उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में 5 अगस्त 2025 को एक भयावह प्राकृतिक आपदा ने धराली गांव को तबाही के कगार पर ला दिया। खीर गंगा नदी में बादल फटने से अचानक आई बाढ़ ने गांव के घरों, होटलों और बाजार को अपने आगोश में ले लिया। इस आपदा ने न केवल संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया, बल्कि कई जिंदगियों को भी लील लिया। खबर लिखे जाने तक, 10 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 40 लोग लापता हैं और 100 से अधिक लोग फंसे हुए हैं। राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी हैं, जिसमें सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन की टीमें दिन-रात जुटी हुई हैं। इस लेख में हम इस त्रासदी के विभिन्न पहलुओं, रेस्क्यू ऑपरेशन, और वायरल वीडियोज के जरिए तबाही के मंजर को विस्तार से समझेंगे।
5 अगस्त 2025 की सुबह, उत्तरकाशी के हर्षिल क्षेत्र में खीर गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में बादल फटने की घटना ने पूरे धराली गांव को हिलाकर रख दिया। सुबह करीब 1:45 बजे, अचानक भारी बारिश और मलबे के साथ पानी का सैलाब गांव की ओर बढ़ा। मात्र 34 सेकंड में, तेज रफ्तार मलबे और पानी ने धराली बाजार, होटल, होमस्टे और घरों को तबाह कर दिया। इस आपदा ने गांव के कई हिस्सों को मलबे के ढेर में बदल दिया, जिससे लोगों में दहशत फैल गई।

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तबाही का समय: 5 अगस्त 2025, दोपहर 1:45 बजे
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स्थान: धराली गांव, हर्षिल, उत्तरकाशी
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प्रभाव: 10 लोगों की मौत, 40 लापता, 100 से अधिक फंसे
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नुकसान: दर्जनों घर, 20-25 होटल और होमस्टे तबाह
धराली गांव: तबाही का केंद्र
धराली गांव, उत्तरकाशी जिले की हर्षिल घाटी में स्थित एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है, जो गंगोत्री धाम के रास्ते में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। यह गांव समुद्र तल से 9,005 फीट की ऊंचाई पर बसा है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन इस आपदा ने गांव की खूबसूरती को मलबे के ढेर में बदल दिया।
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स्थान: गंगोत्री से 18 किमी और उत्तरकाशी से 79 किमी दूर
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प्रभावित क्षेत्र: धराली बाजार, खीर गंगा नदी क्षेत्र
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नुकसान: 20-25 होटल और होमस्टे पूरी तरह नष्ट, कई घर बह गए
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स्थानीय लोग: कई मजदूरों और स्थानीय लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका
खीर गंगा नदी, जो श्रीखंड से निकलकर भागीरथी में मिलती है, में अचानक जलस्तर बढ़ने से यह तबाही मची। गांव के बाजार क्षेत्र में मलबे और पानी ने दुकानों, होटलों और घरों को अपनी चपेट में ले लिया, जिससे पूरा क्षेत्र तबाही के मंजर में बदल गया।
रेस्क्यू ऑपरेशन: चुनौतियां और प्रयास

बादल फटने की सूचना मिलते ही, प्रशासन ने तत्काल राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए। सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और स्थानीय प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंच गईं। रेस्क्यू ऑपरेशन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है:
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मौसम की बाधा: मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है, जिससे बचाव कार्यों में रुकावट आ रही है।
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मलबे की अधिकता: भारी मलबे और पत्थरों ने रास्तों को अवरुद्ध कर दिया है, जिससे रेस्क्यू टीमें प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचने में कठिनाई महसूस कर रही हैं।
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नेटवर्क की कमी: धराली और आसपास के क्षेत्रों में नेटवर्क बेहद कमजोर है, जिससे संचार में बाधा उत्पन्न हो रही है।
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हेलीकॉप्टर सहायता: दो MI और एक चिनुक हेलीकॉप्टर की मदद से लोगों को निकाला जा रहा है।
उत्तराखंड पुलिस ने लोगों से नदियों और नालों से दूरी बनाए रखने की अपील की है। ऋषिकेश एम्स में घायलों के लिए बेड आरक्षित किए गए हैं, ताकि समय पर इलाज उपलब्ध हो सके।

बादल फटने का कारण और प्रभाव
बादल फटना एक प्राकृतिक घटना है, जिसमें अचानक भारी मात्रा में बारिश एक छोटे क्षेत्र में होती है। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में यह घटना मानसून के दौरान आम है। इस बार, खीर गंगा के जलग्रहण क्षेत्र में बादल फटने से नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया, जिसके परिणामस्वरूप बाढ़ और मलबा गांव में घुस गया।
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कारण:
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भारी बारिश और जलवायु परिवर्तन
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पहाड़ी क्षेत्रों में अनियंत्रित निर्माण
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खीर गंगा नदी के किनारे बस्तियों का होना
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प्रभाव:
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धराली बाजार और होटलों को भारी नुकसान
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गंगोत्री धाम का जिला मुख्यालय से संपर्क टूटना
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चारधाम यात्रा पर असर
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स्थानीय लोगों और पर्यटकों में दहशत
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मुख्यमंत्री और प्रशासन का बयान
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “धराली (उत्तरकाशी) क्षेत्र में बादल फटने से हुए भारी नुकसान का समाचार अत्यंत दुःखद एवं पीड़ादायक है। राहत एवं बचाव कार्यों के लिए SDRF, NDRF, जिला प्रशासन तथा अन्य संबंधित टीमें युद्ध स्तर पर जुटी हुई हैं।”
जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने बताया कि रेस्क्यू टीमें तत्काल मौके पर पहुंच गईं और हालात पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी मुख्यमंत्री से बात कर केंद्र सरकार की ओर से हर संभव मदद का आश्वासन दिया।
उत्तराखंड में बार-बार बादल फटने की घटनाएं
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों में मानसून के दौरान बादल फटने की घटनाएं बार-बार हो रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित निर्माण इन घटनाओं को बढ़ावा दे रहे हैं। धराली में हुई इस घटना ने एक बार फिर प्रशासन और समाज को प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की तैयारियों पर ध्यान देने की जरूरत बताई है।
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पिछली घटनाएं:
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2024 में हिमाचल के रामपुर में बादल फटने से 36 लोग लापता
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जून 2025 में उत्तरकाशी के बड़कोट में बादल फटने से 9 मजदूर लापता
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रोकथाम के उपाय:
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नदियों के किनारे निर्माण पर रोक
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मौसम विभाग की चेतावनियों का समय पर पालन
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आपदा प्रबंधन की मजबूत व्यवस्था
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भविष्य के लिए सबक
उत्तरकाशी के धराली गांव में बादल फटने की इस घटना ने एक बार फिर प्रकृति के प्रकोप को सामने ला दिया है। यह आपदा हमें सिखाती है कि प्राकृतिक संसाधनों का सम्मान और आपदा प्रबंधन की मजबूत व्यवस्था कितनी जरूरी है। प्रशासन, सेना और स्थानीय लोगों के संयुक्त प्रयासों से राहत कार्य जारी हैं, लेकिन भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।