मयंक त्रिगुण, वरिष्ठ संवाददाता
मुरादाबाद -भोजपुर थाना क्षेत्र में स्थित राणा शुगर मिल के बाहर उस समय हड़कंप मच गया जब क्षेत्र के सैकड़ों किसान और किसान नेता गुस्से से लाल होकर पहुंच गए। किसानों ने मिल प्रशासन के खिलाफ जमकर धरना-प्रदर्शन किया और नारेबाजी की। पूरा इलाका “किसान एकता जिंदाबाद” और “भुगतान दो-भुगतान दो” के नारों से गूंज उठा। किसानों का कहना है कि वे समय पर गन्ना सप्लाई करते हैं, लेकिन मिल वाले 1 से 2 साल तक भुगतान लटकाते रहते हैं।
किसानों ने मिल अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने ₹30 प्रति कुंतल अतिरिक्त भुगतान का आदेश दिया है, लेकिन न तो यह पैसा दिया जा रहा है और न ही पर्चियों पर इसका जिक्र किया जा रहा है। किसानों का गुस्सा इस बात को लेकर और भी ज्यादा था कि वे मेहनत करके गन्ना उगाते हैं, मिल को देते हैं, लेकिन जब पैसे की बारी आती है तो बहाने बनाकर टालमटोल किया जाता है। कई किसानों ने बताया कि पिछले सीजन का पैसा अभी तक नहीं मिला है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो गई है।
3 घंटे तक मिल गेट पर चला धरना-प्रदर्शन
प्रदर्शन सुबह से शुरू हुआ और करीब 3 घंटे तक राणा शुगर मिल के मुख्य गेट पर चलता रहा। किसान हाथों में बैनर-पोस्टर लिए हुए थे, जिन पर लिखा था – “समय पर भुगतान दो”, “अतिरिक्त ₹30 कुंतल दो”, “किसानों का हक मत छीनो”। इतने बड़े प्रदर्शन को देखकर मिल प्रशासन और स्थानीय पुलिस में खलबली मच गई। स्थिति को बिगड़ता देख मिल के अधिकारी बाहर आए और किसानों से बातचीत की।
आखिरकार मिल अधिकारियों ने किसानों की सभी मांगें मान लीं और जल्द से जल्द भुगतान करने का लिखित आश्वासन दिया। अधिकारियों ने कहा कि बकाया राशि को प्राथमिकता के आधार पर चुकता किया जाएगा और अतिरिक्त ₹30 प्रति कुंतल का भुगतान भी सुनिश्चित किया जाएगा। इसके बाद किसान शांत हुए और धरना समाप्त कर दिया।
किसानों की साफ चेतावनी – नहीं हुआ भुगतान तो बड़ा आंदोलन
हालांकि किसान इतने आसानी से मानने वाले नहीं थे। प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं ने साफ चेतावनी दी कि अगर तय समय के अंदर पूरा भुगतान नहीं किया गया तो वे फिर से आंदोलन करेंगे और इस बार यह और भी बड़ा होगा। उन्होंने कहा कि मिल प्रशासन बार-बार आश्वासन देता है लेकिन अमल नहीं करता। किसानों ने मांग की कि भुगतान की पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए और हर पर्ची पर अतिरिक्त भुगतान का उल्लेख अनिवार्य किया जाए।
किसानों का कहना था कि गन्ना उत्पादन में मेहनत, खाद, बीज, सिंचाई सब कुछ किसान लगाते हैं, लेकिन जब भुगतान की बारी आती है तो मिलें टालमटोल करती हैं। कई किसानों ने बताया कि बकाया पैसा न मिलने से वे कर्ज में डूब गए हैं और बच्चों की फीस तक नहीं भर पा रहे हैं। प्रदर्शन में शामिल एक किसान ने कहा, “हम गन्ना देते समय कोई देरी नहीं करते, लेकिन मिल वाले सालों लगाते हैं। यह अन्याय बंद होना चाहिए।”
प्रशासन में हड़कंप, मिल अधिकारियों ने मानी मांगें
राणा शुगर मिल के गेट पर इतना बड़ा प्रदर्शन देखकर स्थानीय प्रशासन भी हरकत में आ गया। पुलिस बल तैनात किया गया ताकि स्थिति बेकाबू न हो। मिल के जीएम और अन्य अधिकारी किसानों से बात करने के लिए मजबूर हुए। आखिरकार 3 घंटे की जद्दोजहद के बाद किसानों को आश्वासन मिला और वे वापस लौट गए। लेकिन किसान नेताओं ने साफ कहा कि यह सिर्फ शुरुआत है। अगर 15 दिन के अंदर भुगतान नहीं हुआ तो वे फिर से सड़कों पर उतरेंगे।
यह पूरा मामला मुरादाबाद के भोजपुर थाना क्षेत्र की राणा शुगर मिल का है। यहां हर साल हजारों किसान गन्ना सप्लाई करते हैं, लेकिन भुगतान में देरी की शिकायतें आम हैं। किसानों ने सरकार से भी मांग की है कि मिलों पर सख्ती की जाए और भुगतान की समयसीमा तय की जाए।
किसानों का गुस्सा सिर्फ राणा शुगर मिल तक सीमित नहीं है। आसपास की अन्य मिलों में भी भुगतान देरी की शिकायतें आ रही हैं। किसान नेता कह रहे हैं कि अगर सरकार ने जल्द हस्तक्षेप नहीं किया तो पूरे क्षेत्र में बड़ा आंदोलन हो सकता है। फिलहाल राणा शुगर मिल के बाहर शांति है, लेकिन किसानों की नजरें भुगतान पर टिकी हैं।
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