मयंक त्रिगुण, ब्यूरो चीफ
Moradabad–मुरादाबाद में मंडी समिति का माहौल इन दिनों गर्मा गया है। एक तरफ विकास की बातें हो रही हैं, तो दूसरी तरफ व्यापारियों का गुस्सा फूट पड़ा है। 38 नई दुकानों के प्रस्ताव ने पूरे इलाके को हलचल में डाल दिया है। क्या ये दुकानें मंडी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगी या व्यापारियों के हितों पर चोट करेंगी? आइए जानते हैं इस पूरे विवाद की इनसाइड स्टोरी।
दुकानों के प्रस्ताव को लेकर टकराव
मुरादाबाद के मझोला थाना क्षेत्र में स्थित मंडी समिति में 38 नई दुकानों का प्रस्ताव जैसे ही सामने आया, वैसे ही व्यापारी दो गुटों में बंट गए। एक गुट इस फैसले को मंडी के विकास से जोड़कर देख रहा है और नगर विधायक रितेश गुप्ता की तारीफ कर रहा है। उनका कहना है कि ये दुकानें मंडी को और ज्यादा व्यस्त और आधुनिक बनाएंगी, जिससे कारोबार बढ़ेगा और इलाके की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। लेकिन दूसरा गुट, जो ज्यादा तादाद में है, इस प्रस्ताव का जमकर विरोध कर रहा है। वे इसे मंडी के पुराने व्यापारियों के लिए खतरा मानते हैं। उनका मानना है कि नई दुकानें आने से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, किराए बढ़ेंगे और पुराने कारोबारियों का धंधा चौपट हो सकता है। इस टकराव ने मंडी को एक जंग का मैदान बना दिया है, जहां हर कोई अपनी बात पर अड़ा हुआ है।
मंडी समिति उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण व्यापारिक जगहों में से एक है, जहां रोजाना हजारों लोग आते-जाते हैं। यहां फल, सब्जी से लेकर अनाज तक का बड़ा बाजार लगता है। ऐसे में कोई भी बदलाव सीधे व्यापारियों की जेब पर असर डालता है। प्रस्ताव के समर्थक कहते हैं कि नई दुकानें ज्यादा रोजगार पैदा करेंगी और मंडी को आधुनिक लुक देंगी। लेकिन विरोधी इसे साजिश बता रहे हैं। उन्होंने बताया कि पहले भी ऐसे प्रस्ताव आए थे, लेकिन व्यापारियों की एकजुटता से रुक गए। इस बार मामला ज्यादा गंभीर लग रहा है, क्योंकि प्रशासन की तरफ से काम शुरू करने की कोशिश हो रही है।
बुलडोजर पहुंचते ही भड़का आक्रोश
जैसे ही मंडी परिसर में 38 दुकानों की नींव डालने के लिए बुलडोजर पहुंचा, माहौल और ज्यादा गर्म हो गया। विरोध करने वाले व्यापारी तुरंत मौके पर जुट गए। उन्होंने बुलडोजर के आगे खड़े होकर काम रोक दिया और जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। “मंडी हमारी है, फैसला हमारा” जैसे नारे गूंजने लगे। इससे पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। पुलिस को भी सतर्क रहना पड़ा, ताकि कोई बड़ा हादसा न हो जाए।
व्यापारियों का कहना है कि वे सालों से यहां कारोबार कर रहे हैं और मंडी उनके लिए परिवार जैसी है। अचानक बुलडोजर देखकर उनका गुस्सा फूट पड़ा। एक व्यापारी ने बताया, “हमने कभी सोचा नहीं था कि हमारे सामने ही हमारा कारोबार छीनने की कोशिश होगी।” इस घटना के बाद मंडी सचिव के कार्यालय के बाहर धरना शुरू हो गया। दर्जनों व्यापारी वहां बैठ गए, हाथों में तख्तियां लेकर। इससे मंडी का रोजाना का कामकाज भी प्रभावित हुआ। ग्राहक डरकर दूर रहने लगे, और व्यापार में गिरावट आई। प्रशासन ने स्थिति को संभालने की कोशिश की, लेकिन व्यापारियों का आक्रोश कम होने का नाम नहीं ले रहा।
व्हाइट पेपर पर हस्ताक्षर के दुरुपयोग का आरोप
धरने पर बैठे व्यापारियों ने मंडी सचिव और प्रशासनिक कर्मचारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। व्यापारी राजू ने खुलकर कहा कि कुछ दिन पहले व्यापारियों से सफेद कागज पर हस्ताक्षर कराए गए थे। उनका दावा है कि ये हस्ताक्षर किसी और काम के लिए मांगे गए थे, लेकिन अब इन्हीं का गलत इस्तेमाल करके खुदाई का काम शुरू कर दिया गया। “ये धोखा है, हमारी सहमति लिए बिना फैसला थोप दिया गया,” राजू ने गुस्से में कहा।
अन्य व्यापारियों ने भी इस आरोप का समर्थन किया। उनका कहना है कि मंडी प्रशासन ने विश्वास तोड़ दिया है। सफेद कागज पर हस्ताक्षर कराना एक पुरानी चाल है, जो अक्सर विवादों में इस्तेमाल होती है। इससे व्यापारियों में असुरक्षा की भावना पैदा हो गई है। वे अब हर फैसले पर सवाल उठा रहे हैं। अगर ये आरोप सही साबित हुए, तो ये मंडी प्रशासन की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल होगा। व्यापारी मांग कर रहे हैं कि पूरे मामले की जांच हो और दोषियों पर कार्रवाई की जाए।
चोरी-छिपे निर्माण कराने का दावा
विरोध करने वाले व्यापारियों का कहना है कि उनकी आपत्तियां दर्ज कराने के बावजूद चोरी-छिपे निर्माण कार्य आगे बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। वे इसे मंडी के हितों के खिलाफ बता रहे हैं। “हमारी शिकायतों को नजरअंदाज किया जा रहा है,” एक व्यापारी ने कहा। उनका मानना है कि नई दुकानें आने से मंडी का किराया बढ़ेगा और छोटे व्यापारी बाहर हो जाएंगे। इससे इलाके की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा।
मंडी में पहले से ही स्पेस की कमी है, और नई दुकानें आने से ट्रैफिक और पार्किंग की समस्या बढ़ सकती है। विरोधी गुट इसे राजनीतिक साजिश बता रहा है, जबकि समर्थक इसे विकास का हिस्सा मानते हैं। इस विवाद ने स्थानीय लोगों को भी प्रभावित किया है, जो मंडी पर निर्भर हैं।
“विरोध से कुछ नहीं होगा” बयान से बढ़ा विवाद
सूत्रों के मुताबिक, व्यापारियों को ये संदेश दिया गया कि विरोध करने से कुछ नहीं होगा और निर्माण कार्य जारी रहेगा। इस बयान से व्यापारियों का गुस्सा और भड़क गया। मंडी प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी तेज हो गई। “ऐसे बयान से लगता है कि हमारी आवाज सुनी ही नहीं जा रही,” एक व्यापारी ने कहा।
ये बयान किसने दिया, ये स्पष्ट नहीं है, लेकिन इससे विवाद और गहरा हो गया। व्यापारी अब उच्च अधिकारियों से मिलने की योजना बना रहे हैं।
70 प्रतिशत व्यापारी प्रस्ताव से असंतुष्ट
मंडी से जुड़े सूत्रों का दावा है कि करीब 70 प्रतिशत व्यापारी इस प्रस्ताव से असंतुष्ट हैं। वे इसे मंडी के हितों के विपरीत मानते हैं। लेकिन दूसरा गुट इसे विकास की दिशा में कदम बता रहा है। उनका कहना है कि नई दुकानें ज्यादा कारोबार लाएंगी।
इस विभाजन ने मंडी की एकता पर सवाल उठा दिए हैं। पहले व्यापारी एकजुट रहते थे, लेकिन अब गुटबाजी हो गई है।
स्थिति अब भी तनावपूर्ण
फिलहाल मंडी समिति में हालात तनावपूर्ण हैं। उच्च अधिकारियों की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। प्रशासन की अगली कार्रवाई पर सबकी नजरें टिकी हैं। क्या ये विवाद सुलझेगा या और बड़ा रूप लेगा? आने वाले दिनों में पता चलेगा। व्यापारी एकजुट होकर अपनी मांगें मनवाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि प्रशासन शांति बहाल करने में जुटा है। इस पूरे मामले ने मुरादाबाद की राजनीति और व्यापार को हलचल में डाल दिया है।
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