐ’ का चिह्न क्या संदेश देता है?
हिंदू धर्म ग्रंथों में ‘ॐ’ को पवित्र ध्वनि की संज्ञा दी गई है और माना जाता है कि संसार के प्रारंभ में यही ध्वनि व्याप्त थी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ‘ॐ’ में संपूर्ण दैवीय शक्तियां भी समाई हुई हैं। इसके साथ ही सनातन धर्म का यह प्रमुख प्रतीक चिह्न है। ‘ॐ’ आध्यात्मिक दृष्टि से सकारात्मकता, एकाग्रता और समाधि प्राप्त करने का साधन है। इस शाश्वत ध्वनि भी कहा जाता है।
कोविदार वृक्ष किस चीज का प्रतीक है?
माना जाता है कि इस वृक्ष को ऋषि कश्यप ने बनाया था। ये वृक्ष मंदार और पारिजात वृक्षों के सम्मिलन से बना एक संकर वृक्ष है। इसको अयोध्या की धरती का पावन वृक्ष माना जाता है। श्रीराम के समय से ही कोविदार वृक्ष के चिह्न को ध्वज पर अंकित किया जाता था।
सूर्य का चिह्न क्या संदेश देता है?
भगवान राम सूर्यवंशी थे इसलिए उनके मंदिर पर बने ध्वज पर सूर्य का चिह्न होना सामान्य सी बात है। हालांकि, सूर्य का चिह्न कई और बातों का भी प्रतीक है। सूर्य देव आध्यात्मिक ऊर्जा और सृष्टि की जीवंतता का प्रतीक है, सूर्य के बिना जीवन संभव नहीं है। सूर्य चिह्न तेजस्विता, वीरता और सम्मान का प्रतीक भी माना जाता है। इसलिए राम मंदिर पर बने ध्वज पर सूर्य चिह्न को भी उकेरा गया है।
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